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PM साहब कौन सा सुरमा लगाया कि गौ-गुंडे नजर आ गए!

खुद के बारे में कहा कि मैं तो आलोचना के साथ ही बड़ा हुआ हूं.

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टाउनहाल मीटिंग में पीएम मोदी
ओबामा करते रहते हैं टाउनहॉल मीटिंग. आज PM मोदी ने भी की. और एक ऐसी बात कह दी जो कई लोगों के दिमाग को चीरती हुई दिल में उतर गई. दरअसल मोदी ने गौरक्षकों को मीटिंग में टिंचर दे दिया है. उन्होंने गौरक्षा को कारोबार बताया और गौरक्षकों को गुंडा. इसके बाद से ही मोदी जी  की ये बात आज का सोशल मीडिया का ही नहीं गली-नुक्कड़ की, पान-दुकान की चर्चा का भी हॉट टॉपिक बनी हुई है. दरअसल PM मोदी ने कहा,
'गौरक्षा के नाम पर कुछ लोग अपनी दुकानें खोल बैठे हैं, मुझे बहुत गुस्सा आता है. कुछ लोग जो असमाजिक कामों में लिप्त रहते हैं, वे गौरक्षक का चोला पहन लेते हैं, राज्य सरकारें ऐसे लोगों का डॉजियर तैयार करें. अधिकतर गायें कत्ल नहीं की जातीं, पॉलीथिन खाने से मरती है.ऐसे समाजसेवक प्लास्टिक फेंकना बंद करा दें, गाय की रक्षा होगी.'
वैसे ये सच है कि जब नरेंद्र मोदी को लगा मामला हाथ से निकला रहा है. जी हां मामले से मेरा मतलब गुजरात से है. तो मोदी जी ने ये बयान दिया है. वैसे आपको याद दिला देते हैं, माने गौरतलब है कि अभी चार दिन पहले गुजरात इलेक्शन पर RSS के सर्वे की एक रिपोर्ट आई थी. जिसमें कहा गया था कि अगर अभी के हालातों में गुजरात में चुनाव कराए जाएं तो BJP को 182 सीटों वाली गुजरात असेंबली में मात्र 60 से 65 सीट्स ही मिलेंगी. अभी के हालात माने गुजरात में तेजी से तमाम आंदोलन चल रहे हैं. हार्दिक पटेल का उठाया पाटीदार आंदोलन अभी भभक ही रहा था कि अचानक से दलितों की पिटाई के बाद वहां दलित आंदोलन ने सरकार की नींद उड़ा रखी है. ऐसे में कहीं से तो डैमेज कंट्रोल होना ही था. हो सकता है कि इस पर कुछ लोग कहें कि PM साहब  वाकई इस बात पर दुखी हो सकते हैं तो मेरा ऐसे लोगों से पूछना चाहिए कि गौरक्षकों की गाय को लेकर लोगों को पीटने की घटनाएं आज की तो नहीं हैं. सालों से ऐसी खबरें ही नहीं वीडियो भी आते रहे हैं. पर आज तक कभी कोई बयान क्यों नहीं आया? अखलाक को पीट कर मार दिया गया पर कोई ऐसा बयान नहीं आया. अब चुनाव है तो आया है. जाहिर है पूछेंगे ही, आखिर इतनी देर से ये बयान क्यों? उत्तर है क्योंकि गौरक्षकों की ऐसी मूर्खता के चलते सरकार जाने की नौबत आ गई है और अगले ही साल गुजरात में चुनाव हैं. और BJP अगर गुजरात में चुनाव हार जाती है, यानी BJP अगर मोदी जी के राज्य गुजरात में चुनाव हार जाती है, तो ऐसे में बुरी तरह से BJP की देश और जनता के बीच मिट्टी पलीद होना तय है. गहराई से समझ लो, पॉलिटिक्स है सब. इसलिए बहुत इमोशनल होने और गाते फिरने  की जरूरत नहीं है कि प्रधानमंत्री ने गौरक्षकोंं को टिंचर देने वाला बयान दिया है. हालांकि एक तारीफ लायक बात जरूर कही. कि वो खुद अलोचना के बीच बड़े हुए हैं और अपनी आलोचना को निगेटिव नहीं लेते. दरअसल PM मोदी कह रहे थे कि आज टेक्नोलॉजी के चलते ऐसा हो गया है कि PM कोई बयान देता है तो लोग तुरंत ही उसके दस साल पहले के बयान निकाल लाते हैं कि पहले तो आप ऐसा कहा करते थे. जबकि पहले ऐसा नहीं होता था. खैर हम तो आलोचना के बीच ही बड़े हुए हैं. हालांकि आगे PM ने ये भी कहा,
'राय बनाने वाले पंचायत के मामले में भी पीएम को जवाबदेह बना देते हैं, राजनैतिक तौर पर तो यह ठीक है. लेकिन इससे पंचायत अपनी जिम्‍मेदारी पूरी नहीं करती. जो करे उससे जवाब मांगें, नीचे या ऊपर वाले से नहीं, जिसकी जिम्‍मेदारी हो उसकी जवाबदेही हो. कभी कभी समस्‍या की जड़ में सरकार होती है. सरकार से बार बार हिसाब मांगना पड़े, ये ठीक नहीं है. आम लोगों को आसानी से जानकारी हासिल हो, यही हमारा लक्ष्‍य है.'
इसमें एक-एक करके क्वेश्चन किए जाते हैं और जवाब दिया जाता है, इन मुद्दों से अलग भी कई मुद्दों पर बात हुई.

मीटिंग की खास-खास बातें ये रहीं -

1. लोकतंत्र का सरल अर्थ केवल एक बार वोट देना नहीं. लोकतंत्र का अर्थ 5 साल का ठेका हो गया है. एक बार वोट देना और 5 साल के लिए कॉन्‍ट्रैक्‍ट देना लोकतंत्र नहीं. लोकतंत्र इस तरह पनप नहीं सकता. 2. राजनीति में चुनाव जीतने के बाद सराकर का ध्‍यान अगले चुनाव की ओर लग जाता है और उसकी योजनाएं उसी के आधार पर बनती हैं कि अपना जनाधार कैसे बढ़ाया जाए. इस उद्देश्‍य से कारवां बीच में रुक जाता है. 3. नीतियों, फैसलों के अलावा लास्‍ट माइल डिलिवरी का भी उतना ही महत्‍व है, मतलब आखिरी आदमी तक पहुंच. 4. पैसा खर्च कर अस्‍पताल बना, लेकिन अगर मरीज को फायदा ना मिले तो उसका होना बेकार है. 5. समस्‍याओं के समाधान की उत्तम व्‍यवस्‍था होनी चाहिए, तय समय में जनता की शिकायत का निबटारा होना चाहिए 6. भारत आज दुनिया की सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्‍यवस्‍था है, भारत ने दो भीषण अकाल झेले हैं. पूरी दुनिया में खरीदने की क्षमता गिरी है. ऐसी स्थिति में 7.5 फीसदी की विकास दर हासिल करना सराहनीय है. 7. अगर देश के खजाने में ज्‍यादा पैसा हो तो ज्‍यादा विकास हो सकता है, अगर ज्‍यादा विकास होगा तो रोजगार के अवसर भी ज्‍यादा होंगे. प्राकृतिक संपदा का जितना उपयोग हम करेंगे, उतना ही अर्थव्‍यवस्‍था में सुधार आएगा. 8. हमें फोकस कर युवाओं के हुनर को इस्‍तेमाल करना है. 9. फीसदी से ज्‍यादा विकास दर अगर पाई तो दुनिया आपके कदमों में होगी. 10. भारत में बनी मेट्रो ऑस्‍ट्रेलिया को निर्यात होती है. हम खरबों में पेट्रोलियम प्रॉडक्‍ट आयात करते हैं, खरबों का डिफेंस का सामान हमें आयात करना पड़ता है. हमारा आर्थिक विकास तेज लेकिन स्थिर हो. 11.बचपन से सुनते आए हैं, हेल्‍थ इज वेल्‍थ, डिनर टेबल पर सब डाइटिंग की बात करते हैं. एक जमाना था जब गांव में एक वैद्य था और सब ठीक रहते थे. हम प्रिवेंटिव हेल्‍थ के प्रति उदासीन हैं, इस पर बल देना होगा. 12. पीने का शुद्ध पानी मिले तो आधी बीमारियां ठीक हो जाएंगी, मेरा स्‍वच्‍छता मिशन इसी ओर एक कदम है. अफोर्डेबल हेल्‍थकेयर भी बहुत जरूरी है. 13. परंपरागत खेती को तरीकों को तुरंत छोड़ना होगा. ऐसा न सोचें कि हमारा कृषि क्षेत्र गया-बीता है. कृषि जगत के लोगों को अाधुनिक खेती से जोड़ना होगा. PM मोदी ने mygov के साथ एक्टिवली जुड़ने के लिए लोगों को थैंक्यू भी बोला.

क्या होती है ये टाउनहॉल मीटिंग

है क्या है टाउनहॉल मीटिंग हमसे समझो. टाउनहॉल मीटिंग एक मोहल्ले वाली मीटिंग टाइप मीटिंग होती है. इंग्लैंड में नेता लोग किया करते थे. वहीं से ये कांसेप्ट अमेरिका के पास पहुंचा था और अब मोदी के पास पहुंच गया है.

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