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इस देश में खाने के लाले पड़े, सरकार ने 700 जानवरों को मारकर मांस बांटने का एलान किया!

यहां की लगभग आधी आबादी यानी 14 लाख लोगों को भीषण सूखे के कारण खाने-पीने की भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में सरकार ने लोगों को भोजन उपलब्ध कराने की योजना के तहत हाथियों समेत 700 जानवरों को मारने की मंजूरी दी है.

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सूखे की मार झेल रहा है नामीबिया. (प्रतीकात्मक फोटो)

अफ्रीकी देश नामीबिया (Namibia) में 700 से ज्यादा जंगली जानवरों को मारने का फैसला लिया गया है. इन जानवरों में हाथी, दरियाई घोड़े और जेब्रा शामिल हैं. ये फैसला देश में चल रहे भयंकर सूखे के कारण पैदा हुए खाद्य संकट के कारण लिया गया है. इस फैसले से नामीबिया की सरकार ने अपने 1.4 मिलियन लोगों, देश की लगभग आधी आबादी के लिए मांस उपलब्ध कराने की योजना बनाई है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, नामीबिया पिछले 100 सालों के सबसे खराब सूखे से जूझ रहा है. लोगों को खाने-पीने की भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बताया जा रहा है कि अनाज के गोदाम खाली हो चुके हैं. ऐसे में सरकार ने लोगों को भोजन उपलब्ध कराने की योजना के तहत हाथियों सहित अन्य जानवरों को मारने की मंजूरी दी है. जानवरों को इस तरह मारने को कल‍िंंग कहा जाता है. इस योजना के तहत कुल 723 जानवरों की सूची तैयार की गई है. जिनमें 30 दरियाई घोड़े, 60 भैंस, 50 इम्पाला, 100 ब्लू वाइल्डबीस्ट, 300 जेब्रा, 83 हाथी और 100 एलैंड्स (एक प्रकार का हिरण) शामिल हैं. वहीं, 150 से अधिक जानवर पहले ही मारे जा चुके हैं, और उनसे लगभग 63 टन मांस निकाला जा चुका है.

इस योजना के तहत देश के पर्यावरण, वानिकी और पर्यटन मंत्रालय ने 26 अगस्त को एक प्रेस बयान में कहा, 

"यह आवश्यक है और हमारे संवैधानिक जनादेश के अनुरूप है जहां हमारे प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग नामीबियाई नागरिकों के लाभ के लिए किया जाता है."

सरकार का मत है कि इस तरह लोगों के लिए मांस उपलब्ध कराया जा सकेगा. साथ ही जंगली जानवरों के संरक्षण पर सूखे के नकारात्मक प्रभाव को भी कम किया जा सकेगा. क्योंकि ये जानवर सूखे के कारण चारागाह वाले इलाकों और पानी के लिए प्रतिस्पर्धा पैदा कर रहे हैं. पर्यावरण, वानिकी और पर्यटन मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि उसे यह भी उम्मीद है कि कुछ जानवरों को मारने से वन्यजीवों पर सूखे का प्रभाव कम हो जाएगा.

इसके अलावा, सरकार के इस फैसले का एक और मकसद है. सरकार को डर है कि सूखा जानवरों को भोजन और पानी की तलाश में पलायन करने के लिए मजबूर कर देगा. जिससे उनका आबादी वाले इलाकों में अतिक्रमण हो सकता है, जिससे संघर्ष की स्थिति पैदा हो सकती है. देश में 24,000 हाथियों सहित जंगली जानवरों की एक बड़ी संख्या है, जो दुनिया की सबसे बड़ी आबादी में से एक है.

नामीबिया में सूखे का कारण क्या है?

नामीबिया, भौगोलिक तौर पर दक्षिण अफ्रीका के सूखाग्रस्त इलाके में स्थित है. ऐसे में ये देश अक्सर ऐसी भौगोलिक घटनाओं से जूझता रहा है. यहां साल 2013, 2016 और 2019 में अत्यधिक सूखे के कारण राष्ट्रीय आपात स्थिति की घोषणा की गई थी. लेकिन मौजूदा स्थिति विशेष रूप से व्यापक और विनाशकारी है. यूरोपीय आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा सूखे की शुरुआत अक्टूबर 2023 में बोत्सवाना में शुरू हुई. जिसके बाद ये अंगोला, जाम्बिया, जिम्बाब्वे और नामीबिया में फैल गया और तेज हो गया और आज दक्षिणी अफ्रीका के अधिकांश हिस्से को प्रभावित कर रहा है.

रिपोर्ट के मुताबिक, नामीबिया में स्थिति मुख्य रूप से एल नीनो के कारण इतनी खराब हुई है. एल नीनो, उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्र के तापमान में बदलाव की वजह से होने वाला एक मौसमी पैटर्न है. ये दुनिया और महासागर के कई हिस्सों में अत्यधिक गर्मी और शुष्क मौसम से जुड़ा हुआ पैटर्न है. 2023 में सात साल बाद एल नीनो घटना लौटी, जिससे पूरे क्षेत्र में औसत से ज्यादा तापमान और न्यूनतम वर्षा हुई. ऐसे में मिट्टी में नमी की गंभीर कमी के कारण सूखा पड़ा.

सूखे ने नामीबिया को कैसे प्रभावित किया है?

आमतौर पर नामीबिया में जुलाई से सितंबर तक भोजन की उपलब्धता कम होती है. ऐसे में मौजूदा सूखे के संकट से स्थिति और भी खराब हो गई है. संयुक्त राष्ट्र के एक प्रवक्ता के मुताबिक, मक्का जैसी मुख्य फसलें सूख गई हैं, बड़ी संख्या में पशु मर चुके हैं और देश का लगभग 84% खाद्य भंडार समाप्त हो गया है. जैसे-जैसे खाने-पीने का स्टॉक कम हुआ है, कीमतें आसमान छू रही हैं, जिससे बड़ी संख्या में लोगों की भोजन तक पहुंच कम हो गई है. 

अब ये भी जान लेते हैं कि नामीबिया में मांस के लिए जंगली जानवरों को मारने का फैसला कोई असामान्य फैसला है या ऐसा चलन दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में हमेशा से प्रचलित रहा है? दरअसल, दुनिया भर में भोजन, खेल आदि के लिए विभिन्न प्रजातियों के जंगली जानवरों का शिकार किया जाता है. जेब्रा, ब्लू वाइल्डबीस्ट और इम्पाला जैसे जानवरों को आमतौर पर दक्षिणी अफ़्रीकी क्षेत्र के लोगों द्वारा खाया जाता रहा है. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अफ्रीका कार्यालय के निदेशक रोज़ मवेबाज़ा ने NYT से बातचीत में बताया की नामीबिया में जानवरों को मारे जाने का फैसला चिंता का विषय नहीं होना चाहिए. क्यूंकि, इन जानवरों को वैज्ञानिक और टिकाऊ तरीकों का उपयोग करके ही मारा जाता है जो पशु कल्याण को ध्यान में रखते हुए और घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं और कानून दोनों के अनुरूप होते हैं. 
 

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