"इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि आरोपी को केस में खर्च हुए पैसों के अलावा शर्मिंदगी और कष्ट झेलना पड़ा है... औरतों की सुरक्षा के लिए कानून बनाए जा रहे हैं. पर मर्दों को रेप के झूठे आरोपों से बचाने के लिए कोई कोई कानून नहीं है. अब वक्त आ गया है कि इस पर सोचा जाए और एक स्टैंड लिया है."- निवेदिता अनिल शर्मा, एडिशनल सेशंस जज
मर्दों को रेप के झूठे आरोप से बचाने के लिए बने कानून: दिल्ली HC
औरत ने इल्जाम लगाया कि फलां आदमी ने उससे दो साल तक रेप किया. फिर एक दिन कोर्ट में कहा, गुस्से में शिकायत कर दी थी.
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फोटो - thelallantop
मंडे को दिल्ली के एक कोर्ट ने मर्दों को रेप के झूठे आरोपों से बचाने के लिए कानून बनाने की मांग की. ऐसा तब हुआ जब एक औरत ने एक मर्द पर लगाया हुआ रेप का इल्जाम वापस ले लिया. औरत एक ऑफिस में क्लर्क थी. उसने इस आदमी पर इल्जाम लगाया कि 2010-2012 के दौरान लगातार उसने औरत का रेप किया. अपने चेंबर में ले जा कर. मुद्दा अदालत तक पहुंचा. केस चला. पर मंडे को हुई सुनवाई के वक्त औरत ने कुछ भी कहने से मना कर दिया. और अपनी शिकायत वापस लेते हुए आरोपी को मासूम बताया. ये भी कहा कि शिकायत उसने गुस्से में कर दी थी. कोर्ट ने कहा है कि आरोपी अब औरत के खिलाफ 'डैमेज' अगेंस्ट कंप्लेंट का केस फाइल कर सकता है.
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