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मुरैना कलेक्टर की गाड़ी टोल पर फंसी, पूरे स्टाफ को गिरफ्तार करवाने का आरोप लगा!

आरोप है कि मुरैना कलेक्टर को 10 मिनट इंतजार करना पड़ गया तो टोल प्लाजा के कर्मियों को गिरफ्तार करा दिया. हालांकि, कलेक्टर और पुलिस ने कुछ और ही कहानी बताई है.

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बताया जा रहा है कि टोल प्लाजा पर गाड़ियों की लाइन लगी हुई थी. (फोटो: हेमंत शर्मा/आजतक)

मध्यप्रदेश में मुरैना जिले के कलेक्टर पर आरोप है कि उन्होंने एक टोल प्लाजा के कर्मचारियों को जेल भिजवा दिया. कहा जा रहा है कि कलेक्टर ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उनकी गाड़ी को वहां कुछ देर इंतजार करना पड़ गया था. हालांकि, मुरैना के कलेक्टर अंकित अस्थाना ने इस बात से इनकार किया है. उन्होंने कहा है कि ये खबर तथ्यात्मक रूप से गलत है. असल में क्या हुआ था, मुरैना के DM पर क्या आरोप लगे हैं, पुलिस ने क्या बताया और गिरफ्तार हुए टोल प्लाजा के कर्मी क्या कह रहे? हम आपको पूरी बात एक-एक कर बताते हैं. 

आजतक के हेमंत शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक घटना 26 सितंबर की रात की है. मुरैना के कलेक्टर अंकित अस्थाना ग्वालियर से मुरैना जा रहे थे. मुरैना से कुछ दूर पहले छौंदा टोल प्लाजा पड़ता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब कलेक्टर की गाड़ी छौंदा टोल प्लाजा पहुंची तो वहां गाड़ियों की लाइन लगी हुई थी. एक-एक करके गाड़ियां निकल रही थीं. इस वजह से मुरैना कलेक्टर की गाड़ी 10 मिनट से ज्यादा समय तक टोल प्लाजा पर फंसी रही. 

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसी वजह से कलेक्टर अंकित अस्थाना ने तुरंत मुरैना के SP शैलेंद्र सिंह को फोन लगा दिया. इसके बाद मुरैना SP (पुलिस अधीक्षक) शैलेंद्र सिंह ने सिविल लाइन थाना पुलिस को टोल प्लाजा पर भेजा. पुलिस ने टोल प्लाजा के मैनेजर समर्थ गर्ग सहित 6 कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस सभी कर्मचारियों को थाने ले गई और उनके खिलाफ शांति भंग करने की धारा में FIR दर्ज की गई.

पुलिस बोली- ‘टोल प्लाजा पर बवाल हो रहा था’

आजतक की सिविल लाइन थाने के टाउन इंस्पेक्टर वीरेश कुशवाहा से भी फोन पर बात हुई. इंस्पेक्टर ने बताया कि कलेक्टर अंकित अस्थाना जब टोल प्लाजा पर पहुंचे थे, तो वहां टोल कर्मचारियों का एक ट्रक ड्राइवर से टोल टैक्स वसूलने को लेकर विवाद हो रहा था. विवाद देखकर उन्होंने पुलिस को सूचना दी थी. इसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और टोल कर्मचारियों को गिरफ्तार किया. उनके खिलाफ शांति भंग करने की धाराओं में FIR दर्ज की गई. इसके बाद उन्हें SDM कोर्ट में पेश किया गया, जहां से टोल कर्मचारियों को जमानत मिल गई.

टोल प्लाजा के मैनेजर ने क्या बताया?

27 सितंबर को मैनेजर सहित सभी 6 कर्मचारियों को SDM कोर्ट में पेश किया गया था. यहां सभी कर्मचारियों को जमानत पर रिहा किया गया. इस मामले पर टोल प्लाजा के मैनेजर समर्थ गर्ग ने आजतक को फोन पर बताया,

"मुरैना कलेक्टर की गाड़ी टोल प्लाजा से गुजर रही थी. वाहन अधिक होने की वजह से उनकी गाड़ी 10 मिनट तक टोल प्लाजा पर खड़ी रह गई. इसी वजह से उन्होंने पुलिस बुलवाकर हमें थाने में बंद करवा दिया."

जब समर्थ गर्ग से पूछा गया कि VIP और अधिकारियों के निकलने के लिए कोई अलग से लाइन नहीं है. इस पर उन्होंने कहा कि टोल प्लाजा पर VIP और अधिकारियों के लिए अलग से कोई लाइन नहीं बनाई गई है.

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मुरैना के DM बोले- ‘टोल प्लाजा की शिकायतें आ रही थीं’

लल्लनटॉप ने इस पूरे मामले पर मुरैना के DM अंकित अस्थाना से बात की. उन्होंने बताया,

"खबर तथ्यात्मक रूप से गलत है. दरअसल 26 सितंबर को जब मैं ग्वालियर से मुरैना वापस आ रहा था, तो हमारे यहां जो टोल है, वो हमारे म्यूनिसिपल लिमिट के अंदर पड़ता है. मुरैना शहर से 1 किमी पहले. वहां पर जाम लगने की शिकायत लगभग 7-8 महीने से बहुत ज्यादा थीं. हम लोग जनवरी से रिव्यू कर रहे थे कि फास्ट टैग सिस्टम होने के बाद भी एक भी लेन खाली क्यों नहीं रह पा रही है, जिससे हम एंबुलेंस और छोटी गाड़ियों का मूवमेंट रेगुलेट कर पाएं."

उन्होेंने कहा कि वहां एंबुलेंस का मूवमेंट इसलिए बहुत अहम है क्योंकि धौलपुर और मुरैना से सारे रेफरल के केसेज ग्वालियर मेडिकल कॉलेज की ओर जाते हैं. घटना के बारे में मुरैना के DM ने कहा कि उस दौरान वहां पर लोग लगभग 40 मिनट से फंसे हुए थे. कई गाड़ियां टोल चुकाने के बाद भी आगे नहीं बढ़ पा रही थीं. उनके मुताबिक स्टाफ वो मैनेजमेंट नहीं कर रहा था. वहां एक एक ओवर वेट डंपर था किसी का, जिससे कुछ बातचीत चल रही थी, कुछ चीजें सही नहीं थी. इसलिए SP को सूचना दी गई और उसके बाद नियम के मुताबिक कार्रवाई हुई.