जंग ने कहा कि वे अब वापस अकादमिक दुनिया में वापस जाना चाहते हैं.
वैसे सुनी-सुनाई ये है कि इस्तीफ़े के पीछे एक वजह दिल्ली की AAP सरकार और उनके बीच की तनातनी हो सकती है. इस केस में हाई कोर्ट ने जंग के पक्ष में अपना फैसला दिया था. मामले की सुनवाई फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में चल रही है, लेकिन कोर्ट अब तक की अपनी टिप्पणियों में 'चुनी हुई सरकार' की तरफ झुकी नज़र आ रही थी.इसलिए जनवरी के आस-पास जब कोर्ट ने अपना फैसला सुनाती, जंग के मुश्किल खड़ी हो सकती थी. इसलिए शायद जंग ने अभी इस्तीफ़ा देना ठीक समझा हो.
खैर, जो भी हो, जंग के इस्तीफ़े ने हर किसी को बयान जरी करने का मौका दे दिया है. आप वाले पूछ रहे हैं कि 'जंग के जाने बाद जंग खत्म होगी कि नहीं' और भाजपा वाले कह रहे हैं कि 'संवैधानिक पद की गरिमा का ध्यान रख कर बोलें, हमने इस्तीफ़े का कोई दबाव नहीं डाला'. जब तक राष्ट्रपति जंग का इस्तीफ़ा मंज़ूर नहीं कर लेते, जंग अपने पद पर बने रहेंगे. गृह मंत्रालय में एक मीटिंग इस्तीफ़े पर हो चुकी है लेकिन ज़्यादा जानकारी का इंतज़ार है.ये भी पढ़ें: इस्तीफा देने के बाद ये पांच चीजें कर सकते हैं नजीब जंग