कांग्रेस नेता राहुल गांधी और BSP सुप्रीमो मायावती (Rahul Gandhi Mayawati) के बीच ‘गठबंधन’ वाली बयानबाजी के बाद फिर से वही पुरानी चर्चा छिड़ गई. यही कि अगर BSP ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल हो जाती तो क्या विपक्षी गठबंधन उत्तर प्रदेश में और ज्यादा सीटें जीत सकता था? बीते दिनों राहुल गांधी ने रायबरेली में दलित छात्रों के साथ बात करते हुए कहा था कि अगर BSP हमारे साथ गठबंधन करके लड़ती तो BJP कभी न जीत पाती. मायावती को राहुल गांधी का यह बयान बिल्कुल पसंद नहीं आया. उन्होंने भी पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस बरगलाने वाली बातें करती है.
अगर INDIA गठबंधन के साथ लड़ती BSP तो सच में हार जाती BJP? इन आंकड़ों ने सब साफ कर दिया
Rahul VS Mayawati: 2024 के लोकसभा चुनावों में मायावती ने किसी गठबंधन में शामिल न होकर तटस्थ रहने का फैसला किया. वो अलग बात है कि BSP एक भी सीट निकालने में सफल नहीं रही, लेकिन कई सीटों पर उसने दूसरी पार्टियों का खेल जरूर बिगाड़ा. कैसे? बताते हैं.
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2024 के लोकसभा चुनावों में मायावती ने किसी गठबंधन में शामिल न होकर तटस्थ रहने का फैसला किया. वो अलग बात है कि BSP एक भी सीट निकालने में सफल नहीं रही, लेकिन कई सीटों पर उसने दूसरी पार्टियों का खेल जरूर बिगाड़ा. कैसे? बताते हैं.
अगर ‘इंडिया’ के साथ होती BSPबहुजन समाज पार्टी (BSP) के उम्मीदवारों ने मेरठ, अलीगढ़, हरदोई, फर्रुखाबाद और फूलपुर समेत कम से कम 16 सीटों पर ‘इंडिया’ गठबंधन की जीत को प्रभावित किया. BSP उम्मीदवारों को NDA और इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों के बीच जीत-हार के अंतर से कहीं ज्यादा वोट मिले. ऐसे में ये कहा गया कि BSP को मिलने वाले वोट अगर सहयोगी गठबंधन को मिल जाते तो कम से कम 20 और सीटें इंडिया गठबंधन के खाते में जुड़ जातीं. जिससे इंडिया ब्लॉक की सीटों की संख्या 250 हो जाती. लगभग जीत के काफी करीब.

ये तो हुई एक बात. जैसा कि मायावती ने तटस्थ होने का फैसला लिया था. लेकिन अगर वे NDA में शामिल होने का फैसला लेतीं तो कहानी शायद कुछ और ही होती. आंकड़े बताते हैं कि कांग्रेस-सपा गठबंधन द्वारा जीती गईं 43 सीटों में से 31 सीटें ऐसी थीं, जहां मायावती को काफी वोट मिले. इसका परिणाम ये हुआ कि BJP हार गई. लालगंज, जौनपुर,आजमगढ़, मुजफ्फरनगर, कैराना और हमीरपुर जैसी 20 से ज्यादा सीटों पर मायावती को NDA और इंडिया गठबंधन के बीच जीत-हार के अंतर से काफी ज्यादा वोट मिले.

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‘शून्य’ जीत के बाद प्रभाव बरकरारचुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, BSP को उत्तर प्रदेश के कुल वोटों में से 9.39 प्रतिशत वोट मिले. जो कांग्रेस के 9.46 प्रतिशत से थोड़ा कम है. एक भी सीट न निकाल पाने के बावजूद भी वह लगभग सभी 80 निर्वाचन क्षेत्रों में तीसरे स्थान पर रही.
भले ही कुछ सालों में BSP की चमक कुछ फीकी पड़ी हो लेकिन ये बात किसी से छिपी नहीं है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में मायावती एक अप्रत्याशित नेता है. आने वाले चुनावों में दोनों ही गठबंधन NDA और 'इंडिया' उन्हें अपने पाले में लाने की कोशिश करते दिख सकते हैं.
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