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हरियाणा में बीजेपी ऑफिस के लिए पेड़ काटने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा में करनाल के सेक्टर 9 में बीजेपी ऑफिस तक सड़क बनाने के लिए काटे गए 40 से ज्यादा पेड़ों पर रोक लगा दी और सभी संबंधित विभागों को नोटिस जारी किया.

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सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण के ज़रूरी नियमों का हवाला दिया

हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही में एक नया ऑफिस बनाया है. अब उस ऑफिस तक जाने के लिए सड़क तैयार करने के नाम पर इलाके में पेड़ काटे जा रहे हैं. इसी मामले में 23 अक्टूबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया और आदेश दिया कि करनाल के सेक्टर 9 में जो विकास का काम चल रहा है, उसे तुरंत रोका जाए और वर्तमान स्थिति यानी स्टेटस-को बनाए रखा जाए.

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यह मामला उस इलाके से जुड़ा है जहाँ अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने जीटी रोड के पास की ग्रीन बेल्ट को काटकर सड़क बनाने की कोशिश की, ताकि बीजेपी के नए बने ऑफिस तक सीधा रास्ता दिया जा सके. बताया गया है कि इस काम के लिए अब तक 40 से ज्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं.

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने इस पर हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को फटकार लगाई. कोर्ट ने उसके चीफ एडमिनिस्ट्रेटर को अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है और कहा है कि वे बताएं कि विकास के नाम पर 40 से ज्यादा पेड़ काटने की नौबत कैसे आई.

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सुप्रीम कोर्ट ने ये चेतावनी भी दी कि अगर अब इसके बाद भी कोई निर्माण कार्य जारी रहा तो कोर्ट बहुत सख्त रुख अपनाएगा. इसके साथ ही कोर्ट ने हरियाणा वन विभाग, करनाल नगर निगम और भारतीय जनता पार्टी को भी नोटिस भेजा है.

यह मामला तब उठा जब एक अपीलकर्ता ने पहले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. उनका कहना था कि दो रिहायशी घरों के बीच की जमीन किसी राजनीतिक दल को देना अनुचित है. हालांकि हाईकोर्ट ने उस समय अपील खारिज कर दी थी, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद अदालत ने तुरंत रोक लगा दी और सभी संबंधित विभागों से जवाब मांगा.

अब यह मामला न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा हुआ है, बल्कि शासन की पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी सवाल उठाता है. याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकारी जमीन का इस तरह राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार और अनुच्छेद 48A के तहत पर्यावरण की रक्षा के दायित्व के खिलाफ है. पर्यावरण कार्यकर्ताओं का भी कहना है कि हरियाणा जैसे प्रदूषण-प्रभावित राज्य में पेड़ों की कटाई विकास नहीं बल्कि विनाश की ओर कदम है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए यह साफ कर दिया कि ‘विकास’ का मतलब कभी भी पर्यावरण और जनहित की कीमत पर नहीं हो सकता, और हरियाणा सरकार को अब अगली सुनवाई तक सभी गतिविधियाँ रोकनी ही होंगी.

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