
1989 में दिल्ली शिफ्ट होने के बाद आदित्य श्रीराम सेंटर में थिएटर कर रहे थे. यहीं उन्हें शेखर कपूर ने पहली बार देखा. शेखर उन दिनों फूलन देवी पर बेस्ड फिल्म 'बैंडिट क्वीन' पर काम कर रहे थे. इस फिल्म की कास्टिंग का काम यूं तो तिग्मांशु धूलिया देख रहे थे लेकिन आदित्य की कास्टिंग खुद शेखर कपूर ने की. आदित्य का किरदार फूलन देवी के अब्यूज़िव पति पुत्तीलाल का था. यहां से आदित्य का फिल्म करियर शुरू हुआ. इसके बाद वो गोविंद निहलानी की 'संशोधन' और 'हज़ार चौरासी की मां' जैसी फिल्मों में अहम मगर छोटे किरदारों में नज़र आए. लेकिन उनके करियर को आगे बढ़ाने वाली फिल्म साबित हुई राम गोपाल वर्मा की कल्ट 'सत्या'.
एक्टिंग से आदित्य का बंबई में गुज़ारा मुश्किल था 'सत्या' में आदित्य ने इंस्पेक्टर खांडिलकर का रोल किया था. लेकिन आदित्य की असली कहानी घटती है 'बैंडिट क्वीन' और 'सत्या' के बीच. इस दौरान वो कुछ एक छोटी फिल्मों में काम करते रहे लेकिन उससे (तब) बंबई में उनका गुज़ारा संभव नहीं था. पेट और करियर को चलायमान रखने के लिए ऐड फिल्म्स में आवाज़ देने लगे. वॉयस आर्टिस्ट. क्योंकि उनकी पर्सनैलिटी 'हीरो' जैसी नहीं थी. फिर टीवी करना शुरू कर दिया. वो 'ये शादी नहीं हो सकती', '9 मलाबार हिल्स', 'नया दौर' और 'रिश्ते' जैसे शोज़ में नज़र आए. 1997 में अपना पूरा फोकस फिल्मों पर रखने के लिए उन्होंने टीवी से ब्रेक लिया. ठीक इसी समय में उन्हें 'सत्या' मिली. 'सत्या' ने सफलता के नए पैमाने गढ़े. इसका फायदा आदित्य को भी मिला. उनके पास कई फिल्मों के ऑफर आए लेकिन कमोबेश सबमें उनका रोल पुलिसवाले का ही था. उन्होंने वो फिल्में नहीं की क्योंकि वो स्टीरियोटाइप नहीं होना चाहते थे. 1998 में 'सत्या' के अलावा उनकी सिर्फ एक फिल्म रिलीज़ हुई. मणिरत्नम की शाहरुख खान-मनीषा कोईराला स्टारर 'दिल से'. इसमें आदित्य आतंकवादी बने थे.

फिल्म 'सत्या' के एक सीन में आदित्य. विट्ठल के पकड़े जाने के बाद उससे पूछताछ करता खांडिलकर.
CID में क्रिमिनल से इंस्पेक्टर अभिजीत बनने का 18 साल लंबा सफर 'सत्या' में आदित्य का काम देखने के बाद बी. पी. सिंह ने उन्हें अपने नए-नए शुरू हुए टीवी शो 'सी.आई.डी' में काम ऑफर किया. आदित्य ने कहा कि वो कोई रेगुलर टीवी शो नहीं पकड़ सकते क्योंकि वो फिल्मों में काम कर रहे हैं. 26 एपिसोड की डील साइन हुई, जिसमें आदित्य को अपनी मर्ज़ी से सेट पर आने-जाने की सहूलियत मिल गई. इस समय वो अनुराग कश्यप की बतौर डायरेक्टर पहली फिल्म 'पांच' की शूटिंग कर रहे थे. इसमें आदित्य ने के.के. मेनन, विजय मौर्य, जॉय फर्नांडिस और तेजस्विनी कोल्होपुरे के साथ पैरलल लीड रोल किया था. लेकिन वो फिल्म सेंसर के फेर में ऐसी फंसी कि कभी रिलीज़ ही नहीं हो पाई. खैर, आदित्य 'सीआईडी' में पहली बार 39वें एपिसोड में दिखाई दिए. 'द केस ऑफ स्टोलन गन' नाम के इस एपिसोड में उनका रोल 'परेश' नाम के क्रिमिनल का था. उनका काम देखकर बी.पी. सिंह ने उन्हें सीआईडी की टीम में इंस्पेक्टर अभिजीत के रोल में शामिल कर दिया. इसके बाद से वो अगले 18 साल यही किरदार निभाते रहे. आदित्य बताते हैं कि वो फिल्में तो कर रहे थे लेकिन 'सीआईडी' करने में भी उन्हें काफी मज़ा आ रहा था. लेकिन किसी को नहीं पता था कि ये शो इंडिया का सबसे लंबा चलने वाला पुलिसिया शो बन जाएगा.

'सीआईडी' के पोस्टर पर आदित्य श्रीवास्तव, शिवाजी साटम और दयानंद शेट्टी.
जिस फिल्म से लीड रोल छिना, उसमें पैसा लगा दिया
1999-2000 में हंसला मेहता 'दिल पे मत ले यार' नाम की फिल्म बनाने जा रहे थे. लीड रोल के लिए उनकी पहली पसंद थे मनोज बाजपेयी. लेकिन हंसल डर रहे थे कि कहीं मनोज ये रोल करने से मना न कर दें. वही हुआ मनोज ने कहा कि वो हंसल को सपोर्ट करना चाहते हैं लेकिन किसी बड़ी फिल्म में. इसके बाद हंसल ने आदित्य को फिल्म में लीड रोल के लिए अप्रोच किया. आदित्य मान गए. लेकिन मनोज के फिल्म से हटने की वजह से प्रोड्यूसरों ने अपने हाथ पीछे खींच लिए. हंसल अपने ब्लॉग में बताते हैं कि वो टीवी में काम करके परेशान हो चुके थे. वो किसी भी हालत में 'दिल पे मत ले यार' बनाना चाहते थे. चेन ऑफ इवेंट्स के बाद राम शरण के मुख्य किरदार में एक बार फिर मनोज बाजपेयी की वापसी हो गई. हंसल ने आदित्य को टिटो का सेकंड लीड रोल दिया.

फिल्म 'दिल पे मत ले यार' के एक सीन में सौरभ शुक्ला, मनोज बाजपेयी और आदित्य.
फिल्म बनाने में पैसे की दिक्कत बार-बार आड़े आ रही थी. क्योंकि अनिश रंजन और अजय तुली के साथ मिलकर हंसल खुद ये फिल्म प्रोड्यूस कर रहे थे. इस फिल्म पर काम कर रही कनिका नाम की असिस्टेंट डायरेक्टर को उनके पिता ने मस्कट (ओमान) से मुंबई में घर खरीदने के लिए पैसे भेजे थे. उन्होंने भी अपने पैसे इस फिल्म में लगा दिए. आदित्य भी तब तक आर्थिक तंगी वाली सिचुएशन से बाहर निकल चुके थे. वो टीवी शोज़ वगैरह करते थे, इसलिए उनके पास कुछ पैसे थे. उन्होंने भी अपने पैसे इस फिल्म पर खर्च दिए. मतलब जिस फिल्म से लीड रोल छिना, उसी में अपना पैसा लगा दिया. फिल्म में आदित्य की परफॉरमेंस और इस तरह की हरकतों की वजह से हंसल उन्हें मैग्नैनिमस यानी बड़े दिल वाला एक्टर बताते हैं.
जो फिल्म नसीर-इरफान ने मना की, आदित्य ने कर ली
ए. हुसैन ज़ैदी की किताब 'ब्लैक फ्राइडे- द ट्रु स्टोरी ऑफ द बॉम्बे बम ब्लास्ट' पब्लिश भी नहीं हुई थी, तभी इसका ड्राफ्ट अनुराग कश्यप के पास पहुंच गया था. वो इस किताब पर फिल्म बनाने वाले थे. इसकी स्क्रिप्ट लिखते समय अनुराग तय कर चुके थे कि किस रोल को कौन सा एक्टर करेगा. बकौल अनुराग, के.के. मेनन राकेश मारिया बनने वाले थे. टाइगर मेनन का किरदार नसीरुद्दीन शाह करने वाले थे. बादशाह खान के रोल में इरफान और इंस्पेक्टर डांगले का कैरेक्टर आदित्य श्रीवास्तव के लिए लिखा गया था. नसीर ने फिल्म में मुस्लिम आतंकवादी का रोल करने से मना कर दिया क्योंकि 2002 गुजरात दंगे को अभी ज़्यादा समय नहीं हुआ था. इरफान ने भी बादशाह खान का किरदार करने से इसीलिए मना कर दिया क्योंकि वो बड़ा सेंसिटिव टाइम था. हालांकि इरफान, राकेश मारिया वाले रोल में इंट्रेस्टेड थे. प्लानिंग के हिसाब से कास्टिंग न होता देख प्रोड्यूसर धमकाने लगे. कहा गया कि इरफान और के.के. मेनन के रोल्स एक्सचेंज कर दो. लेकिन अनुराग को लगता था कि के.के और राकेश मारिया दिखने में काफी एक से लगते हैं.

फिल्म 'ब्लैक फ्राइडे' में अपने आका के हाथों धोखा खाए 1993 मुंबई ब्लास्ट को अंजाम देने वाले आतंकवादी बादशाह खान के रोल में आदित्य.
इरफान के इस फिल्म से अलग होते ही अनुराग ने बादशाह के किरदार के लिए आदित्य श्रीवास्तव का नाम सुझाया. आमतौर पर जिन मंझे हुए कलाकारों के साथ फिल्ममेकर्स काम कर लेते हैं, उनका ऑडिशन नहीं होता. लेकिन यहां अनुराग फाइनेंसरों को बताना चाहते थे कि इरफान नहीं, तो आदित्य श्रीवास्तव क्यों? आदित्य को ऑडिशन के लिए बुलाना थोड़ा ऑकवर्ड था क्योंकि अनुराग उनके साथ 'सत्या' और पांच' में काम कर चुके थे. 'सत्या' से अनुराग राइटर के तौर पर जुड़े हुए थे. अनुराग अपने एक इंटरव्यू में बताते हैं कि आदित्य ने वो ऑडिशन दिया. और क्या कमाल का ऑडिशन दिया. बिलकुल वही परफॉरमेंस जो फाइनेंसरों को दिखाना था. आदित्य बादशाह खान के रोल में कास्ट कर लिए गए. 2003 में फिल्म फेस्टिवल्स के चक्कर काटने लगी. लेकिन मुंबई ब्लास्ट का मामला तब कोर्ट में था, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगा दी. 'ब्लैक फ्राइडे' 9 फरवरी, 2007 को इंडिया में रिलीज़ हुई.
शूटिंग में बस पलट गई, हॉस्पिटल पहुंचाना पड़ा
'ब्लैक फ्राइडे' के बनने और रिलीज़ होने के बीच आदित्य सैफ अली खान के साथ 'एक हसीना थी', ऋतिक रौशन के साथ 'लक्ष्य' और अमिताभ बच्चन के साथ 'दीवार' समेत कुल आठ फिल्मों में काम कर चुके थे. वो एक बार फिर अनुराग की फिल्म में नज़र आए. क्लासिक 'गुलाल' में. लंबे में समय में शूट हुई ये फिल्म 2009 में रिलीज़ हुई. उसके बाद से पिछले 10 सालों में आदित्य ने सिर्फ 4 फिल्में की हैं. इसमें उनकी पहली और एकमात्र लीड रोल वाली फिल्म 'कालो' भी शामिल है. 'कालो' इंडिया की पहली 'डे बेस्ड हॉरर फिल्म' यानी दिन में घटने वाली भुतही फिल्म बताई गई थी. इस फिल्म की शूटिंग राजस्थान में भरी दोपहरी में होती थी. फिल्म में एक सीन है, जहां एक बस 13-14 लोगों को लेकर कहीं जा रही है. फिल्म के डायरेक्टर शूटिंग को जल्दी खत्म के लिए इस सीन को सिंगल कैमरा सेट अप में शूट कर रहे थे. इस सीन को शूट करने के दौरान बस पलट गई. और इसमें बैठे सभी एक्टर्स बुरी तरह घायल हो गए. आदित्य का शोल्डर डिसलोकेट यानी कंधे की हड्डी अपनी जगह से हिल गई. आदित्य समेत आठ एक्टर्स को जैसलमेर के अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा. जो काम फिल्म की शूटिंग जल्दी निपटाने के लिए किया गया, उसी के चक्कर में फिल्म की शूटिंग लटक गई. फिल्म 'कालो' का ट्रेलर आप यहां देख सकते हैं:
आदित्य ऋतिक रौशन के साथ आनंद कुमार की बायोपिक ‘सुपर 30’ में भी नज़र आए थे. फिल्म में उनका रोल लल्लन नाम के एक शख्स का था, जो कोचिंग सेंटर्स चलाता है. उसी के सेंटर में ऋतिक का किरदार बच्चों को पढ़ाता है. 2018 में उनका टीवी शो ‘सीआईडी’ भी 20 साल से ज़्यादा लंबे समय तक चलने के बाद बंद हो गया. ‘सीआईडी’ से प्रेरित होकर ‘सीआईएफ’ नाम का एक शो बनाया गया. आदित्य उसमें इंस्पेक्टर अशफाक़ अली खान नाम का किरदार निभाते हैं. आदित्य श्रीवास्तव आखिरी बार नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी-राधिका आप्टे स्टारर नेटफ्लिक्स फिल्म ‘रात अकेली है’ में दिखाई दिए थे.
वीडियो देखें: ऐसा क्या है जो ACP प्रद्यूमन, दया और अभिजीत भी सुलझा नहीं पाए