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"अपनी जान बचाने के लिए भाई को मरने छोड़ा..."- नूह हिंसा की ये कहानी परेशान कर देगी!

पानीपत के नूरवाला गांव से बृजमंडल यात्रा में शामिल होने पहुंचे थे अभिषेक. अब भाई ने कहा, अपनी जान बचाने के लिए मजबूरी में उसे छोड़ कर भागना पड़ा.

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नूह हिंसा के पीड़ित ने कहा अपनी जान बचाने के लिए भाई को मरने के लिए छोड़ कर भागना पड़ा. (फोटो क्रेडिट: पीटीआई/ट्विटर)

हरियाणा के नूह जिले में 31 जुलाई को बृजमंडल यात्रा निकाली गई. इसमें शामिल होने के लिए पानीपत के नूरवाला गांव के रहने वाले अभिषेक चौहान भी पहुंचे. लेकिन यहां और आस-पास के इलाकों में हिंसा भड़क गई. इसमें 22 साल के अभिषेक और 4 और लोगों की मौत हो गई है. अब अभिषेक के चचेरे भाई महेश ने बताया कि उन्हें अपनी जान बचाने के लिए, अपने मरते हुए भाई को छोड़कर जाना पड़ा था.

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इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक 25 साल के महेश ने बताया,

"हम नल्हर के शिव मंदिर से बाहर ही आए थे. हमने बाहर भीड़ को देखा. उनके पास तलवारें, बंदूक और पत्थर थे. वे हमारी तरफ दौड़ रहे थे. उन्होंने लोगों को मारना शुरू कर दिया. हम पर गोलियां चलाईं. कारों में आग लगाई. इसी में मेरे भाई को गोली लग गई. वो ज़मीन पर गिर पड़ा."

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महेश ने आगे कहा,

"मेरे भाई को गोली लगी थी. मैंने चिल्ला-चिल्लाकर लोगों से मदद मांगी लेकिन कोई हमारे पास नहीं था. मैंने कोशिश की कि मैं अभिषेक को वहां से निकालकर सुरक्षित जगह पर ले जाऊं. लेकिन उससे पहले ही एक आदमी ने तलवार से उसकी गर्दन काट दी. और तुरंत वहां से भाग खड़ा हुआ. मैं बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाकर वहां से भागा. मैंने एक तंबू में शरण ली."

13 लोगों के खिलाफ दर्ज हुई FIR

महेश ने बताया कि इसके एक घंटे बाद पुलिसवाले आए. वो उसे अस्पताल ले गए. जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया. महेश ने अपनी शिकायत में 13 लोगों के नाम लिखवाए हैं. नूह पुलिस स्टेशन में इनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302, 248, 249, 307, 324 और आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत मामला दर्ज़ किया गया है.

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अभिषेक के मामा राजेंद्र चौहान ने बताया कि वो परिवार में अकेला कमाने वाला था. वो एक अगस्त की सुबह अभिषेक का शव लेने नूह पहुंचे थे. उन्होंने कहा,

"मुझे नहीं पता कि मैं अपनी बहन को क्या बताऊं? उसने 12वीं तक पढ़ाई की थी. परिवार के आर्थिक हालात ठीक नहीं थे. इसके चलते वो कार मैकेनिक का काम करने लगा था."

इस घटना में 24 साल के दिनेश कुमार को भी गोली लगी है. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया,

“मैं नूह में बस से आए 80 लोगों में से एक था. हमले की खबर सुनकर हम मंदिर के पास चौक पर ही रूक गए. हमने दूसरी तरफ के लोगों से बात करने की कोशिश की. 4 लोगों ने हमें भरोसा दिया कि कुछ नहीं होगा. लेकिन कुछ ही मिनटों में लोगों ने हम पर पत्थर फेंकने शुरू कर दिए. इसी दौरान मुझे गोली लगी."

इससे पहले, मेवात के इलाके में 31 जुलाई को बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (VHP) की ओर से 'बृज मंडल जलाभिषेक यात्रा' निकाली गई थी. इसमें करीब एक हजार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था.

पुलिस ने बताया है कि युवकों के एक समूह ने इस यात्रा को रोका. इसके बाद दोनों पक्षों में झड़प हो गई. फिर पथराव और आगजनी होने लगी. देखते ही देखते हिंसा भड़क उठी. 

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