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'इस IAS से हमें बचाओ सरकार', मुरादाबाद के सरकारी इंजीनियर्स ऐसा क्यों कह रहे?

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में कुछ इंजीनियर ने एक IAS अधिकारी के खिलाफ मानसिक प्रताड़ना और उत्पीड़न का आरोप लगाया है.

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मुरादाबाद विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष मधुसूदन हुल्गी (फोटो- ANI)

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में कुछ इंजीनियर ने एक IAS अधिकारी के खिलाफ मानसिक प्रताड़ना और उत्पीड़न का आरोप लगाया है. इंजीनियर्स इतने परेशान हो गए कि उन्होंने सरकार से सामूहिक ट्रांसफर करवाने की मांग कर दी. मामला मुरादाबाद डेवलपमेंट अथॉरिटी का है. यहां के डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन ने 21 मई को कथित उत्पीड़न को लेकर उत्तर प्रदेश के आवास और शहरी नियोजन विभाग को एक पत्र लिखा. इसमें प्राधिकरण के उपाध्यक्ष मधुसूदन हुल्गी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं.

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‘परेशान होकर पहले ही छोड़ दी नौकरी’

इस पत्र पर 12 इंजीनियर के हस्ताक्षर हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि उपाध्यक्ष मधुसूदन हुल्गी के असामान्य व्यवहार और उत्पीड़न की वजह से इंजीनियर्स मानसिक रूप से अस्वस्थ हो गए हैं और उनके अंडर काम करने में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. एसोसिएशन ने लिखा है कि पिछले एक साल में जूनियर इंजीनियर्स की मेहनत के कारण प्राधिकरण की आय में कई गुना बढ़ोतरी हुई है, इसके बावजूद उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है.

दैनिक भास्कर ने एसोसिएशन के इस पत्र को प्रकाशित किया है. इसमें उत्पीड़न से परेशान कुछ इंजीनियर्स के उदाहरण भी दिए गए हैं. शिकायत करने वाले इंजीनियर्स ने आरोप लगाया है कि एक इंजीनियर एचके सिंघल ने तो मानसिक दबाव से परेशान होकर VRS (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) ही ले ली, जबकि वे 6-7 महीने बाद ही रिटायर होने वाले थे.

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आरोपों के मुताबिक, इसी तरह एक जूनियर इंजीनियर शिव शंकर श्रीवास्तव ने उत्पीड़न से परेशान होकर सरकार से ट्रांसफर का अनुरोध किया. इसके बाद उन्हें गाजियाबाद विकास प्राधिकारण में भेजा गया. एक और इंजीनियर धीरज यादव का भी मेरठ डेवलपमेंट अथॉरिटी में ट्रांसफर किया गया. उन्होंने सरकार से इसकी मांग की थी. संगठन ने ये भी आरोप लगाया कि कुछ सदस्यों की मेडिकल लीव को भी जानबूझकर स्वीकार नहीं किया जा रहा है.

सैलरी रोकने का भी आरोप लगाया

एसोसिएशन ने अधिकारी पर और भी आरोप लगाए हैं. पत्र में लिखा है, 

"मुरादाबाद डेवलपमेंट अथॉरिटी में जूनियर इंजीनियर के कुल 30 पद (24 सिविल और 6 इलेक्ट्रिकल) स्वीकृत हैं. लेकिन फिलहाल सिर्फ 16 जूनियर इंजीनियर ही कार्यरत हैं. इनमें इलेक्ट्रिकल के पद पर कोई जूनियर इंजीनियर नहीं है. फील्ड में सिर्फ 14 जूनियर इंजीनियर तैनात हैं, जो कि क्षमता से लगभग आधे से भी कम हैं. कई गुना काम बढ़ने के बाद भी हम सौ फीसदी दे रहे हैं. इसके बावजूद बिना वजह के आए दिन इंजीनियरों की सैलरी भी रोक दी जाती है."

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इंजीनियरों का ये भी कहना है कि उपाध्यक्ष मधुसूदन हुल्गी ने कुछ सदस्यों के खिलाफ फर्जी आधार पर कार्रवाई के लिए भी सरकार को लिखा है. उन्होंने लिखा कि अगर सदस्यों के खिलाफ कोई कार्रवाई होती है तो वे मानसिक, सामाजिक और आर्थिक शोषण के शिकार हो सकते हैं. साथ ही रिटायरमेंट लाभ से भी वंचित होना पड़ सकता है. क्योंकि अधिकतर सदस्य 1 से 5 साल के भीतर रिटायर होने वाले हैं.

मधुसूदन का जवाब

एसोसिएशन ने लिखा है कि एक-दो को छोड़कर सभी इंजीनियर के पास करीब 30 सालों का अनुभव है, इसके बावजूद उपाध्यक्ष सभी को अयोग्य साबित करने में तुले हैं. इंजीनियर्स के इन आरोपों की लंबी सूची पर दी लल्लनटॉप ने प्राधिकरण के उपाध्यक्ष मधुसूदन हुल्गी से बात की. उन्होंने इंजीनियर्स के आरोपों से इनकार किया है. बोले, 

“जिस इंजीनियर ने वीआरएस ली, उनकी पारिवारिक समस्या थी. मैंने ही उन्हें वीआरएस दिलाने में मदद की. इसके अलावा जिन दो लोगों ने ट्रांसफर करवाया, उनसे मैं सिर्फ एक या दो बार ही मिला हूं. उन्होंने खुद से ट्रांसफर करवाया. इसमें उत्पीड़न की बात कहां से आ गई. मेरे पास बहुत सारा काम है. इनका मानसिक उत्पीड़न करने में मुझे कोई दिलचस्पी नहीं है.”

IAS अधिकारी ने कहा कि अगर इंजीनियर काम नहीं करेंगे तो सैलरी रुकेगी ही और कार्रवाई होगी ही. उन्होंने इंजीनियर्स की कम संख्या को लेकर कहा कि ये उनके हाथ में नहीं है. जब सरकार भर्ती करेगी तो लोग बढ़ेंगे. मधुसूदन हुल्गी ने दावा किया कि किसी का भी अनावश्यक रूप से उत्पीड़न नहीं हो रहा है. सभी को सरकारी नियमों का पालन करना होगा. अगर कोई उल्लंघन करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी. 

दी लल्लनटॉप ने पूरे मामले पर तीन इंजीनियर से भी उनका पक्ष जानना चाहा. लेकिन उन्होंने किसी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. 

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