लगभग छह महीने बाद अपनी पत्नी और छोटी बच्ची से मिलने वाले थे मेजर आशीष धौंचक (Major Ashish Dhonchak). चंद दिनों की छुट्टी मिली थी, प्लान ढेर सारे बनाए थे. अपने जन्मदिन पर नए वाले घर का गृह प्रवेश करना था. परिवार के साथ मिलकर जागरण भी कराना था. प्लान था ड्यूटी से ब्रेक लेकर घरवालों के साथ अच्छा समय बिताएंगे. फोन पर कहा भी था- ‘दुश्मनों को निपटा कर लौटूंगा, सब खुशियां मनाएंगे.’ लेकिन, 13 सितंबर को कश्मीर में एक सर्च ऑपरेशन के दौरान आतंकियों के साथ मुठभेड़ में मेजर आशीष धौंचक शहीद हो गए.
परिवार संग गृह प्रवेश करने वाले थे आशीष धौंचक, फोन पर एक वादा भी किया था
मेजर आशीष धौंचक के परिवार में माता-पिता, तीन बहनें, पत्नी और एक छोटी बेटी है. 13 सितंबर को आतंकियों के साथ मुठभेड़ में हुए शहीद.

मेजर आशीष सिख लाइट इन्फेंट्री से थे और फिलहाल 19 राष्ट्रीय राइफल्स में कंपनी कमांडर की पोस्ट पर तैनात थे. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, दो साल पहले ही उनकी जम्मू-कश्मीर में पोस्टिंग हुई थी. इस साल 15 अगस्त को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें बहादुरी के लिए सेना मेडल दिया था.
36 साल के मेजर आशीष हरियाणा के पानीपत में बिंझौल गांव के रहने वाले थे. केंद्रीय विद्यालय से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने बरवाला के कॉलेज से इलेक्ट्रोनिक इंजीनियरिंग की. 2012 में 25 साल की उम्र में वो सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर भर्ती हुए. बठिंडा, बारामूला, मेरठ में पोस्टिंग रही. फिर 2018 में वो मेजर के पद पर प्रमोट हुए.
इस बीच नवंबर 2015 में मेजर आशीष ने जींद की रहने वाली ज्योति से शादी की. उनकी एक छोटी सी बेटी भी है. परिवार फिलहाल पानीपत के सेक्टर-7 में किराए के घर पर रहता है. मेजर आशीष ने उनके लिए पानीपत की TDI सिटी में नया घर लिया था. 23 अक्टूबर को अपने जन्मदिन के मौके पर नए घर का गृह प्रवेश करने का प्लान था. उसके लिए मेजर ने छुट्टी भी ले ली थी. मेजर आशीष के एक रिश्तेदार अंशुमन ने इंडिया टुडे को बताया,
कुछ दिन पहले हमारी बात हुई थी. वो बता रहे थे कि वहां कैसा माहौल है, कैसा मौसम है. बर्फ दिखा रहे थे. उनका प्लान था कि यहां आने के बाद परिवार के साथ नए घर में शिफ्ट करेंगे.
मेजर आशीष की मां कमला गृहणी हैं. पिता लालचंद काम से रिटायर्ड हो चुके हैं. उनकी तीन बहने हैं. अंजू, सुमन और ममता. तीनों शादीशुदा हैं. मेजर आशीष के चाचा का बेटा भी आर्मी में लेफ्टिनेंट के पद पर तैनात है. सभी उनके लौटने का इंतजार कर रहे थे. लेकिन अब 14 सितंबर की दोपहर को मेजर आशीष का पार्थिव शरीर पानीपत में उनके पैतृक गांव लाया जाएगा.
अनंतनाग में क्या हुआ?अनंतनाग के गडूल इलाके में आतंकियों की धरपकड़ के लिए 12 सितंबर की शाम को सेना का ऑपरेशन शुरू किया गया था. लेकिन रात में ऑपरेशन बंद कर दिया गया था. 13 सितंबर की सुबह आतंकियों के बारे में इनपुट मिलने पर ऑपरेशन फिर से शुरू किया गया. कर्नल मनप्रीत सिंह ऑपरेशन को लीड कर रहे थे. तभी आतंकियों ने उन पर फायर कर दिया जिससे वो गंभीर रूप में घायल हो गए.
जानकारी के मुताबिक सुरक्षाबलों को 13 सितंबर की सुबह इलाके में दो से तीन आतंकियों के होने की सूचना मिली थी. जिसके बाद सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीमों ने दोबारा ऑपरेशन शुरू किया था. इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि सेना से भागते हुए 2-3 आतंकी ऊंचाई वाली जगह पर पहुंच गए थे. इसी का फायदा उठाकर उन्होंने सैनिकों पर गोलीबारी कर दी जिसमें इन 3 बड़े अधिकारियों की मौत हो गई. इनमें मेजर धौंचक भी शामिल थे.
वीडियो: कर्नल, मेजर और DSP...बड़ा आतंकी हमला, जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में 3 शहादत, ऑपरेशन जारी है