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'ध्यान भटकाने वाला भाजपाई मुद्दा', वन नेशन-वन इलेक्शन पर विपक्ष के नेता क्या-क्या बोले?

असदुद्दीन ओवैसी ने वन नेशन-वन इलेक्शन की आलोचना करते हुए कहा कि ये संघवाद को नष्ट करने के साथ ही लोकतंत्र से समझौता करता है, जो संविधान के मूल ढांचे का अहम हिस्सा है.

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ज्यादातर विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया है. (फोटो- PTI)

'वन नेशन, वन इलेक्शन' (One Nation One Election) के प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद विपक्ष के नेता सरकार के इरादों पर सवाल उठा रहे हैं. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि ये ध्यान भटकाने के लिए किया गया है और ये संविधान के खिलाफ भी है. कई और विपक्षी नेता इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं. 18 सितंबर को कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी. संसद के आने वाले सत्र में इसके लिए एक बिल पेश किए जाने की संभावना जताई जा रही है.

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 'एक देश, एक चुनाव' के प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि ये प्रैक्टिकल नहीं है. उन्होंने इस प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने को चुनाव से पहले ‘चुनावी हथकंडा’ करार देते हुए कहा,

“जब चुनाव आते हैं, तो भारतीय जनता पार्टी ये सब बातें कहती है. जब उन्हें कुछ मुद्दा नहीं मिल रहा है तो डायवर्ट करने के लिए वे ऐसी चीजें करते हैं.”

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खरगे ने आगे कहा कि देश की जनता इसे स्वीकार नहीं करेगी.

लोकसभा सांसद और AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ की आलोचना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत केंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए लिखा,

“मैंने लगातार वन नेशन-वन इलेक्शन का विरोध किया है, क्योंकि ये समस्या की तलाश करने की दिशा में एक समाधान है. ये संघवाद को नष्ट करने के साथ ही लोकतंत्र से समझौता करता है, जो संविधान के मूल ढांचे का अहम हिस्सा है. मोदी और शाह को छोड़ दें तो कई चुनाव, किसी के लिए भी मुसीबत नहीं है. सिर्फ इसलिए कि उन्हें नगरपालिका और स्थानीय निकाय चुनावों में भी प्रचार करने की जरूरत पड़ती है, इसका मतलब ये नहीं हो जाता कि हमें एक साथ सभी चुनाव करना चाहिए. लगातार चुनाव लोकतांत्रिक जवाबदेही में सुधार लाते हैं.”

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खरगे और असदुद्दीन ओवैसी के अलावा आरजेडी सांसद मनोज झा का बयान भी सामने आया है. झा ने सवाल खड़ा करते हुए कहा है,

“हमारे पास कुछ बुनियादी सवाल हैं. 1962 तक भारत में 'एक देश, एक चुनाव' होता था. लेकिन इसे खत्म कर दिया गया, क्योंकि कई क्षेत्रों में एक पार्टी के वर्चस्व को चुनौती दी जा रही थी और अल्पमत की सरकारें बन रही थीं. जबकि कुछ जगहों पर मिड-टर्म चुनाव हुए. इस बार इसके लिए क्या व्यवस्था होगी?”

बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने इस फैसले का समर्थन किया है. उन्होंने X पर लिखा है,

“एक देश, एक चुनाव की व्यवस्था के तहत देश में लोकसभा, विधानसभा व स्थानीय निकाय का चुनाव एक साथ कराने वाले प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट द्वारा आज दी गई मंजूरी पर हमारी पार्टी का स्टैंड सकारात्मक है. लेकिन इसका उद्देश्य देश व जनहित में होना जरूरी है.”

आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद संदीप पाठक ने इसे ‘बीजेपी का जुमला’ बताया है. उन्होंने पीटीआई से कहा,

“वो चार राज्यों में एक साथ चुनाव कराने में असमर्थ थे, इन्होंने सिर्फ हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का फैसला लिया. मेरा कहना है कि जब वो चार राज्यों में एक साथ चुनाव कराने में असमर्थ हैं, तो एक राष्ट्र, एक चुनाव कैसे संभव है.”

समाजवादी पार्टी के नेता रविदास मल्होत्रा ने ANI को बताया है,

“अगर भाजपा 'एक देश, एक चुनाव' लागू करना चाहती है तो उसे सभी विपक्षी दलों के राष्ट्रीय अध्यक्षों और लोकसभा में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं की एक सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए. हम चाहते हैं कि देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं.”

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Ramnath Kovind की रिपोर्ट में क्या था?

2 सितंबर, 2023 को केंद्र सरकार ने इसके लिए कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी में 8 सदस्य थे. अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने की. उनके अलावा कमेटी में गृह मंत्री अमित शाह, गुलाम नबी आजाद, फाइनेंस कमीशन के पूर्व चेयरमैन एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व सेक्रेटरी जनरल सुभाष कश्यप, सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे और पूर्व चीफ विजिलेंस कमिश्नर संजय कोठारी भी शामिल थे. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल कमेटी के स्पेशल मेंबर बनाए गए थे.

कमेटी की सिफारिशें:

1. पहले चरण में लोकसभा के साथ सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव हों.
2. दूसरे चरण में लोकसभा-विधानसभा के साथ स्थानीय निकाय चुनाव हों.
3. पूरे देश में सभी चुनावों के लिए एक ही मतदाता सूची होनी चाहिए.
4. सभी के लिए वोटर आई कार्ड भी एक जैसा ही होना चाहिए.
5. सदन में अविश्वास, अविश्वास प्रस्ताव या ऐसी किसी घटना की स्थिति में, सदन के शेष कार्यकाल के लिए नई लोकसभा या राज्य विधानसभा के गठन के लिए नए चुनाव कराए जाने चाहिए.
6. चुनाव कराने के लिए लॉजिस्टिक्स की आवश्यकताओं को ECI पूरा करेगा. ECI राज्य चुनाव आयोगों के साथ मिलकर इसे तय करेगा.

वीडियो: वन नेशन वन इलेक्शन की चुनौतियों पर अब चुनाव आयोग ने क्या कह दिया?

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