गैंग्स ऑफ वासेपुर फिल्म देखे हो? नहीं देखे तो हमई हमदर्दी तुम्हारे साथ. अगर देखे हो तो उसका क्लाइमेक्स सीन याद होगा. जिसमें फैजल रामाधीर सिंह को 32 गोली मारता है. "वो सीन मेरे कांड से इंस्पायर है." ऐसा कहना है बिहार पुलिस के दबोचे एक साइको किलर का. वैशाली जिले में पकड़ाया, अविनाश श्रीवास्तव उर्फ अमित नाम है उसका. पहले तो ये सुनो कि वो पकड़ाया कैसे. फिर आगे सब बात होगी. महुआ में रात को बैंक लूटने गया था. स्कॉर्पियो से आधी रात को सेंट्रल बैंक पहुंचा. वहां स्कॉर्पियो में सिलेंडर रखा था. उससे लंबी पाइप लगी थी. वो पहुंचता है फर्स्ट फ्लोर पर. गैस कटर से लोहे का गेट काटता है. दो गेट काटने के बाद पुलिस उसे धर लेती है. एक ऑटोमेटिक पिस्टल के साथ हवालात पहुंच गया.
कौन है साइको किलर अमित
वैशाली के SP राकेश कुमार ने जब पूछताछ शुरू की. तो इसने कहा कि "क्या साहब, हमारा और अपना टाइम खराब करते हो? गूगल पर psycho killer amit करो. सब कहानी सामने आ जाएगी." तो भैया उसके बाद 20 मर्डर कबूले. लेकिन वो पहले ऐसा डकैत और कातिल नहीं था. CBSE बोर्ड से पढ़ाई करने के बाद दिल्ली आ गया. वहां जामिया मिलिया में MCA की डिग्री ली. और जॉब वगैरह शुरू किया. नामी कंपनी इन्फोसिस में भी उसने काम किया.
कैसे बना किलर
सन 2002 में अमित उर्फ अविनाश के बाप का मर्डर हो गया. ललन श्रीवास्तव, राष्ट्रीय जनता दल से पूर्व विधान पार्षद थे. पटना के कंकरबाग में उनका कत्ल हुआ था. बाप के कत्ल का बदला लेने के सनक अविनाश को जुर्म की दुनिया में ले गई. 6 लोग नामजद थे मर्डर में. उनमें से चार को मौत की नींद सुला दिया. मेन मुजरिम मोईन खान था. 2003 में उसका कत्ल कर दिया. मरने के बाद 3 घंटे तक उस पर गोलियां दागता रहा. उसके बाद बाप का मर्डर करने वालों के वकील को भी मार दिया था. इस तरह से उसने कोई 20 कत्ल किए. और तमाम लूट डकैती की वारदातें. कुल मिलाकर बाप के कत्ल का बदला और ढेर सारा पैसा बनाना ही उसका मकसद था. उसने बताया कि एक आरोपी अभी जेल में बंद है. उसको अंजाम तक पहुंचाना आखिरी लक्ष्य है.
नीले रंग पर है बहुत ऐतबार
अंधविश्वासी है मतलब भर का. वारदात करने से पहले उसकी ड्रेस पहनता है. ब्लू जीन्स, ब्लू शर्ट और ब्लू जूते. कहता है ये मेरा लकी कलर है. क्योंकि पहला मर्डर इसी रंग की ड्रेस में किया था. पकड़ा नहीं गया था. लेकिन उसकी यही गलतफहमी दगा दे गई. इसी ड्रेस में लास्ट टाइम पकड़ा गया.