विनेश फोगाट ने बताई राजनीति में आने की 'असली वजह', बृजभूषण पर अब क्या कहा?
रेसलर से राजनेता बनीं Vinesh Phogat ने एक इंटरव्यू में रेसलर्स के प्रोटेस्ट के दौरान PM Narendra Modi की चुप्पी को लेकर निशाना साधा है. इसके अलावा उन्होंने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ रेसलर्स की लड़ाई और राजनीति में अपनी इंट्री के बारे में भी बात की है.

रेसलर से राजनेता बनीं विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) हरियाणा की जुलाना विधानसभा (Haryana Vidhansabha Election) सीट से चुनाव लड़ रही हैं. जुलाना में सुबह से शाम तक उनका प्रचार चलता है. और इस दौरान वह दिन में करीब 10 रैलियों को संबोधित करती हैं. चुनाव प्रचार के दौरान मिल रहे समर्थन से विनेश फोगाट काफी खुश हैं. लेकिन पेरिस ओलंपिक्स में मेडल नहीं जीत पाने का मलाल अभी भी है. एक इंटरव्यू में विनेश फोगाट ने 100 ग्राम वजन ज्यादा होने के बाद लगे सदमे, बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ लड़ाई, जंतर-मंतर पर उनके प्रदर्शन के दौरान पीएम की चुप्पी और राजनीति में अपनी इंट्री के बारे में विस्तार से बात की है.
इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े संदीप द्विवेदी और निहाल कोशी को दिए इंटरव्यू में ओलंपिक्स में मिली हार के बाद अब तक के राजनीतिक अनुभव के बारे में विनेश ने बताया,
मैंने राजनीति में नहीं आने का फैसला किया था. लेकिन प्रोटेस्ट के दैरान मुझे एहसास हुआ कि चीजों को बदलने के लिए आपको राजनीति में होना चाहिए. लोगों ने मुझसे कहा था कि मैं समर्थन खो दूंगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. लोगों का प्यार और सम्मान बढ़ा है. खासकर महिलाओं से. वे मुझे गले लगा रही हैं. और आशीर्वाद दे रही हैं. राजनीति में शामिल होना एक बड़ा फैसला था. यह भगवान की इच्छा थी. मैं अपने भाग्य का पीछा कर रही हूं.
पेरिस ओलंपिक्स में 100 ग्राम वजन ज्यादा होने के चलते फाइनल मुकाबले से पहले विनेश फोगाट को अयोग्य ठहरा दिया गया था. इस दौरान अपनी मानसिक स्थिति के बारे में बताते हुए विनेश ने कहा,
मैं एकदम खाली हो गई थी. मैं उनसे फिर से जांच करने की भीख मांग रही थी. मैं उनसे विनती कर रही थी. फिर से जांच करें. इस दौरान वहां एक हंगरी की लड़की थी जो मेरी दोस्त है. उसकी आंखों में आंसू थे. उसने कहा कि काश मैं कुछ कर पाती. फिर अचानक मेरा शरीर बेजान हो गया.
जंतर-मंतर पर रेसलर्स के प्रोटेस्ट के दौरान प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए विनेश फोगाट ने बताया कि प्रधानमंत्री एथलीट्स से मिलते रहते हैं. लेकिन अगर वह वाकई खेलों के बारे में सोचते हैं और खिलाड़ियों से सच्चा प्यार करते हैं, तो उन्हें नहीं लगता कि वह इतनी बड़ी घटना के बाद खुद को आगे आने से रोक पाते. सब कुछ जानते हुए भी कुछ नहीं कहना, यह खिलाड़ियों के लिए सच्चा प्यार नहीं है. वह बस अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं.
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राजनेता बनने पर विनेश फोगाट के लिए सबसे अहम एजेंडे कौन-कौन से होंगे? क्या वो महिला सुरक्षा और खेलों में बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर देंगी? इन सवालों के जवाब में विनेश फोगाट ने कहा कि अभी मुद्दों को एक तरफ रख देते हैं. खेल संघों में जो कुछ हो रहा है. ये मुद्दे हैं. अगर मेरे, बजरंग पुनिया या साक्षी मलिक के पास ताकत होगी तो खेल संघों में कुछ गलत होगा तो युवा एथलीट जरूर हमें बुलाएंगे. और हम ऐसी स्थिति में होंगे कि हम कुछ मदद कर पाएंगे.
विनेश फोगाट ने आगे बताया कि उन लोगों को सिस्टम में घुसना होगा. बृजभूषण इसलिए बच रहे हैं क्योंकि वे राजनीतिक रूप से ताकतवर हैं. इसलिए उन्हें भी ताकतवर होना पड़ेगा. अगर उनके पास ताकत नहीं होगी तो दो साल का संघर्ष पानी में बह जाएगा.
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