ऑपरेशन सिंदूर (Op Sindoor) के दौरान भारत ने पाकिस्तान (Pakistan) और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) स्थित आतंकी कैंप्स को तबाह कर दिया था. न सिर्फ इसमें आतंकियों की मौत हुई थी, बल्कि ट्रेनिंग और लॉजिस्टिक्स के लिए बनाया हुआ उनका पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर तबाह हो गया था. इसमें सबसे बड़ा नाम जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-E-Mohammad) और उसके मरकज़ था. लेकिन अब पाकिस्तान ने फिर से उन टेररिस्ट कैंप्स को बनाना शुरू कर दिया है. और तो और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के प्रतिबंधों से बचने के लिए पाकिस्तान और जैश का रहनुमा मौलाना मसूद अज़हर, नए तरीके अख्तियार कर रहा है.
FATF की निगरानी से बचने का नया पैंतरा! मसूद अजहर और जैश का डिजिटल वॉलेट गेम
पाकिस्तान के कई डिजिटल वॉलेट्स एक तरह से पैरलल बैंकिंग सिस्टम की तरह काम करते हैं. इन वॉलेट्स में वॉलेट-टू-वॉलेट और वॉलेट-टू-कैश जैसे ट्रांसैक्शन की सुविधा होती है जिसे FATF का मॉनिटरिंग सिस्टम नहीं पकड़ पाता.


पाकिस्तान पूरी दुनिया को ये दिखाता है कि उसने टेरर फंडिंग पर लगाम लगाने के लिए कई तरह के कदम उठाए हैं. जैसे आतंकियों के बैंक खातों को फ्रीज़ करना, उनकी आमदनी के सोर्स पर लगाम लगाना आदि. लेकिन ये सब सिर्फ दुनिया को दिखाने के लिए है. इंडिया टुडे मैगजीन में छपी एक विस्तृत रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे मसूद अजहर पाकिस्तानी डिजिटल वॉलेट का इस्तेमाल कर, दुनिया को चकमा देकर अपने संगठन के लिए 3.91 अरब पाकिस्तानी रुपये का फंड जुटा चुका है.
जैश-ए-मोहम्मद पूरे पाकिस्तान में चंदा मांगता फिर रहा है. इस काम में उसे वहां की सरकार और सेना, दोनों का संरक्षण हासिल है. लेकिन इस बार जैश ने पैसे लेने kew स्ट्रेटेजी में थोड़ा बदलाव किया है. इस बार वो बैंक खातों से ट्रांसैक्शन की जगह डिजिटल वॉलेट का इस्तेमाल कर छोटे-छोटे हिस्सों में पैसे ले रहा है. खबरें ये भी हैं कि पाकिस्तान की हुकूमत तबाह हुए टेररिस्ट कैंप्स को वापस से बनाने के लिए फंड मुहैया करवा रही है. पाकिस्तान ये प्रोजेक्ट करने की कोशिश कर रहा है कि ये कोई आतंकी नहीं बल्कि सिविलियन इलाके थे. और भारतीय एयरफोर्स की स्ट्राइक में मारे गए लोग भी सिविलियन थे. जबकि हकीकत में न ये आम लोगों के घर थे, न भारत की स्ट्राइक में मरने वाले लोग आम थे. आतंकियों के अलावा बहावलपुर स्तिथ कैंप में मसूद अजहर के कई रिश्तेदार भी मारे गए थे. लिहाजा ये उसके लिए बहुत बड़ा झटका था.
पाकिस्तान के कई डिजिटल वॉलेट्स एक तरह से पैरलल बैंकिंग सिस्टम की तरह काम करते हैं. इन वॉलेट्स में वॉलेट-टू-वॉलेट और वॉलेट-टू-कैश जैसे ट्रांसैक्शन की सुविधा होती है जिसे FATF का मॉनिटरिंग सिस्टम नहीं पकड़ पाता. 2019 में FATF के प्रेशर की वजह से पाकिस्तान ने मजबूरन जैश के बैंक खाते, कैश और एसेट्स को फ्रीज़ कर दिया था. मसूद के परिवार वालों के बैंक अकाउंट्स को भी निगरानी के भीतर रखा गया था. इन कदमों की वजह से पाकिस्तान FATF को ये समझाने में कामयाब रहा कि उसने वाकई में आतंक पर प्रभावी कार्रवाई की है. लिहाजा 2022 में उसे FATF ग्रे लिस्ट से हटा दिया गया.
लेकिन हालिया सबूतों को देख कर लगता है कि पाकिस्तान ने 2019 से ही प्रतिबंधों से बचने के किए टेरर फंडिंग का नया रास्ता खोजा था. और अब जैश ने डिजिटल वॉलेट्स के इस्तेमाल से पैसे जुटाना शुरू किया है. इन सारे वॉलेट्स का डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप से मसूद उसके सीनियर कमांडर्स और उसके परिवार वालों से संबंध है. पूरे पाकिस्तान में पोस्टर्स, फेसबुक मैसेज वर वॉट्सऐप पर पैसे मांगे जा रहे हैं. इसमें कहा जा रहा है कि 313 नए मरकज बनाने के लिए पैसे चाहिए. हर मरकज को बनाने के लगभग 12.5 मिलियन पाकिस्तानी रुपये चाहिए. सोशल मीडिया के अलावा अजहर का एक लेटर और उसके भाई तल्हा-अल-सैफ का एक ऑडियो मैसेज भी सर्कुलेट किया जा रहा है जिसमें वो हर समर्थक से 21 हजार पाकिस्तानी रुपये देने को कह रहा है.
अजहर के परिवार तक जा रहे पैसेजांचकर्ताओं ने कई वॉलेट्स को ट्रेस किया तो उनका संबंध सीधे तौर पर अजहर के परिवार और टॉप लीडरशिप तक निकला है. एक वॉलेट तल्हा-अल-सैफ के नाम का है जो जैश का हरीपुर का डिस्ट्रिक्ट कमांडर है. एक दूसरा वॉलेट अजहर के बेटे अब्दुल्लाह के नाम का है. एक और वॉलेट है जो जैश के खैबर-पख्तूनख्वा के कमांडर सैयद सफदर शाह का है. कुल मिलाकर 250 ऐसे वॉलेट आइडेंटिफाई किए गए हैं जो सीधे तौर पर जैश के लोगों के हैं. वहीं पूरे पाकिस्तान में लगभग 2 हजार ऐसे अकाउंट ऑपरेट कर रहे हैं जो इनडायरेक्ट तौर पर जैश के लोगों के हैं.
वीडियो: ऑपरेशन सिंदूर: परिवार के 10 लोग मारे जाने पर क्या बोला जैश-ए-मोहम्मद का मुखिया मसूद अजहर?