केरल के पलक्कड़ की रहने वाली निमिषा प्रिया (Nimisha Priya Yemen Case), यमन में नर्स का काम करती थीं. 2017 में उन पर एक यमन नागरिक तलाल अब्दो मेहदी की हत्या का आरोप लगा. मामला यमन के सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और निमिषा को फांसी (Nimisha Priya Blood Money) की सजा सुनाई गई. नवंबर 2023 में सर्वोच्च न्यायिक परिषद से भी उनको राहत नहीं मिली. नर्स की अपील खारिज कर दी गई. भारत सरकार ने कहा है कि ये मामला उनके संज्ञान में है और वो निमिषा की सहायता के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. ऐसे में निमिषा के पास फांसी से बचने के और क्या विकल्प बचते हैं?
यमन में फांसी की सजा से ऐसे बच सकती हैं भारतीय नर्स निमिषा प्रिया, कुरान में सब लिखा है
Kerala Nurse Nimisha Priya Case: नवंबर 2023 में बातचीत शुरू करने के लिए परिवार ने लगभग 34 लाख रुपये का भुगतान किया. प्रिया के परिवार को मृत्युदंड माफ कराने के लिए संभवतः लगभग 3 करोड़ 43 लाख रुपये तक का भुगतान करना होगा.

निमिषा के परिवार को अब भी उम्मीद है कि उन्हें बचाया जा सकता है. उनके पास ब्लड मनी या दियाह (मुआवजा) का विकल्प है. यमन में शरिया कानून है. इस्लामी कानून में पीड़ितों को ये तय करने का अधिकार है कि अपराधियों को किस तरह से दंड दिया जाए. हत्या के मामले में ये अधिकार पीड़ितों के परिवार के पास होता है. हत्या के लिए मृत्युदंड की सजा दी जाती है. लेकिन पीड़ित परिवार (खासकर पीड़ित के वारिस) मुआवजे के बदले हत्या के दोषी को माफ करने का विकल्प चुन सकते हैं. इसी व्यवस्था को ब्लड मनी या दियाह कहते हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुरान में ब्लड मनी का जिक्र मिलता है. इसमें लिखा गया है,
"ऐ ईमान वालो! हत्या के मामलों में तुम्हारे लिए प्रतिशोध का नियम निर्धारित है- एक स्वतंत्र व्यक्ति के लिए एक स्वतंत्र व्यक्ति, एक दास के लिए एक दास, और एक महिला के लिए एक महिला. लेकिन अगर अपराधी को पीड़ित के अभिभावक द्वारा माफ कर दिया जाता है, तो निष्पक्ष रूप से 'ब्लड मनी' पर फैसला किया जाना चाहिए. और भुगतान विनम्रता से किया जाना चाहिए. ये तुम्हारे रब की ओर से एक रियायत और दया है. [2:178]"
इस नियम का पालन करने वाले अधिकतर देशों में मुआवजे की राशि तय नहीं है. आमतौर पर ये हत्यारे के परिवार या उनके प्रतिनिधियों और पीड़ित के परिवार के बीच बातचीत से तय की जाती है. हालांकि, कुछ इस्लामी देशों ने न्यूनतम मुआवजा राशि निर्धारित की है.
Yemen जाने पर प्रतिबंध हैयमन में काफी समय से गृह युद्ध चल रहा है. इसीलिए 2017 में भारत सरकार ने अपने नागरिकों के वहां जाने पर पाबंदी लगा दी थी. किसी विशेष परिस्थिति में ही भारतीय नागरिकों को यमन जाने की अनुमति मिलती है. निमिषा को सजा होने के बाद 2023 में उनका परिवार यमन जाना चाहता था. विदेश मंत्रालय ने इसकी इजाजत नहीं दी. इसके बाद उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की. इसके बाद 13 दिसंबर 2023 को हाई कोर्ट ने उनके परिवार को यमन जाने की अनुमति दी. हालांकि, कोर्ट ने ये भी कहा था कि इसमें केंद्र सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी.
नवंबर 2023 में बातचीत शुरू करने के लिए परिवार ने 40,000 डॉलर (लगभग 34 लाख रुपये) का भुगतान किया. प्रिया के परिवार को मृत्युदंड माफ कराने के लिए संभवतः 400,000 डॉलर (लगभग 3 करोड़ 43 लाख रुपये) तक का भुगतान करना होगा. 2020 में गठित ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ इन पैसों को जुटाने का प्रयास कर रहा है.
पूरा मामला क्या है?निमिषा, 2008 में यमन गई थीं और वहां प्राइवेट अस्पतालों में काम कर रही थीं. बाद में उन्होंने तलाल की मदद से अपना क्लिनिक खोला. रिपोर्ट्स के अनुसार, तलाल ने 2015 में केरल आकर निमिषा की शादी की तस्वीर चुरा ली और उसमें बदलाव कर ये दावा किया कि उसने निमिषा से शादी की है.
प्रिया की मां ने आरोप लगाया कि तलाल ने उनकी बेटी का पासपोर्ट छीन लिया था, ताकि वो यमन छोड़कर भारत न जा सके. उन्होंने कहा कि तलाल ने उनकी बेटी को सालों तक प्रताड़ित किया, नशीली दवाओं के प्रभाव में रखा, और उनके क्लिनिक और गहनों पर कब्जा कर लिया.
2017 में, निमिषा ने अपना पासपोर्ट वापस पाने के लिए तलाल को बेहोश करने की योजना बनाई. लेकिन, दवा की मात्रा ज्यादा होने से तलाल की मौत हो गई. 2020 में यमन की अदालत ने निमिषा को मौत की सजा सुनाई, जिसे 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा.
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