बड़ी फजीहत के बाद पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को उनके परिवार से मिलने की इजाजत दी. जाधव की मां और उनकी पत्नी हिंदुस्तान से रवाना हुए. पाकिस्तान पहुंचे. वहां उन्हें जेल ले जाया गया. मुलाकात होती, इससे पहले ट्विस्ट आ गया. पाकिस्तान वाले हिंदी फिल्में बहुत देखते हैं. शायद इसका ही असर था. चेकिंग के दौरान पाकिस्तान वालों को जाधव की पत्नी चेतनाकुल जाधव के जूते में कुछ 'नजर' आ गया. उन्हें शक हुआ. लगा, जासूसी करने के लिए जेम्स बॉन्ड की फिल्मों टाइप कोई चीज लाए हैं. जूते उतरवाकर रख लिए गए. बदले में सफेद रंग की चप्पल दी पहनने को. इतने घंटे बाद भी पाकिस्तान उस 'कुछ' को जाहिर नहीं कर पाया है. कहा है, ये 'कुछ' मेटेलिक सा है. जूते में मेटल लगा है या अलग से कोई चीज जुड़ी है, कोई उपकरण है, कोई कैमरा टाइप छुपी हुई चीज है, ये नहीं बताया. बस ये कहा कि मेटेलिक सा कुछ मिला है. इससे कुछ साफ नहीं होता. ये कमजोर तर्क है. अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में, खासकर ऐसे संवेदनशील मामलों में इतने कमजोर तर्क काम नहीं करते.

भारत ने बार-बार कुलभूषषण जाधव को कानूनी मदद देने की पेशकश की. मगर पाकिस्तान राजी नहीं हुआ. इतने महीनों से जाधव का परिवार वहां आकर जाधव से मिलने की अपील कर रहा था. अब जाकर उन्हें ये इजाजत मिली.
मराठी में बात करने की इजाजत नहीं दी जाधव से मिलने गए उनके परिवार की तलाशी ली गई. जो कि स्वाभाविक है. दोनों महिलाओं के कपड़े बदलवा दिए गए. चूड़ी, मंगलसूत्र सब उतरवा लिया. ये सब करने के बाद मुलाकात की इजाजत दी गई. शक का कीड़ा फिर भी कुलबुलाता रहा. जाधव का परिवार मराठी बोलता है. आपस में बात करने की ये ही भाषा है उनकी. मगर पाकिस्तान ने कहा, बात करनी है तो हिंदी बोलो. मराठी नहीं. इतनी सावधानी बरतनी थी, तो पाकिस्तान को पहले से प्लानिंग करनी चाहिए थी. पहले ही पूछ लेना चाहिए था कि जाधव का परिवार किस भाषा में बात करेगा. फिर किसी मराठी दुभाषिए को बुला लेना चाहिए था. पता चल जाता कि वो लोग क्या बात कर रहे हैं.

जाधव के परिवार का कहना है कि उन्हें ठीक से बात करने की इजाजत भी नहीं दी गई. मराठी में बात न करने देने का तर्क पच नहीं रहा. इतना ही शक था तो दुभाषिये का इंतजाम कर लेता पाकिस्तान.
जाधव की पत्नी का जूता रख लिया, कहा है जूते में 'कुछ तो मिला है' चेतनाकुल जाधव के जूते पाकिस्तान के पास हैं. उन्होंने रख लिए हैं. कहा, जांच करवाएंगे. अब कह रहे हैं कि जांच करवा ली है. उसमें कुछ तो मिला है. कुछ क्या है, इसके जवाब में बस इतना कहा है कि मेटालिक है. जूतों में मेटल का इस्तेमाल होता है कई बार. कभी डिजाइन के लिए. कभी कंफर्ट के लिए. हो सकता है ये उसी तरह का मेटल हो. या हो सकता है कि कुछ भी न हो. कुलभूषण जाधव के परिवार ने जासूसी की या ऐसा करने की कोशिश की, इसका इंच भर भी सबूत फिलहाल पाकिस्तान के पास नहीं है. जबकि पूरा इंतजाम उनका था. सारी सुविधाएं और फैसिलिटी उनकी ही थी. सिस्टम उसका था. मेटल है कि क्या है, ये पता करना बहुत आसान था पाकिस्तान के लिए. जूते में जासूसी उपकरण लगा है कि नहीं, ये पता करना इतना मुश्किल काम नहीं, जिसमें इतना वक्त लग जाए.

शीशे के आर-पार से मुलाकात हुई. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने ये तस्वीर जारी की.
भारत ने चार इल्जाम लगाए हैं पाकिस्तान पर भारत सरकार ने पाकिस्तान की निंदा की है. एक बयान जारी कर एतराज जताया है. भारत का कहना है कि पाकिस्तान ने नियमों को तोड़ा है. भारत ने पॉइंट्स भी गिनाए हैं. चार बातें हैं, जिनका इल्जाम पाकिस्तान पर है:
1. कुलभूषण जाधव के परिवार को उनकी जुबान में बात करने की इजाजत नहीं दी गई. 2. दोनों महिलाओं के कपड़े बदलवाए गए. उनकी चूड़ियां और मंगलसूत्र भी उतरवा दिए गए. 3. पाकिस्तान में पोस्टेड भारतीय उच्चायुक्त को इस मीटिंग के दौरान मौजूद नहीं रहने दिया गया. 4. समझौते के उलट पाकिस्तानी मीडिया को खुला छोड़ दिया गया, ताकि वो जाधव की मां और पत्नी को परेशान कर सकें.

पाकिस्तान को उम्मीद थी कि जाधव के परिवार को इस मीटिंग की इजाजत देकर उसकी छवि सुधरेगी. वो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुद का पक्ष मजबूत कर पाएगा. मगर भारत ने जिस तरह के आरोप लगाए हैं और आपत्तियां दर्ज कराई हैं, उसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है.
मुद्दई भी तुम, गवाह भी तुम और मुंसिफ भी तुम. क्या खूब न्याय होगा! पाकिस्तान ने पहले जासूसी का इल्जाम लगाकर कुलभूषण जाधव को पकड़ा. ईरान में पकड़ा और बलूचिस्तान में पकड़ने का दावा किया. उन्हें अपने बचाव के लिए वकील करने की इजाजत नहीं दी गई. भारत सरकार ने वकील करना चाहा, तो वो भी ठुकरा दिया. एकतरफा मुकदमा चलाया. मुद्दई भी तुम, गवाह भी तुम और मुंसिफ भी तुम. इतने वक्त बाद जाधव के परिवार को उनसे मिलने की इजाजत दी गई. जेल भी उनकी थी और मुल्क भी उनका था. तब भी इतना डरे हुए थे कि मुलाकात तक ठीक से नहीं करने दी. ठीक तरह से बात भी नहीं करने दी. सिक्यॉरिटी के नाम पर आप कितनी छूट ले सकते हैं?
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