"उनको ढूंढ तो एसआईटी रही थी. वह मेहनत कर रही थी लेकिन आरोपियों को गोरखपुर पुलिस ने ढूंढ लिया. आखिर आरोपी उनको ही क्यों मिले? यह कैसे संभव है कि गोरखपुर में ही उन्होंने मेरे पति की हत्या की और गोरखपुर पुलिस ने ही उनको ढूंढ लिया. यानी वो सभी गोरखपुर में ही थे. गोरखपुर पुलिस उनकी मदद कर रही थी. आरोपी वहां इसलिए मिले क्योंकि वो वहीं छुपे हुए थे. वहां पर लोग उनका सपोर्ट कर रहे थे. ऐसे में मेरा केस के ट्रायल के सिलसिले में गोरखपुर जाना मेरी सुरक्षा को खतरा पैदा करेगा. इसलिए मैं चाहती हूं कि ट्रायल कानपुर में हो तो मैं सुरक्षित रहूंगी."14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजे गए 10 अक्टूबर की शाम करीब 5 बजे आरोपी जगत नारायण सिंह और अक्षय मिश्रा को गोरखपुर की बांसगांव पुलिस ने फिल्मी अंदाज में रामगढ़ताल क्षेत्र के देवरिया बाईपास तिराहा से गिरफ्तार किया. इसके बाद आरोपियों को रामगढ़ताल थाने लाया गया. बाद में एसआईटी कानपुर की कस्टडी में दे दिया गया. इसके बाद आरोपियों से शाम 5 बजे से लेकर 6 घंटे तक पूछताछ चली. दोनों आरोपियों को देर रात 11.20 बजे थाने से निकालकर 11.30 के करीब एसीजेएम फास्ट ट्रैक कोर्ट में पेश किया गया. वहां 10-11 अक्टूबर की देर रात 1.10 बजे सुनवाई हुई. अदालत ने दोनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. मीनाक्षी को मिला नियुक्ति पत्र बता दें कि गोरखपुर के रामगढ़ताल थाना क्षेत्र के होटल कृष्णा पैलेस में 27 सितंबर की देर रात पुलिस दबिश के दौरान कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की मौत हो गई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनके चेहरे, सिर और शरीर के अन्य हिस्सों में गहरे चोट के निशान मिले. उनके दोस्त गुड़गांव के हरबीर सिंह, दिल्ली के प्रदीप, गोरखपुर के चंदन सैनी और राणा प्रताप चंद ने 6 पुलिसवालों पर पीटकर हत्या करने का आरोप लगाया. पुलिस ने मनीष की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता की तहरीर पर इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह, चौकी इंचार्ज फल मंडी अक्षय मिश्रा, सब इंस्पेक्टर विजय यादव और 3 अज्ञात पुलिसवालों के खिलाफ धारा 302 के तहत केस दर्ज किया. बाद में एसआईटी ने एसआई राहुल दुबे, कांस्टेबल कमलेश यादव और प्रशांत कुमार को भी नामजद कर लिया. मनीष गुप्ता की मौत के बाद काफी बवाल हुआ. विपक्षी दलों के नेताओं ने योगी आदित्यनाथ सरकार को घेरा. सरकार ने मीनाक्षी को सरकारी नौकरी और अन्य आश्वासन दिए. वादे के तहत मीनाक्षी गुप्ता को कानपुर विकास प्राधिकरण में ओएसडी के पद पर नियुक्ति दी गई है. प्राधिकरण के अधिकारियों ने मीनाक्षी के घर पहुंचकर उन्हें नियुक्ति पत्र सौंपा. मीनाक्षी ने कहा कि वह सोमवार को कार्यभार ग्रहण नहीं करेंगी क्योंकि इस दिन मनीष की तेरहवीं है. वह मंगलवार को पद ग्रहण करेंगी.
मनीष गुप्ता हत्याकांडः पत्नी मीनाक्षी ने गोरखपुर पुलिस पर क्या नए सवाल उठा दिए हैं?
गिरफ्तार पुलिसवाले 14 दिन की जुडिशल कस्टडी में जेल भेजे गए.

गोरखपुर में प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले में 6 पुलिसवाले नामजद हैं. 2 को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. अब मनीष की पत्नी मीनाक्षी गोरखपुर पुलिस पर सवाल उठा रही हैं.
कानपुर के प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता (Manish Gupta) की कथित हत्या को लेकर उनकी पत्नी मीनाक्षी गुप्ता ने गोरखपुर पुलिस (Gorakhpur Police) पर फिर सवाल उठाए हैं. आरोपी थानेदार जेएन सिंह और दरोगा अक्षय मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद मनीष की पत्नी ने गोरखपुर पुलिस पर आरोपियों से मिलीभगत के आरोप लगाए हैं. मीनाक्षी का कहना है कि आरोपियों को ढूंढ तो एसआईटी रही थी लेकिन वो मिले गोरखपुर पुलिस को. उनका कहना है कि आरोपी गोरखपुर में ही थे और पुलिस उनकी मदद कर रही थी. ऐसे में केस का ट्रायल गोरखपुर में नहीं, कानपुर में होना चाहिए. उन्होंने गोरखपुर में अपनी जान को खतरा भी बताया है.
'STF मेहनत करती रही, लेकिन मिले गोरखपुर पुलिस को'
गोरखपुर में मनीष गुप्ता की मौत के मामले में 6 पुलिसवालों को यूपी पुलिस खोज रही थी. फरार पुलिसवालों के ऊपर यूपी पुलिस ने 1 लाख का इनाम भी घोषित किया. इनमें से 2 को गोरखपुर पुलिस ने 10 अक्टूबर को गिरफ्तार कर लिया. ये हैं इंस्पेक्टर जेएन सिंह और दरोगा अक्षय मिश्रा. इनकी गिरफ्तारी के बाद मनीष की पत्नी ने आजतक से बातचीत में आरोप लगाते हुए कहा कि,