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गांधी परिवार ने बर्बाद किया मेरा करियर, बोले मणिशंकर अय्यर, और क्या कहा?

Mani Shankar Aiyar ने न्यूज एजेंसी PTI से अपनी किताब के बारें में बातचीत की. इस दौरान उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन से जुड़े कई किस्से साझा किए. सोनिया गांधी से मुलाकात को लेकर जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने बताया कि पिछले 10 सालों से सोनिया गांधी से उनकी मुलाकात नहीं हुई. इसके अलावा राहुल गांधी से मिलने का मौका नहीं मिला.

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मणिशंकर अय्यर ने PTI को इंटरव्यू दिया (फोटो: आजतक)

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री मणिशंकर अय्यर (Mani Shankar Aiyar) की एक किताब आई है. किताब का नाम है- ‘ए मैवरिक इन पॉलिटिक्स’ (A Maverick in Politics). इसी किताब के बारे में बातचीत करते हुए अय्यर ने न्यूज एजेंसी PTI से अपने राजनीतिक जीवन से जुड़े कई किस्से साझा किए. इस बातचीत के दौरान उन्होंने उस घटना का भी जिक्र किया जब प्रणव मुखर्जी को प्रधानमंत्री बनने की उम्मीद थी. इसके अलावा उन्होंने कहा कि पिछले 10 साल से सोनिया गांधी से उनकी मुलाकात नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि उन्हें राहुल गांधी से मिलने का मौका नहीं मिला और प्रियंका गांधी से भी बस फोन पर बात होती है.

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‘गांधी परिवार से हुआ करियर का खात्मा’

न्यूज एजेंसी PTI को दिए गए इंटरव्यू में मणिशंकर अय्यर ने अपनी आगामी किताब- 'ए मैवरिक इन पॉलिटिक्स' को लेकर बातचीत की. उनकी ये किताब जगरनॉट पब्लिकेशन से प्रकाशित हुई है. बातचीत के दौरान अय्यर ने कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार के साथ अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक अनुभव शेयर किए. उन्होंने कहा,

"मेरे राजनीतिक करियर की शुरुआत गांधी परिवार से हुई और खात्मा भी उन्हीं द्वारा हुआ." 

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‘अगर प्रणव मुखर्जी को प्रधानमंत्री…’

2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार को लेकर भी मणिशंकर ने बात की. अय्यर ने PTI को बताया कि 2012 से ही कांग्रेस की स्थिति ठीक नहीं थी. सोनिया गांधी बहुत बीमार पड़ गई थीं और प्रधानमंत्री (मनमोहन सिंह) को कई बार ‘कोरोनरी बाईपास सर्जरी’ करानी पड़ी. जिससे वे कभी पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो पाए. इससे उनके काम करने की गति धीमी हो गई और इसका असर शासन पर भी पड़ा. उस वक्त हम सरकार के मुखिया और पार्टी के मुखिया के तौर पर अपंग थे. कोई भी फैसले नहीं लिए जा रहे थे. 

पार्टी के पास एक व्यक्ति था जो ऊर्जा से भरा हुआ था, विचारों से भरा हुआ था. उसके पास कुछ हद तक करिश्मा था और वह पार्टी या सरकार या यहां तक ​​कि दोनों एक साथ को चला सकता था. उन्होंने बताया कि अगर 2012 में प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री बनाया गया होता, तो 2014 की हार शायद इतनी शर्मनाक नहीं होती.

‘अन्ना’ को इजाजत देना बड़ी गलती

इसके अलावा 2014 में कांग्रेस की हार के कारणों पर बात भी अय्यर ने बात की. उन्होंने बताया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे को रामलीला मैदान में अनशन की इजाजत देना कांग्रेस की एक बड़ी गलती साबित हुई. उस वक्त कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला और अन्ना हजारे के नेतृत्व में 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन' आंदोलन ने कांग्रेस के लिए संकट खड़ा कर दिया था.

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‘INDIA गठबंधन के नेतृत्व का मोह छोड़ दें’

कांग्रेस की वापसी को लेकर अय्यर ने कहा कि कांग्रेस को इंडिया गठबंधन के सभी दलों को सम्मान देना होगा. साथ ही इंडिया गठबंधन के नेतृत्व का मोह भी छोड़ना होगा. कम से कम तब तक जब तक कांग्रेस विपक्ष में है. कांग्रेस नेता अय्यर ने कहा कि जब इंडिया गठबंधन बना तब उन्हें बहुत खुशी हुई थी. क्योंकि इसकी वकालत वे लंबे समय से करते आए हैं. उन्होंने कहा कि और इस तरह का गठबंधन बनाने की मांग मैंने पहले भी की थी. कांग्रेस को अगर आगे बढ़ना है तो गठबंधन के सभी दलों के लोगों को सम्मान देना होगा. 

उन्होंने कहा कि कांग्रेस का काम है कि गठबंधन में किसी भी तरह का विरोध या अंदरखाने कलह न मचे. ऐसा होने से एकता का संदेश जाएगा और आने वाले समय में गठबंधन के जरिए ही कांग्रेस को मदद मिलेगी.

‘BJP में नहीं जाऊंगा’

अपने राजनीतिक करियर के बारें में बात करते हुए अय्यर ने बताया कि ये सच है कि कांग्रेस पार्टी के खात्मे से मेरे राजनीतिक करियर का खात्मा हो गया है. लेकिन मुझे पार्टी से बाहर रहने की आदत हो गई है. मैं अब भी पार्टी का सदस्य हूं. मैं कभी भी इसमें बदलाव नहीं करूंगा और मैं निश्चित रूप से बीजेपी में नहीं जाऊंगा.

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