केंद्र की मोदी सरकार ने कश्मीर को लेकर एक बड़ा फैसला किया है. राज्य में 90 के दशक में हुई कश्मीरी पंडितों की हत्याओं के केस फिर खोले जा रहे हैं. शुरुआत जस्टिस नीलकंठ गंजू हत्याकांड से हुई है. जम्मू-कश्मीर की स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) ने मोर्चा संभाल लिया है. 1989 में जस्टिस नीलकंठ गंजू की हत्या श्रीनगर में हुई थी.
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आजतक से जुड़े सुनील जी भट्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस गंजू की हत्या के पीछे बड़ी आपराधिक साजिश का पता लगाने के लिए SIA ने एक प्रेस रिलीज जारी की है. इसमें इस मर्डर केस से जुड़े तथ्यों या हालात से परिचित लोगों से आगे आने और जानकारी साझा करने की अपील की गई है. एजेंसी की ओर से कहा गया है कि जिसे भी इस घटना के बारे में कोई जानकारी है तो वो इसे साझा करे.
SIA से जुड़े एक अधिकारी ने सोमवार, 7 अगस्त को कहा,
'करीब 30 साल पहले रिटायर्ड जस्टिस नीलकंठ गंजू की हत्या के पीछे बड़ी आपराधिक साजिश का पता लगाने के लिए एक प्रेस रिलीज जारी की गई है. इसमें लोगों से घटना से जुड़ी जानकारी साझा करने की अपील की गई है.'
SIA की ओर से ये भी कहा गया है कि जो लोग मामले से जुड़ी जानकारी देंगे, उनकी पहचान छिपा कर रखी जाएगी. जानकारी देने वाले व्यक्ति को इनाम दिया जाएगा. लोगों से मोबाइल नंबर- 8899004976- और ईमेल - sspsia-kmr@jkpolice.gov.in- पर जांच एजेंसी के अधिकारियों से जानकारी शेयर करने की अपील की गई है.
बता दें कि जस्टिस नीलकंठ गंजू ने 1960 के दशक में पुलिस अधिकारी अमर चंद की हत्या से जुड़े मामले की सुनवाई की थी. इस मामले में फैसला सुनाते हुए उन्होंने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के संस्थापक मोहम्मद मकबूल भट्ट को मौत की सजा सुनाई थी. इसके बाद नवंबर 1989 में जेकेएलएफ से जुड़े आतंकवादियों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी.
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