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10 साल पहले केजरीवाल को "बलिदानी" लिखा था, याद दिलाने पर कुमार विश्वास खदबदा गए!

कुमार विश्वास ने अरविंद केजरीवाल को फ़ोटो लगाकर बलिदानी बताया था.

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बाएं से दाएं. Kumar Vishwas की पोस्ट और उस पोस्ट के साथ लगी फोटो. (फोटो: सोशल मीडिया)

आम आदमी पार्टी पूर्व नेता कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) ने एक बार फिर से बिना नाम लिए आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की आलोचना की है. इस बार मामला उनकी एक बहुत पुरानी फेसबुक पोस्ट से जुड़ा है. कुमार विश्वास ने ये पोस्ट साल 2012 में तत्कालीन यूपीए सरकार के खिलाफ चल रहे अन्ना आंदोलन के समय लिखी थी. इस आंदोलन में अरविंद केजरीवाल भी शामिल थे. उन्होंने भूख हड़ताल भी की थी. कुमार विश्वास की फोटो इसी भूख हड़ताल के समय की है.

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Kumar Vishwas ने क्या लिखा था?

विश्वास की इस पोस्ट में एक फोटो है. फोटो में एकदम साफ सुथरे सफेद कुर्ते में अरविंद केजरीवाल नीचे लेटे नजर आ रहे हैं. उनके सिरहाने किरण बेदी और खुद कुमार विश्वास मौजूद हैं. कुमार ने इस फोटो को डालते हुए एकमद इमोशन पोस्ट लिखा था. उन्होंने लिखा,

"अरविंद की तबीयत लगातार खराब हो रही है. भीषण सुगर की बीमारी और भूख का आठवां दिन. मंच के पास, जिस टीन के नीचे वो पड़ा है, उसके तख्त के आसपास पानी भर गया है. आश्चर्य होता है कि क्या ये वही आदमी है, जो कभी आईआईटी से पढ़कर ज्वाइंट कमिश्नर था इनकम टैक्स विभाग में? खबर है कि सरकार उसे आत्महत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कर आधी रात उठाना चाहती है. ये भी शक है कि उसका हश्र भी जयप्रकाश नारायण वाले 'सरकारी इलाज' वाले फॉर्मूले से कर दिया जाए! मुश्किल से उठकर उसने मंच पर आकर कहा कि 'सरकार समझ ले कि मैं बलिदान देने आया हूं, आत्महत्या करने नहीं!' पर वो लड़ाई नहीं छोड़ेगा. भारत के सभी चर्चा चक्रवर्ती बुद्धिजीवी, इस निहायत प्रबल बेवकूफी के खिलाफ आमंत्रित हैं. ढोंग, नाटक, बीजेपी-संघ का हाथ, एनजीओ का विदेशी एजेंडा, प्रसिद्धि पाने का तरीका आदि फेसबुकी विचार आमंत्रित हैं. ऐसे पागलों को गालियां मिलनी ही चाहिए, जो दूसरों के भविष्य के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगाते हों. जीवन में कितना सुख है. मॉल हैं, फेसबुक है, फिल्म है, इश्क है, सैर-सपाटा है, ऑसम मौस है और ये बेककूफ हैं. मार जुटे पड़े हैं सबका सुकून खराब करने. देशभर में अंधेरा है, तो क्या हुआ? सब ठीक हो जाएगा, हो तो रहा है. बस सौ-दो सौ साल ही तो लूट पाएंगे ये सब नेता-वेता. चूंकि मुझे भी इस बेवकूफी की लाइलाज लत है, सो उन सब महान चिंतकों की घर से ही प्रेषित गालियां सादर स्वीकार. जय हिंद."

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अपनी इस पुरानी पोस्ट में कुमार विश्वास ने अरविंद केजरीवाल को बलिदानी बताया. ऐसा व्यक्ति बताया जो एक अच्छी खासी सरकारी नौकरी छोड़कर राष्ट्र निर्माण की राह पर निकला हो. हालांकि, इसके थोड़े साल बाद जब दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी की सरकार बन गई और कुमार विश्वास को राज्यसभा का टिकट पार्टी से नहीं मिला, तो उन्होंने भी पार्टी से किनारा कर लिया. फिर वो केजरीवाल की रह-रहकर आलोचना करने लगे. पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले तो विश्वास ने इशारों-इशारों में केजरीवाल को खालिस्तान का एजेंट बता दिया.

अब क्या कहा?

अब जब इस विरोधाभास के बीच विश्वास की ये पोस्ट वायरल हुई, तो स्वाभाविक तौर पर लोगों ने सवाल उठाए. पूछा, भाई इतना बड़ा चेंज कैसे हो गया? कुछ ने मजे भी लिए. इधर पत्रकार विकास कुमार ने इस पोस्ट को लेकर एक सिंपल सी टिप्पणी की. लिखा,

"डॉक्टर कुमार विश्वास जी, आपका ये पोस्ट पता नहीं क्यों और कैसे फेसबुक पर सुबह-सुबह दिख गया. एक बार पढ़ने पर तो भरोसा ही नहीं हुआ. फिर तारीख पर नजर गई. और सब ध्यान आ गया. देश बदलने का वो आंदोलन और उस आंदोलन के लोग. आप भी पढ़िए. मजा आएगा."

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इधर कुमार विश्वास ने कुछ इस अंदाज में टिप्पणी की,

"हमने तो उसको नजरिया समझा, उसने हम सबको बस जरिया समझा..."

कुमार विश्वास की इन पंक्तियों को केजरीवाल पर निशाने के तौर पर देखा जा रहा है. इनके जरिए विश्वास ने ये कहने की कोशिश की है कि उन्हें तो केजरीवाल पर पूरा विश्वास था, लेकिन केजरीवाल ने अपने फायदे के लिए उनका और उनके जैसे लोगों को बस यूज किया.

वीडियो- सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी पर कुमार विश्वास ने केजरीवाल को ये कह दिया

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