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GITN: जब कुमार विश्वास से पूछा गया 'राम दलित विरोधी हैं?' जानें क्या जवाब मिला

विश्वास ने कृष्ण के संबंध में भी कड़ी टिप्पणी की है.

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कुमार विश्वास ने राम और मूर्तिपूजा पर क्या कहा? (साभार - आजतक)

द लल्लनटॉप के शो ‘गेस्ट इन दी न्यूज रूम’ का एक साल पूरा हुआ. इस शो के 52वें एपिसोड में गेस्ट के तौर पर कवि और लेखक कुमार विश्वास आए. उन्होंने अपने करियर, अपने राजनीतिक सफर और अपनी राम कथाओं के बारे में दिल खोलकर बातचीत की. कुमार ने भगवान राम से जुड़े कई पहलुओं पर विस्तार से अपनी राय रखी. इसके अलावा कुमार ने सावरकर और गांधी को लेकर भी काफी कुछ कहा.

इसी बातचीत के दौरान कुमार से भगवान राम और सिसायत से जुड़े कई सवाल पूछे गए. इसी दौरान इस बात का भी जिक्र किया गया कि कई लोग राम को दलित विरोधी मानते हैं. ऐसे में राम को चुनते हुए कुमार की समझ क्या होती है? कुमार ने इसका जवाब दिया,

"ये तो बचपन में आदमी सीख लेता है, जब वो पहली क्लास में होता है और सांप-सीढ़ी खेल रहा होता है. हर तरफ सांप लटके हुए हैं. पासा है, उसको लीलने के लिए तैयार हैं. उनमें जो उस सांप-सीढ़ी को खेल गया, उसकी ताली बजती है... वो जीत गया, अब हम खेलेंगे. दुनिया ऐसा ही एक खेल है... राम पर बोलते समय ये दिक्कत आती है, कृष्ण पर बोलते समय ये और ज्यादा आएगी. कृष्ण ज्यादा बड़ी चुनौती हैं. क्योंकि योजनापूर्वक, जिन प्रतीकों से आपको ऊर्जा मिलती थी, मानवीय जीवन को अच्छे से जीने में सहजता होती थी, उनके चरित्रों को कथात्मक रूप से प्रदूषित किया गया है.

 

राम जैसे धीरोदात्त नायक, मर्यादा पुरुषोत्तम को, जो एक पत्नी व्रत अपनाता है, जो इतना स्त्रीवादी है कि वो एक राक्षस को भी मारते वक्त उसे माता बोलता है. जिसके गुरुकुल में पढ़ने वाले हनुमान भी इतने संवेदनशील हैं कि ‘जान दे मोई माई’ बोलते हैं सुरसा (राक्षसी) से. उसको स्त्रीविरोधी बनाया गया. जिसके कुल के बड़े वशिष्ठ ने भी निशाद को कलेजे से लगाया, उस राम को दलित विरोधी सिद्ध कर दिया गया. जिस कृष्ण का नायक्त्व 15 वर्ष की आयु में ऐसा है कि अकारण इंद्र को अहंकार हो जाए कि मैं बारिश फैला दूंगा, तो वो एक छोटे पहाड़ पर पूरे ब्रिज को ले जाएं और चार महीने वहां सबको रखते हैं. ऐसे नायक को नाचने वाला बना दिया. नाचना बुरा नहीं है. 64 कलाओं में एक है. सबको करनी भी चाहिए. लेकिन केवल उसको (कृष्ण) को यही काम दे देना... जानबूझकर.

 

सबको यही कान्हा चाहिए. बहुत अच्छा भगवान है, माखन ले गया, नाच लिया, चीरहरण कर लिया... नहीं. अन्याय पर अपने सगे मामा को राज्य परिषद से खींचकर अपदस्थ करने वाला कृष्ण किसी को नहीं चाहिए. वंचित कर दिए गए पांच लड़कों को खड़ा करके दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति को पराजित कराने वाला कृष्ण किसी को नहीं चाहिए."

मूर्तिपूजा पर क्या बोले कुमार विश्वास?

इस लंबे इंटरव्यू के दौरान लल्लनटॉप में काम कर रहे पत्रकारों ने भी अपने-अपने सवाल पूछे. ऐसा ही एक सवाल उपासना का था. उपासना ने पूछा कि राम ने कोई चमत्कार नहीं किया. वो नैतिक मूल्यों से बने हैं. हालांकि, इन सबके बीच एक नैरेटिव बनाया जा रहा है कि राम की मूर्ति बना दी जा रही है, उसको पूजा जा रहा है. तो क्या कुमार भी इस पूजनीय धारणा वाले राम को मानते हैं या नैतिकता वाले राम को मानते हैं?

कुमार ने जवाब दिया,

"राम ने कोई चमत्कार नहीं किया. उन्होंने कोई दैवीय काम नहीं किया. बाकायदा भले मनुष्य की तरह रोए, बहुत कष्ट में रहे, इतने पगला गए कि पशु-पक्षी से पूछने लगे, मेरी पत्नी कहा है. उन्होंने दिखाया कि बहुत सारी असफलता आने पर आप कैसे संघर्ष के साथ मुकाबला करें. बहुत लोग प्रज्ञावादी नहीं होते. सामान्य लोग होते हैं. उनको अमूर्त दिखता है एक मूर्ति में, एक फोटो में. मूर्ति सामान्य नागरिकों के लिए एक विग्रह है, जिसमें उन्हें भगवान दिखा, और उन्होंने हाथ जोड़ लिए. दुनिया की हर मां ने अपने बच्चे से जिबरिश में बात की है. ये कोई भाषा नहीं है, ये प्रेम है. भाव का आवेग है. उसी तरह मूर्ति माध्यम है, उस भाव के आवेग का. उसके लिए वितंडा करना गलत है."

इन सबके अलावा कुमार विश्वास ने राजनीति और मोदी कैबिनेट का हिस्सा बनने पर भी कई दिलचस्प चीज़ें बताईं. आप पूरा इंटरव्यू द लल्लनटॉप की ऐप या यूट्यूब चैनल पर देख सकते हैं. 

वीडियो: 'राम को इन लोगों ने दलित विरोध बता दिया', इस पर बुरा भड़क गए कुमार विश्वास

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