समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को 11 अक्टूबर को आखिरी विदाई दी गई. 10 अक्टूबर को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस लेने के बाद मुलायम सिंह का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव सैफई लाया गया था. वही सैफई, जहां सैफई महोत्सव आयोजित कराकर सपा सरकार ने अपने हिस्से की आलोचना भी बटोर ली थी. मध्य प्रदेश की सीमा के पास बसे रूखे से इस कस्बे में बॉलीवुड के सितारे नाच रहे थे. लाइटें आसमान की ओर देख रही थीं. सब कुछ रगजग था. वही सैफई, जो यूपी का बस एक गांव नहीं है, उसे मुलायम का सैफई कहा जाता है. सपा की सरकार जब आई, सैफई को आस बंधी. मेडिकल कॉलेज मिला, हवाई पट्टी मिली, स्टेडियम मिले.
मुलायम सिंह के गांव सैफई की फ़ोटो देखिए, बॉलीवुड के स्टार आकर डांस करते थे!
देखने वाले कहते हैं- "ये मुलायम का सैफई है!"

मुलायम सिंह का जन्म 22 नवंबर, 1939 को सैफई में हुआ था. वो तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे. जाहिर है इसका फायदा सैफई को खूब मिला. मुलायम सिंह के नेतृत्व वाली सरकारों के दौरान सैफई में इन्फ्रास्ट्रक्चर और विकास के अन्य कई काम हुए. इनके चलते आज इटावा जिले के इस गांव को देश के सबसे विकसित ग्रामीण इलाकों में गिना जाता है.

मुलायम सिंह एक गरीब किसान परिवार में पैदा हुए. उन्हें विरासत में कच्चा मकान मिला था. उसी में रहकर उन्होंने पढ़ाई की. लेकिन आज के सैफई के ज्यादातर लोग पक्के मकानों में रहते हैं. कई लेन वाली सड़कें इस गांव से होकर गुजरती हैं जिनके नजदीक खेतों के बीच इमारतें औरं बंगले बने हैं. आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे भी सैफई की बगल से गुजरता है.
सपा संस्थापक बताते थे कि उनके बचपन और युवावस्था के समय सैफई में पक्की सड़क ढूंढे नहीं मिलती थी. सारी सड़कें कच्ची थीं. लेकिन आज इस गांव की सड़कों को देखकर शहर और गांव में अंतर करना मुश्किल है.

1993 से पहले सैफई भी यूपी का एक आम गांव था. साफ-सफाई का काम पुराने ढर्रे पर चल रहा था. बिजली रहती थी, नहीं रहती थी. लोगों में सुरक्षा का अभाव था.
लेकिन मुलायम के सीएम बनने के बाद गांव का चेहरा बदला.

ये कहना गलत नहीं होगा कि मुलायम सिंह का सैफई बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर से बहुत आगे निकल गया है. बिजली, पानी, सीवेज, प्राथमिक शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं के अलावा यहां उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज भी मौजूद हैं. यहां बने उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय की तुलना दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान से की जाती है.

अब तो सैफई को एक स्पोर्ट्स हब भी कहा जाता है. यहां क्रिकेट, हॉकी समेत कई खेलों के स्टेडियम मौजूद हैं. सपा इन स्टेडियम में रनिंग ट्रैक, स्विमिंग पूल जैसी कई सुविधाएं ऐथलीट्स को देने की दावा करती रही है.

इस सबके अलावा सैफई अपनी वीवीआईपी एयर स्ट्रिप के लिए भी जाना जाता है.

7 हजार लोगों की आबादी (जनगणना 2011) वाले सैफई में 1997 से हर साल एक महोत्सव मनाया जाता था- सैफई महोत्सव. बाद में इसे "रणवीर सिंह स्मृति सैफई महोत्सव" का नाम दे दिया गया. रणवीर सिंह मुलायम सिंह के भतीजे थे. 2002 में उनकी मौत हो गई थी.
1997 से चले आ रहे इस आयोजन में स्थानीय कलाकारों के साथ बॉलीवुड की बड़ी हस्तियां भी परफॉर्म करती थीं. विपक्ष आरोप लगाता था कि सपा के नेतृत्व वाली सरकारें "सैफई महोत्सव" के नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग कर रही थीं. सपा इससे इनकार करती थी. पार्टी के समर्थक कहते हैं कि सपा सत्ता में रहे या ना रहे, सैफई महोत्सव की चमक-दमक बनी रहती थी.

हर साल सैफई में बने “निवास मैदान” पर ये महोत्सव आयोजित किया जाता था. शाम होते ही गांव की सड़कों पर बड़ी संख्या में एसयूवी, वैन, मोटरसाइकिल दिखने लगती थीं. खुद मुलायम सिंह बेटे अखिलेश समेत पूरे यादव परिवार के साथ सैफई महोत्सव देखने जाते थे.

हालांकि 2016 के बाद से सैफई महोत्सव लगातार कैंसिल होता आ रहा है. इसकी साफ वजह कभी पता नहीं चल सकी. अटकलें लगती रहीं कि यादव परिवार की भीतरी कलह इसकी एक वजह हो सकती है.
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