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सीवर साफ करने उतरे दो मजदूरों की दम घुटने से मौत, राजधानी दिल्ली की घटना

Delhi: नरेला इलाके में सफाई करने के लिए दो मजदूर सीवर में उतरे थे. लेकिन अंदर जहरीली गैस मौजूद होने के कारण उनका दम घुटने लगा. जिससे वे बेहोश हो गए. अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया.

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सीवर सफाई के दौरान दो मजदूरों की मौत (फोटो: आजतक)

राजधानी दिल्ली के नरेला इलाके में सीवर की सफाई के दौरान दो मजदूरों की दम घुटने से मौत हो गई (Narela Sewer Cleaning Deaths). जबकि एक तीसरा मजदूर बेहोश हो गया. उसे स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है. बताया जा रहा है कि सफाई के दौरान तीनों जहरीली गैस की चपेट में आ गए थे. पुलिस ने इसे लापरवाही का मामला मानते हुए केस दर्ज कर लिया है.

क्या है पूरा मामला?

इंडिया टुडे से जुड़े हिमांशु मिश्रा की रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार, 21 फरवरी की दोपहर करीब 12:15 से 12:30 बजे के बीच ये हादसा हुआ. नरेला इलाके के पॉकेट-6 में मानसा देवी अपार्टमेंट के पास सफाई करने के लिए सिरका कंपनी के दो मजदूर सीवर में उतरे थे. लेकिन अंदर जहरीली गैस मौजूद होने के कारण उनका दम घुटने लगा. जिससे वे बेहोश हो गए. जब काफी देर तक दोनों बाहर नहीं आए तो उनकी मदद करने के लिए एक तीसरा मजदूर सीवर में उतरा. लेकिन वह भी जहरीली गैस की चपेट में आ गया और बेहोश हो गया. इसके बाद आसपास के लोगों ने पुलिस को सूचना दी.

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दम घुटने से मौत

मौके पर पहुंची पुलिस ने तीनों को आनन-फानन SRCH अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां डॉक्टरों ने दो मजूदरों को मृत घोषित कर दिया. ये वही मजदूर थे जो सीवर में पहले उतरे थे. मृतकों की पहचान बेगूसराय के रहने वाले विजय मोची (36) और मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ निवासी नंदू (44) के तौर पर हुई है. वहीं, तीसरे मजदूर की पहचान भोजपुर निवासी अनिल कुमार (37) के रूप में हुई है. जिसकी हालत गंभीर बनी हुई है. डॉक्टरों का कहना है कि वह अभी कुछ भी कह पाने की स्थिति में नहीं है. पुलिस ने घटनास्थल पर जाकर सबूत जुटाए हैं. इस मामले में BNS धारा 125 (किसी व्यक्ति की जान को खतरे में डालना) और 106 (लापरवाही की वजह से मौत) के तहत केस दर्ज किया गया है. फिलहाल, पुलिस मामले की जांच चल रही है.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़, 2019 से 2023 के बीच देश भर में कम से कम 377 लोगों की मौत सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई के दौरान हुई है. आलोचक बार-बार सवाल उठाते रहे हैं कि जब इस तरह की सफाई के लिए मशीनों की व्यवस्था की जा सकती है, तो लोगों को सीवर और सेप्टिक टैंक्स में क्यों उतारा जाता है?

वीडियो: सीवर-सेप्टिक टैंकों की सफाई में लगे किस समुदाय से?