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क्या है पॉक्सो ऐक्ट, जिसमें अब अपराधी को मौत की सजा दी जाएगी?

पीएम मोदी की कैबिनेट ने बदलावों को मंजूरी दे दी है.

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फोटो - thelallantop
बलात्कार. एक बेहद क्रूर शब्द. उससे भी क्रूर है ये अपराध. और उससे भी क्रूर होते हैं वो अपराधी जो ऐसा अपराध करते हैं. भारतीय दंड संहिता जिसे आईपीसी कहते हैं, उसमें धारा है 376 . बलात्कार के अपराधी को इसी धारा के तहत सजा दी जाती है. लेकिन अगर बलात्कार पीड़िता कोई नाबालिग हो, तो उसके साथ एक और धारा बढ़ जाती है. उसे बलात्कार के अलावा पाक्सो ऐक्ट के तहत भी सजा दी जाती है. 27 दिसंबर, 2018 को पीएम मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट ने इसी पॉक्सो ऐक्ट को और भी कड़ा कर दिया है. अब इस ऐक्ट के तहत दोषी लोगों को फांसी तक की सजा हो सकती है.
क्या होता है पॉक्सो ऐक्ट?
पॉक्सो ऐक्ट के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ हुई यौन हिंसा पर कार्रवाई की जाती है.
पॉक्सो ऐक्ट के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ हुई यौन हिंसा पर कार्रवाई की जाती है.

पॉक्सो ऐक्ट. अंग्रेजी में पूरा नाम है Protection of Children from Sexual Offences (POCSO) Act, 2012. इस ऐक्ट को बच्चों को यौन अपराधों से बचाने, यौन उत्पीड़न और पोर्नोग्राफी से बचाने के लिए लागू किया गया था. 2012 में ये ऐक्ट इसलिए बनाया गया था, ताकि बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों का ट्रायल आसान हो सके और अपराधियों को जल्द सजा मिल सके. इस ऐक्ट में 18 साल से कम उम्र वाले को बच्चे की कैटेगरी में रखा जाता है. 2012 से पहले बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों को लेकर कोई खास नियम-कानून नहीं था.
पॉक्सो में किन चीज़ों को यौन अपराध माना जाएगा?
बच्चों के साथ हुई किसी तरह की यौन हिंसा में पॉक्सो ऐक्ट के तहत ऐक्शन लिया जाएगा.
बच्चों के साथ हुई किसी तरह की यौन हिंसा में पॉक्सो ऐक्ट के तहत ऐक्शन लिया जाएगा.

बच्चों के शरीर के किसी भी अंग में लिंग या कोई और चीज़ डालना यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आएगा. इसके अलावा उनके साथ किसी भी तरह का सेक्शुअल इंटरकोर्स, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आएगा. अगर बच्चा मानसिक रूप से बीमार है या बच्चे से यौन अपराध करने वाला सैनिक, सरकारी अधिकारी या कोई ऐसा व्यक्ति है, जिस पर बच्चा भरोसा करता है, जैसे रिश्तेदार, पुलिस अफसर, टीचर या डॉक्टर, तो इसे और संगीन अपराध माना जाएगा. अगर कोई किसी नाबालिग लड़की को हॉर्मोन्स के इंजेक्शन देता है, ताकि वक्त के पहले उनके शरीर में बदलाव किया जा सके, तो ऐसे भी लोगों के खिलाफ पॉक्सो ऐक्ट के तहत केस दर्ज किया जाता है.
ऐक्ट की एक मज़बूत बात?
A medical kit used for collecting forensic evidence from child rape victims sits on an examination bed at the Simelela clinic in Cape Town's Khayelitsha township, February 17, 2010. South Africa has the highest rate of rape in the world, including child and baby rape, with one person estimated to be raped every 26 seconds, according to aid groups and local organizations. In Khayelitsha, a sprawling, crime-ridden township of some 500,000 people, many of the victims are children under the age of 10. Only a fraction of all actual rape cases are reported and many activists say rape has reached epidemic proportions in the country. REUTERS/Finbarr O'Reilly (SOUTH AFRICA - Tags: CRIME LAW SOCIETY)
बच्चों के साथ हुए अपराध जानते हुए रिपोर्ट न करना भी इस ऐक्ट के तहत अपराध माना जाएगा.

इस ऐक्ट ने यौन अपराध को रिपोर्ट करना अनिवार्य कर दिया है. यानी अगर आपको किसी बच्चे के साथ होने वाले यौन अपराध की जानकारी है, तो ये आपकी कानूनी ज़िम्मेदारी है कि आप इसे रिपोर्ट करें. ऐसा न करने पर आपको 6 महीने की जेल और जुर्माना हो सकता है. इस ऐक्ट का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में किया जाता है.
कैसे होगा ट्रायल?
A girl lights candles during a candlelight vigil for a gang rape victim who was assaulted in New Delhi, in Kolkata December 29, 2012. A woman whose gang rape provoked protests and a rare national debate about violence against women in India died from her injuries on Saturday, prompting promises of action from government that has struggled to respond to public outrage. REUTERS/Rupak De Chowdhuri (INDIA - Tags: CIVIL UNREST CRIME LAW)
इस ऐक्ट के तहत स्पेशल कोर्ट एक साल के अंदर ट्रायल पूरा कर लेगी.

ऐक्ट के मुताबिक किसी केस के स्पेशल कोर्ट के संज्ञान में आने के 30 दिनों के अंदर क्राइम के सबूत इकट्ठे कर लिए जाने चाहिए और स्पेशल कोर्ट को ज़्यादा से ज़्यादा से एक साल के अंदर ट्रायल पूरा कर लेना चाहिए. बच्चे का मेडिकल 24 घंटे के भीतर हो जाना चाहिए. ऐक्ट के मुताबिक स्पेशल कोर्ट को सुनवाई कैमरे के सामने करने की कोशिश करनी चाहिए. साथ ही, कोर्ट में बच्चे के पेरेंट्स या कोई ऐसा व्यक्ति मौजूद होना चाहिए, जिस पर बच्चा भरोसा करता हो.
सज़ा क्या मिलेगी?

इस ऐक्ट के तहत 10 साल की सजा से लेकर उम्र कैद तक का प्रावधान था.

ये ऐक्ट कहता है कि केस जितना गंभीर हो, सज़ा उतनी ही कड़ी होनी चाहिए. बाकी कम से कम 10 साल जेल की सज़ा तो होगी ही, जो उम्रकैद तक बढ़ सकती है और जुर्माना भी लग सकता है. बच्चों के पॉर्नॉग्राफिक मटीरियल रखने पर तीन साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है. अप्रैल 2018 में ही केंद्र सरकार ने पॉक्सो में एक अहम बदलाव किया है, जिसके तहत 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप करने पर मौत की सज़ा दी जाएगी.
अभी ऐक्ट में क्या बदलाव हुए हैं?
अब इस ऐक्ट के तहत मौत की सजा का प्रावधान कर दिया गया है.
अब इस ऐक्ट के तहत मौत की सजा का प्रावधान कर दिया गया है.

अब इस ऐक्ट की कुछ धाराओं में दोषी पाए जाने पर मौत की सजा तक का प्रावधान कर दिया गया है. इस ऐक्ट में कहा गया है कि अगर कोई आदमी चाइल्ड पोर्नोग्राफी को बढ़ावा देता है, तो उसके खिलाफ भी पॉक्सो ऐक्ट के तहत कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है. इस ऐक्ट की धारा 4, धारा 5, धारा 6, धारा 9, धारा 14, धारा 15 और धारा 42 में संशोधन किया गया है. धारा 4, धारा 5 और धारा 6 में संशोधन के बाद अब अपराधी को इस ऐक्ट के तहत मौत की सजा दी जा सकती है.


 

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