मणिपुर में डेढ़ महीने पहले शुरू हुई जातीय हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आरके रंजन का घर जलाने के बाद प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी नेताओं के घरों को जलाने की कोशिश की. 16 जून की देर रात सुरक्षाबलों के साथ झड़प में दो लोग घायल भी हुए. वहीं, चुरचांदपुर और बिष्णुपर जिलों में फायरिंग भी की गई हैं.
बीजेपी नेताओं के घर जलाने और थाना लूटने की कोशिश, मणिपुर में अब क्या हो रहा है?
16 जून की देर रात सुरक्षाबलों के साथ झड़प में दो लोग घायल हुए. इंफाल में एक पुलिस स्टेशन को भी लूटने की कोशिश की गई.
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समाचार एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि इंफाल वेस्ट में एक पुलिस स्टेशन को भी लूटने की कोशिश की गई. हालांकि कोई हथियार नहीं लूटे गए. लोगों ने बीजेपी विधायक बिस्वजीत के घर को जलाने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो पाए. रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) ने भीड़ को वहां से भगा दिया. भीड़ पर आंसू गैस और रबड़ बुलेट छोड़े गए.
बीजेपी ऑफिस को भीड़ ने घेर लियाअधिकारियों की माने तो करीब 1000 लोगों की भीड़ ने राजधानी में कई बिल्डिंग में आग लगाने की कोशिश की. भीड़ ने सिन्जेमई इलाके में बीजेपी ऑफिस को भी घेर लिया था, लेकिन वहां कुछ नहीं कर पाए. इंफाल में बीजेपी महिला विंग की अध्यक्ष शारदा देवी के घर को भी आधी रात घेर लिया गया और तोड़फोड़ करने की कोशिश की. हालांकि सुरक्षाबलों ने भीड़ को वहां से हटा दिया.
इससे पहले 15 जून की रात केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आरके रंजन के घर को जला दिया गया. वो राजधानी इंफाल के कोंगबा बाजार इलाके में रहते हैं. घटना के वक्त आरके रंजन केरल में थे. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अपने गृहराज्य में ये सब देखना बहुत दुखी करने वाला है. लोगों से प्रार्थना करता हूं कि वे शांति बनाने की कोशिश करें. जो भी लोग इस तरह की हिंसा में शामिल हैं, वे निश्चित रूप से अमानवीय हैं.
वहीं 14 जून की रात राज्य के उद्योग मंत्री नेमचा किपजेन का घर जला दिया गया. इससे एक दिन पहले खमेनलोक गांव में 9 लोगों की मौत हुई थी. स्थिति ऐसी हो चुकी है कि मणिपुर में सेना के एक रिटायर्ड अधिकारी ने कह दिया कि राज्य की हालत सीरिया जैसी है. लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) एल निशिकांत सिंह ने 15 जून को ट्विटर पर लिखा,
"मैं मणिपुर का रहने वाला एक आम भारतीय हूं. रिटायरमेंट की जिंदगी जी रहा हूं. राज्य अब 'राज्यविहीन' हो गया है. कभी भी लोगों की जान जा सकती है और कोई भी किसी की संपत्ति को बर्बाद कर सकता है. जैसे लीबिया, लेबनान, नाइजीरिया और सीरिया में होता है. ऐसा लगता है जैसे मणिपुर को अपनी हालत पर छोड़ दिया गया है. क्या कोई सुन रहा है?"
हिंसा की इन घटनाओं के बीच एक चिट्ठी सामने आई है जिसमें विपक्षी दलों ने राज्य के हालात पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का समय मांगा था. ये चिट्ठी 10 जून की है. इसमें लिखा है कि 9 जून को 10 राजनीतिक दलों ने मणिपुर के हालात पर बैठक की. राज्य में शांतिपूर्ण माहौल बने, इसके लिए प्रधानमंत्री के साथ मीटिंग की मांग की गई थी.
राज्य में पूरा बवाल मणिपुर हाई कोर्ट के एक आदेश के बाद शुरू हुआ था. कोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की सिफारिश को पूरा करने का निर्देश दिया था. मैतेई समुदाय ये मांग लंबे समय से कर रहा था. मुख्य रूप से मैतेई और कूकी के बीच जारी हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. 11 जिलों में कर्फ्यू लगा हुआ है और इंटरनेट बंद है.
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