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Lenovo ने होटल लॉबी में पेशाब करने वाले कर्मचारी को निकाला, उसने 12.5 करोड़ का हर्जाना मांग लिया

शख्स ने मानवाधिकार कानूनों का उल्लंघन का आरोप लगाकर कंपनी पर केस दर्ज कराया है. साथ ही 12 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की है.

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शख्स ने न्यूयॉर्क स्टेट सुप्रीम कोर्ट में लेनोवो कंपनी के खिलाफ मुकदमा दायर किया है (प्रतीकात्मक फोटो)

चीनी कंप्यूटर कंपनी लेनोवो. इसके एक कंप्यूटर सेल्समैन को होटल की लॉबी में पेशाब करने के आरोप के चलते नौकरी से निकाल दिया गया. सेल्समैन का कहना है कि उसने ऐसा जानबूझकर नहीं किया, बल्कि वो पेशाब संबंधित बीमारी से ग्रस्त हैं. इस कारण ये वाकया हो गया. सेल्समैन के मुताबिक, कंपनी को उनकी इस बीमारी की जानकारी भी थी. लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई और उसे गलत तरीके से नौकरी से निकाल दिया गया. अब इस कर्मचारी ने कंपनी से करोड़ों रुपये के हर्जाने की डिमांड कर दी है. इतना ही नहीं, उसने कंपनी के खिलाफ केस भी दर्ज करवा दिया है. 

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हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मामला अमेरिका के न्यूयॉर्क का है. 66 साल के रिचर्ड बेकर ने न्यूयॉर्क स्टेट सुप्रीम कोर्ट में लेनोवो कंपनी की अमेरिकी ब्रांच के खिलाफ 23 अगस्त को मुकदमा दायर किया. इसमें उन्होंने बताया कि उन्हें गलत तरीके से नौकरी से निकाला गया जिसके लिए उन्हें कंपनी से 1.5 मिलियन डॉलर यानी साढ़े 12 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का हर्जाना दिया जाए.

रिचर्ड ने कंपनी पर "न्यूयॉर्क राज्य और न्यूयॉर्क शहर के मानवाधिकार कानूनों का उल्लंघन करते हुए विकलांगता के आधार पर भेदभाव" करने का आरोप लगाया है. उन्होंने बताया कि इस साल फरवरी महीने में वह काम के बाद खाना खाकर न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर के पास अपने होटल लौट रहे थे. तभी उन्हें परेशानी हुई, वह टॉयलेट तक नहीं पहुंच सके और लॉबी की बगल में मौजूद एरिया में पेशाब कर दिया.

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इस दौरान वहां मौजूद उनके एक सहकर्मी ने रिचर्ड की शिकायत कंपनी के HR से कर दी. उन पर आरोप लगा कि उन्होंने टाइम्स स्क्वायर होटल की लॉबी में जानबूझकर, दुर्भावना के कारण पेशाब किया था.

वहीं रिचर्ड का कहना है कि उनके पेशाब की थैली (ब्लैडर) में कोई समस्या हो गई है. इस बीमारी की वजह से वो पेशाब कंट्रोल नहीं कर पाते. और कंपनी को इसकी जानकारी थी. उनका कहना है कि साल 2016 से ही वो ब्लैडर से संबंधित बीमारी से जूझ रहे हैं. इसका इलाज भी चल रहा है. साथ ही उनकी कंपनी से जुड़े लोगों और मैनेजर को भी इसकी जानकारी है. लेकिन फिर भी उन्हें कंपनी से निकाल दिया गया.

मुकदमे में कहा गया, 

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'लेनोवो की ओर से कोई सहानुभूति नहीं दिखाई गई. इसके बजाय, कुछ ही दिनों के भीतर बेकर को एक फर्जी HR जांच के बाद बर्खास्त कर दिया गया, जिसमें उनका पक्ष भी नहीं लिया गया था.’

रिचर्ड बेकर फिलहाल बेरोजगार हैं. वहीं, लेनोवो कंपनी की तरफ से अभी तक इस मामले पर कोई बयान नहीं दिया गया है. 

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