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'ट्रंप ने 4 बार फोन किया, लेकिन PM मोदी ने बात नहीं की... ', जर्मन अखबार ने बड़े दावे किए हैं

जर्मनी के अखबार में कहा गया कि Donald Trump की आक्रामक ट्रेड पॉलिसी और भारत को 'डेड इकोनॉमी' कहने वाले बयान से PM Modi नाराज हैं. ट्रंप ने PM मोदी को राजी करने के लिए बार-बार कोशिश की. रिपोर्ट में और क्या कहा गया?

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रिपोर्ट में कहा गया कि PM मोदी, ट्रंप से नाराज हैं (फोटो: इंडिया टुडे)

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने हाल के हफ्तों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चार बार फोन किया. लेकिन PM मोदी ने उनसे बात करने से इनकार कर दिया. ये दावा जर्मन न्यूज पेपर फ्रैंकफर्टर ऑलगेमाइन (FAZ) ने किया है. अखबार में कहा गया कि ट्रंप की आक्रामक ट्रेड पॉलिसी और भारत को 'डेड इकोनॉमी' कहने वाले बयान से PM मोदी नाराज हैं.

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इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, FAZ का मतलब फ्रैंकफर्टर ऑलगेमाइन जिटुंग है. जर्मन में जिटुंग का मतलब अखबार होता है. 25 सालों से चले आ रहे भारत-अमेरिका संबंधों में तब खटास आ गई, जब ट्रंप ने भारत पर रूस से कच्चा तेल खरीदने पर भारत पर जुर्माना लगाया. इससे पहले, ट्रंप ने 31 जुलाई को कहा,

मुझे इसकी परवाह नहीं है कि भारत रूस के साथ क्या करता है. वे दोनों मिलकर अपनी डेड इकोनॉमी को नीचे गिरा सकते हैं.

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इसके बाद, मोदी ने 10 अगस्त को ट्रंप के 'डेड इकोनॉमी' वाले बयान पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि भारत दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने की दिशा में है.

अखबार में क्या कहा गया?

FAZ ने इस बात के संकेत दिए कि PM मोदी नाराज हैं और ट्रंप ने PM मोदी को राजी करने के लिए बार-बार कोशिश की. जर्मन अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह तथ्य कि भारत अभी भी बात करने से इनकार कर रहा है, यह उसके गुस्से की गहराई को दर्शाता है. लेकिन साथ ही उसकी सावधानी को भी दर्शाता है. अब सावधानी को कैसे दर्शाता है? अखबार ने यह भी बताया है. 

दरअसल, PM मोदी, वियतनाम के लीडर और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच हुए विवाद को लेकर सतर्क हैं. ट्रंप ने वियतनाम के जनरल सेक्रेटरी टो लैम के साथ एक फोन कॉल के दौरान अमेरिका और वियतनाम के बीच ट्रेड डील पर बात की. लेकिन किसी समझौते पर पहुंचे बिना ही, ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एलान कर दिया कि ट्रेड डील हो गई है. FAZ में कहा गया, “मोदी उसी जाल में नहीं फंसना चाहते.”

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सीजफायर को लेकर ट्रंप का दावा

FAZ की रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में ट्रंप के कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट ने भी विवाद खड़ा कर दिया था. दिल्ली के पास, ट्रंप परिवार की कंपनी ने उनके नाम से आलीशान टावर बनाए. बारह मिलियन यूरो तक की कीमत वाले 300 अपार्टमेंट मई में एक ही दिन में बिक गए. लेकिन जब ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने अकेले ही भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर करवाया तो भारतीयों में गुस्सा फैल गया. रिपोर्ट में कहा गया है, 

जब ट्रंप ने एलान किया कि वह पाकिस्तान के साथ तेल भंडार विकसित करेंगे, जिसे भारत अपने कट्टर दुश्मन से खरीदेगा. इससे स्थिति और खराब होती चली गई.

आगे कहा गया ​​कि जब ट्रंप ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर को ओवल ऑफिस में डिनर के लिए बुलाया, तो इसे भारत में उकसावे के तौर पर देखा गया.

चीन-भारत के बढ़ते संबंध

न्यूयॉर्क के न्यू स्कूल के भारत-चीन इंस्टीट्यूट के को-डॉयरेक्टर मार्क फ्रेजियर का कहना है कि अमेरिका की रणनीति काम नहीं कर रही है. उनके मुताबिक, भारत का कभी भी चीन के खिलाफ अमेरिका का साथ देने का इरादा नहीं था. FAZ ने अपनी रिपोर्ट में एक्सपर्ट के हवाले से लिखा कि भारत के अपने पड़ोसी देशों के साथ पुराने तनाव कम हो रहे हैं. पिछले साल चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद से, PM मोदी ने कहा कि उन्हें सबसे ज्यादा सम्मान महसूस हुआ है.

वहीं, इस हफ्ते के आखिर में PM मोदी SCO शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, जिससे यह सवाल उठने लगा है कि क्या ट्रंप भारत को चीन की तरफ धकेल रहे हैं. फ्रेजियर कहते हैं, 

भारत को चीन की जरूरत चीन से भी ज्यादा है. भारत का यह बदलाव रणनीतिक है, न कि सिर्फ अमेरिकी टैरिफ का जवाब. अमेरिका के पीछे हटने के साथ, भारत और चीन औद्योगिक विकास में समान रुचि रखते हैं. चीन के लिए, भारत उसकी वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है.

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50% टैरिफ आज से लागू

भारत को आज यानी 27 अगस्त से अमेरिका के 50 प्रतिशत के भारी टैरिफ का सामना करना पड़ेगा. 25 प्रतिशत का टैरिफ पहले से लागू था, अब अतिरिक्त पेनल्टी के तौर पर लगाया गया 25 प्रतिशत का टैरिफ भी इसमें जुड़ जाएगा. आशंका जताई जा रही है कि भारतीय बाजार पर इसका बुरा असर पड़ेगा. खासकर उन उत्पादों पर जिनपर मार्जिन यानी मुनाफा बहुत कम है और जिनमें ज्यादा मजदूरी लगती है.

FAZ की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के 50% टैरिफ से भारत के एक्सपोर्ट पर असर पड़ सकता है. भारत का 20% एक्सपोर्ट, जैसे कपड़े, ज्वेलरी और ऑटो पार्ट्स अमेरिका जाता है. इस भारी भरकम टैरिफ से भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.5% से घटकर 5.5% हो सकती है. यानी भारत की ग्रोथ रेट 1% तक घट सकती है.

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