मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र में हो रही हिंसा 31 अक्टूबर को भी जारी रही (Maratha reservation protest). मंगलवार, 31 अक्टूबर की दोपहर आन्दोलनकारियों ने लगभग दो घंटे के लिए मुंबई-बेंगलुरु हाईवे पर यातायात रोक दिया. इससे पूरे हाईवे पर जाम जैसे हालात हो गए. राज्य में कई जगहों पर प्रदर्शन जारी है.
मराठा आरक्षण: प्रदर्शनकारियों ने अब रेलवे ट्रैक पर आगजनी की, मुंबई-बेंगलुरु हाईवे जाम
मराठा क्रांति मोर्चा से जुड़े कार्यकर्ताओं ने सोलापुर में रेलवे ट्रैक ब्लॉक कर दिया.

इंडिया टुडे से जुड़े संवाददाता पंकज खेलकर की रिपोर्ट के मुताबिक मराठा आरक्षण को लेकर चल रही हिंसा के बीच 31 अक्टूबर को मराठा क्रांति मोर्चा से जुड़े कार्यकर्ताओं ने सोलापुर में रेलवे ट्रैक ब्लॉक कर दिया. घटनास्थल से आए विजुअल में देखा जा सकता है कि प्रदर्शनकारियों ने रेलवे ट्रैक पर टायर जला दिए.
रेलवे अधिकारियों और सोलापुर पुलिस ने दो प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है. इनकी पहचान राम जाधव और निशांत साल्वे के रूप में हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस रेलवे ट्रैक से प्रदर्शनकारियों को हटाने में सफल रही, लेकिन प्रदर्शन अभी भी जारी है. जालना जिले में मराठा समुदाय के कुछ युवा प्रदर्शनकारियों ने शेलगांव की बदनापुर तहसील में ट्रेनों को रोका. कई ने तो रेलवे ट्रैक पर बैठ कर ट्रैक ब्लॉक कर दिया.
पंचायत समिति का ऑफिस जलाया31 अक्टूबर के दिन मराठा आरक्षण को लेकर चल रहे प्रदर्शन के दौरान महाराष्ट्र के जालना जिले में पंचायत समिति के ऑफिस को आग के हवाले कर दिया गया. 30 अक्टूबर की रात प्रदर्शनकारी ‘एक मराठा लाख मराठा’ के नारे लगाते हुए घनसावंगी स्थित पंचायत समिति पहुंच गए. यहां आग लगाकर संपत्ति को नुकसान भी पहुंचाया गया. रिपोर्ट के मुताबिक पंचायत समिति ऑफिस में कुछ महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट्स को भी जला दिया गया.
25 अक्टूबर से भूख हड़ताल जारीआरक्षण की मांग के बीच शिंदे सरकार ने वादा किया है कि जो लोग रिकॉर्ड में कुनबी होने के कागजात जमा करेंगे, उन्हें कुनबी कास्ट सर्टिफिकेट दिया जाएगा. सरकार ने जरांगे पाटिल से अपना उपवास तोड़ने की भी अपील की है. बता दें कि जरांगे पाटिल 29 अगस्त को जालना में पहली बार भूख हड़ताल पर गए थे. 14 सितंबर को जरांगे ने शिंदे और अन्य मंत्रियों के आश्वासन पर अपना उपवास तोड़ा था. उन्होंने 40 दिनों में आरक्षण की घोषणा का आश्वासन दिया था. 24 अक्टूबर को 40 दिनों की डेडलाइन खत्म हो गई, लेकिन आरक्षण नहीं मिला. इसके बाद 25 अक्टूबर से जरांगे फिर से भूख हड़ताल पर बैठ गए थे.
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