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वाघ बकरी चाय के मालिक पराग देसाई का निधन, कुत्तों के हमले के बारे में क्या पता चला?

वाघ बकरी समूह के कार्यकारी निदेशक पराग देसाई की ब्रेन हैमरेज होने से मौत हो गई है. वे वाघ बाकरी चाय समूह के प्रबंधन निदेशक रसेश देसाई के बेटे थे. उन्हें इस व्यवसाय में 30 साल से भी ज्यादा का अनुभव था. इस दौरान उन्होंने कंपनी के सेल्स, मार्केटिंग और एक्सपोर्ट विभागों का नेतृत्व किया.

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वाघ बकरी समूह के कार्यकारी निदेशक पराग देसाई अहमदाबाद के एक निजी अस्पताल में हफ्ते भर भर्ती रहे. (फोटो क्रेडिट - सोशल मीडिया)

वाघ बकरी समूह (Wagh Bakri) के कार्यकारी निदेशक पराग देसाई का अहमदाबाद के एक निजी अस्पताल में निधन (Parag Desai Death) हो गया. वे 49 साल के थे. पराग देसाई के घर के पास अचानक हुई एक दुर्घटना में उनके सिर पर गंभीर चोट लगी थी. इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

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स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 15 अक्टूबर को पराग देसाई अपने घर के पास ही गिर पड़े थे. वे कुत्तों से बचने की कोशिश में भागते हुए सड़क पर गिर गए थे. इससे उन्हें ब्रेन हैमरेज हो गया. एक सुरक्षा गार्ड ने परिवार को इस घटना के बारे में बताया. उन्हें पास के ही शेल्बी अस्पताल में भर्ती कराया गया. इसके एक दिन बाद उन्हें सर्जरी के लिए जाइडस अस्पताल ले जाया गया.

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वे करीब एक हफ्ते तक अस्पताल में भर्ती रहे. इस दौरान वे सातों दिन वेंटिलेटर पर रहे. लेकिन 22 अक्टूबर को उनका निधन हो गया. इसके अगले दिन 23 अक्टूबर की सुबह थलतेज श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया. वाघ बकरी समूह ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर एक स्टोरी के जरिए ये जानकारी दी.

दक्षिण अफ्रीका से शुरू हुआ 'वाघ बकरी'

पराग देसाई वाघ बकरी चाय समूह के प्रबंधन निदेशक रसेश देसाई के बेटे थे. उन्हें इस व्यवसाय में 30 साल से भी ज्यादा का अनुभव था. इस दौरान उन्होंने कंपनी के सेल्स, मार्केटिंग और एक्सपोर्ट विभागों का नेतृत्व किया. इस दौरान कंपनी का टर्नओवर 1,500 करोड़ रुपये से ज्यादा रहा.

पराग देसाई ने वाघ बकरी समूह को चाय के उद्योग में एक अग्रणी समूह बनाया. इसके साथ ही वे भारतीय उद्योग महासंघ(CII) का हिस्सा भी थे. पराग देसाई ने अमेरिका की लॉन्ग आइलैंड यूनिवर्सिटी से MBA किया था.  

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वाघ बकरी चाय समूह भारत का एक अग्रणी चाय व्यवसायी है. वाघ बकरी की वेबसाइट के अनुसार, इसे नंददास देसाई ने 1892 में शुरू किया था. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में 500 एकड़ पर चाय के बगान के साथ इस व्यवसाय की शुरुआत की. लेकिन नस्लीय भेदभाव के चलते उन्हें वापस भारत आना पड़ा. यहां उनके बेटों ने व्यवसाय को आगे बढ़ाया. अब वाघ बकरी समूह का टर्नओवर 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा का है. वाघ बकरी समूह 5 करोड़ किलोग्राम से ज्यादा चाय बेचता है. 

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