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यूट्यूबर मनीष कश्यप चुनाव भी लड़ चुका है, कितने वोट मिले थे?

मारपीट-मूर्ति तोड़ने-धमकाने जैसा काम कर चुका है!

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मनीष कश्यप (फोटो सोर्स- आज तक )

बिहार के यूट्यूबर मनीष कश्यप (Youtuber Manish Kashyap) को गिरफ्तार कर बुधवार तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. मनीष कश्यप तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों पर कथित हमलों के फर्जी वीडियो (Tamilnadu Fake Video Case) के मामले में मुख्य आरोपी है. इस खबर में हम जानेंगे उसके खिलाफ दर्ज मामलों की कहानी, मूर्ति तोड़ने की कहानी, उसके चुनाव लड़कर हारने की कहानी.

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इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, मनीष कश्यप पर आजतक कुल 11 मामले दर्ज किए गए हैं. लेकिन इसके पहले साल 2019 में भी अरेस्ट हो चुका था मनीष कश्यप. 

साल 2019 में मनीष क्यों गिरफ्तार हुआ?

ताजा मामलों के पहले मनीष पर चंपारण जिले में कुल 7 मामले दर्ज थे. जिनमें से 6 में उसे कोर्ट से जमानत मिली हुई थी. साल 2019 में मनीष दो बार गिरफ्तार हुआ था. 

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एक बार बेतिया में किंग एडवर्ड VII की मूर्ति को क्षतिग्रस्त करने के मामले में.  

एक बार पटना में. कश्मीरी दुकानदार से मारपीट करने के आरोप में. ये पुलवामा हमले के बाद की बात है.

बेतिया की घटना क्या थी?

पश्चिमी चंपारण जिले के बेतिया में महारानी जानकी कुंवर अस्पताल है. ये सरकारी अस्पताल है. 31 जनवरी 2019 को सुबह करीब 10:30 बजे कुछ युवा बेतिया के महारानी जानकी कुंवर अस्पताल पहुंचे. यहां किंग एडवर्ड सप्तम की 6 फीट की एक मूर्ति थी. युवाओं की भीड़ ने 'भारत माता की जय' के नारे लगाते हुए मूर्ति का सिर तोड़ दिया. इसके वीडियो और फोटोज सोशल मीडिया पर भी शेयर किए गए. और युवा जागरण मंच नाम के एक संगठन ने इस घटना की जिम्मेदारी ली थी. अस्पताल के तत्कालीन अधीक्षक डॉ. धीरेंद्रनाथ ठाकुर ने मामले में शिकायत दर्ज करवाई थी. लेकिन मनीष कश्यप गिरफ्तारी से बचा रहा.

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पुलवामा हमले के एक दिन बाद 15 फरवरी को पटना में फिर एक घटना हुई. टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक खबर के मुताबिक कम से कम 20 युवक लाठी-डंडों से लैस होकर पटना की ल्हासा मार्केट पहुंचे. इन लोगों ने कुछ कश्मीरी दुकानदारों को मारा. उन्हें वापस कश्मीर चले जाने की धमकी दी गई. इस मामले में मनीष कश्यप और उसके तीन साथी पकड़े गए. कश्मीरी दुकानदार बशीर अहमद डार ने हाथापाई की घटना पुलिस को रिपोर्ट की थी. शिकायत में किसी के घायल होने की भी बात नहीं थी. मामूली केस बना और मनीष कश्यप को इस मामले में CJM कोर्ट से जमानत मिल गई. लेकिन वो दो हफ्ते पहले के बेतिया मूर्ति कांड में भी मुख्य आरोपी था. इसलिए पटना पुलिस ने मनीष कश्यप को बेतिया पुलिस को सौंप दिया.
मूर्ति कांड में बेतिया पुलिस ने जिलाधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर FIR दर्ज की थी. इसमें मनीष कश्यप को मुख्य आरोपी बनाया गया. जबकि कुल 22 लोगों पर मामला दर्ज हुआ था.

और कौन-से मामले दर्ज हैं?

साल 2020 में मनीष कश्यप ने निर्दलीय विधानसभा चुनाव भी लड़ा था. नामांकन के समय चुनाव आयोग को दिए हलफनामे के मुताबिक मनीष कश्यप के खिलाफ साल 2017 में एक मामला दर्ज हुआ था. उसके बाद कई घटनाओं में मनीष को नामजद किया गया. मनीष पर समूह में इकठ्ठा होकर मारपीट, रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और धोखाधड़ी जैसे गंभीर मामले भी दर्ज हो चुके हैं. चुनाव में 9200 वोट मिले. मनीष इसके बाद यूट्यूबर बन गया.

मैनेजर को धमका दिया था

पश्चिमी चंपारण में 2021 में एक और घटना हुई थी. यहां के मझौलिया के डुमरी महनवा गांव में उनका पुश्तैनी घर पुलिस ने सील कर दिया था. केस जानते हैं? मनीष ने पारस पकरी में मौजूद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के मैनेजर को धमकाया था.

मनीष का ताजा केस कहां तक पहुंचा है?

18 मार्च को सरेंडर कर दिया था. पश्चिमी चंपारण जिले के जगदीशपुर थाने में. दो साथी राकेश तिवारी और अमन कुमार भी अरेस्ट. जबकि एक साथी युवराज सिंह अभी फरार.

बिहार की आर्थिक अपराध शाखा (EOU) और तमिलनाडु पुलिस ने मनीष पर दो वर्गों के बीच दुश्मनी पैदा करने के आरोप में IPC की धाराओं में मामले दर्ज किए हैं. साल 2019 में हुई गिरफ्तारी की तस्वीर को हालिया फेक वीडियो के मामले में हुई गिरफ्तारी की तरह दिखाने के लिए भी मनीष पर एक मामला दर्ज हुआ है. 

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