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मोदी और केजरीवाल को थैंक यू कहकर नजीब जंग ने इस्तीफ़ा दे दिया है

अभी उनके रिटायर होने में 18 महीने थे

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फोटो - thelallantop
दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर नजीब जंग ने अपने पद से 'निजी कारणों के चलते' इस्तीफ़ा दे दिया है. जंग के इस्तीफे ने सभी को चौंकाया, क्योंकि आज दोपहर दिल्ली राजभवन से इस्तीफ़े वाला बयान आने से पहले किसी ने कोई भनक नहीं सुनी थी. नजीब के रिटायर होने में अभी 18 महीने और थे. इसलिए जिसने ये सुना, "हें??" कहकर दोबारा पूछा. अपने बयान में जंग ने प्रधानमंत्री का शुक्रिया अदा किया है. और साथ ही दिल्ली की जनता का भी, जिसने 'उनका बहुत साथ दिया, खासकर एक साल के राष्ट्रपति शासन के दौरान'. दिल बड़ा कर के उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भी शुक्रिया अदा किया. एक समय मध्यप्रदेश कैडर से आईएएस रहे नजीब जंग, तेजिंदर खन्ना की जगह जुलाई 2013 में दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर बने थे. उस से पहले 2009 से 2013 तक जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलपति थे. आईआईटी के बोर्ड के सदस्य भी रहे थे.

जंग ने कहा कि वे अब वापस अकादमिक दुनिया में वापस जाना चाहते हैं.

वैसे सुनी-सुनाई ये है कि इस्तीफ़े के पीछे एक वजह दिल्ली की AAP सरकार और उनके बीच की तनातनी हो सकती है. इस केस में हाई कोर्ट ने जंग के पक्ष में अपना फैसला दिया था. मामले की सुनवाई फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में चल रही है, लेकिन कोर्ट अब तक की अपनी टिप्पणियों में 'चुनी हुई सरकार' की तरफ झुकी नज़र आ रही थी.

इसलिए जनवरी के आस-पास जब कोर्ट ने अपना फैसला सुनाती, जंग के मुश्किल खड़ी हो सकती थी. इसलिए शायद जंग ने अभी इस्तीफ़ा देना ठीक समझा हो. 

खैर, जो भी हो, जंग के इस्तीफ़े ने हर किसी को बयान जरी करने का मौका दे दिया है. आप वाले पूछ रहे हैं कि 'जंग के जाने बाद जंग खत्म होगी कि नहीं' और भाजपा वाले कह रहे हैं कि 'संवैधानिक पद की गरिमा का ध्यान रख कर बोलें, हमने इस्तीफ़े का कोई दबाव नहीं डाला'. जब तक राष्ट्रपति जंग का इस्तीफ़ा मंज़ूर नहीं कर लेते, जंग अपने पद पर बने रहेंगे. गृह मंत्रालय में एक मीटिंग इस्तीफ़े पर हो चुकी है लेकिन ज़्यादा जानकारी का इंतज़ार है.
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