नेपाल में युवाओं के विरोध प्रदर्शन के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया. ये सब कुछ बहुत जल्दी हुआ, सिर्फ दो दिन में. बीते साल बांग्लादेश में भी यही हुआ था, जब प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार बड़े जनआंदोलन के बाद हटाई गई थीं.
नेपाल और बांग्लादेश के तख्ता पलट में ये बातें एक जैसी
Nepal Protest: 9 सितंबर को PM KP Sharma Oli ने इस्तीफा दिया. ठीक इसी पैटर्न पर 5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा था. इन दोनों देशों में जो हुआ, उसमें पांच बातें एक जैसी रहीं.


नेपाल में सोमवार, 8 सितंबर को Gen Z यानी युवाओं का भारी विरोध प्रदर्शन हुआ. इस पर काबू पाने के लिए सरकार को कई शहरों में कर्फ्यू लगाना पड़ा. लेकिन हालात नहीं बदले. मंगलवार, 9 सितंबर को प्रदर्शनकारियों ने नेपाल की संसद को आग के हवाले कर दिया. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्रियों और नेताओं के घरों और दफ्तरों को भी फूंका गया और तोड़फोड़ की गई.

इस सबके बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया. ठीक इसी पैटर्न पर 5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा था. इन दोनों देशों में जो हुआ, उसमें पांच बातें एक जैसी रहीं.
1. नौजवानों और छात्रों ने मोर्चा संभाला
नेपाल में सबसे पहले विरोध की शुरुआत जेनरेशन Z यानी Gen Z ने की. ये आंदोलन काठमांडू से शुरू हुआ और फिर पूरे देश में फैल गया. कई छात्र स्कूल-कॉलेज की यूनिफॉर्म पहनकर सड़क पर उतरे और नारेबाजी की. भ्रष्टाचार, गैरबराबरी और सोशल मीडिया बंद करने के खिलाफ उन्होंने जोरदार प्रदर्शन किया.

ऐसा ही जुलाई-अगस्त 2024 के दौरान बांग्लादेश में हुआ था. ढाका में यूनिवर्सिटी के छात्रों ने 1971 युद्ध लड़ने वालों के वंशजों के लिए आरक्षित सिविल सेवाओं में 30% आरक्षण के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया था. उनका कहना था कि ये आरक्षण सिर्फ शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के लोगों को फायदा पहुंचा रहा है. दोनों देशों में सोशल मीडिया ने आंदोलन फैलाने में बड़ी भूमिका निभाई.
2. आवाज दबाने का आरोप बना आंदोलन की वजह
नेपाल में सरकार ने 26 सोशल मीडिया ऐप्स (जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम और X) को बैन कर दिया. सोशल मीडिया साइट्स ने सरकार का नियम नहीं माना, जिसके बाद उन्हें बैन किया गया. ठीक इसके बाद आंदोलन की शुरुआत हो गई.
हालांकि, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ये आंदोलन सोशल साइट्स बंद करने के खिलाफ नहीं है, बल्कि भ्रष्टाचार और गैरबराबरी के विरोध में है. वैसे ही बांग्लादेश में भी सरकारी नौकरियों में 30% आरक्षण ने लोगों का गुस्सा भड़का दिया.

वहीं ढाका में छात्रों ने तर्क दिया था कि इसने भ्रष्टाचार और वंशवादी राजनीति से ग्रस्त देश में भाई-भतीजावाद को बढ़ावा दिया है. ठीक उसी तरह जैसे नेपाल का सोशल मीडिया पर बैन बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के घोटालों के बीच युवा आवाजों को दबाने के तौर पर देखा गया.
3. प्रदर्शन में हुई मौतें, गुस्सा और बढ़ा
नेपाल में पहले ही दिन 20 लोगों की जान चली गई, जिनमें ज्यादातर छात्र थे. इसके बाद आंदोलन और तेज हो गया. बांग्लादेश में तो हालात और भी खराब थे. वहां जुलाई-अगस्त 2024 के बीच प्रदर्शन के दौरान करीब 1,500 लोग मारे गए थे. दोनों जगह सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर सख्ती दिखाई. प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई गईं, जिसके जवाब में उन्होंने सुरक्षाकर्मियों पर हमले किए. सरकार की सख्ती ने लोगों के गुस्से को और भड़का दिया.
4. मंत्रियों के घर और सरकारी इमारतें बनीं निशाना
नेपाल और बांग्लादेश में प्रदर्शनकारियों ने नेताओं के घरों पर हमला किया, सरकारी इमारतों को आग लगाई और सड़कों पर हंगामा किया. नेपाल में प्रधानमंत्री ओली के घर पर हमला हुआ और उन्हें हेलिकॉप्टर से भागना पड़ा.

बांग्लादेश में भी शेख हसीना के घर, संसद और थानों पर हमला हुआ था. कई मंत्री छुपने पर मजबूर हो गए थे. उग्र प्रदर्शन के बीच शेख हसीना को भी हेलिकॉप्टर से देश छोड़कर भागना पड़ा. जैसे बांग्लादेश में अनीसुल हक और अमीर हुसैन अमू जैसे मंत्रियों के घरों को आग लगा दी गई, वैसे ही नेपाल के पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक (जिन्होंने 8 सितंबर को इस्तीफा दिया) पर भी हमला किया गया.
प्रदर्शनकारियों ने CPN (माओवादी सेंटर) के अध्यक्ष, पूर्व पीएम और मुख्य विपक्षी नेता पुष्प कमल दहल के खुमल्तार स्थित आवास पर पथराव किया. अन्य मंत्रियों के घरों में भी तोड़फोड़ की गई. नेपाल में 9 सितंबर को डिप्टी पीएम और वित्त मंत्री बिष्णु प्रसाद पौडेल की प्रदर्शनकारियों ने पिटाई कर दी.
5. प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा, सेना का रोल
नेपाल में सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल ने प्रधानमंत्री ओली से कहा कि वो इस्तीफा दें, तभी सेना हालात संभाल पाएगी. ओली ने उनकी बात मान ली और इस्तीफा दे दिया. बिल्कुल इसी तरह 5 अगस्त, 2024 को बांग्लदेश में भी सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां ने शेख हसीना से इस्तीफा देने को कहा और उन्हें देश छोड़ना पड़ा. दोनों देशों में आखिरकार सेना को सामने आना पड़ा.

बांग्लादेश और नेपाल, दोनों भारत के पड़ोसी हैं और दोनों में तख्तापलट जनता के गुस्से से हुआ. छात्रों और युवाओं ने सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर भ्रष्टाचार और पक्षपात के खिलाफ आवाज उठाई. हालांकि, हिंसक प्रदर्शन में कई लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी.
वीडियो: नेपाल में Gen-Z के प्रोटेस्ट के दूसरे दिन हिंसा, कई बड़े नेताओं का घर फूंका