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कोलकाता रेप मर्डर केस: SC ने CBI से मांगी 'फ्रेश स्टेटस रिपोर्ट', FIR में देरी पर फिर से उठा सवाल

SC Hearing Doctor Murder Case: Supreme Court ने सोशल मीडिया से पीड़िता की तस्वीर को हटाने का निर्देश दिया है. सॉलिसिटर जनरल Tushar Mehta ने शिकायत की है कि पश्चिम बंगाल सरकार RG Kar Medical College की सुरक्षा में लगे CISF कर्मियों के साथ सहयोग नहीं कर रही है. कोर्ट ने डॉक्टरों को 10 सितंबर की शाम 5 बजे तक काम पर लौटने के लिए कहा है.

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कोर्ट ने CBI को फ्रेश स्टेटस रिपोर्ट सौंपने को कहा है.

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कोलकाता के 'जूनियर डॉक्टर रेप मर्डर केस' (Kolkata Rape Case) पर अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी. कोर्ट ने CBI को अपनी जांच जारी रखने को कहा है और अगली सुनवाई पर एजेंसी को ‘फ्रेश स्टेटस रिपोर्ट’ पेश करने का निर्देश दिया है. अदालत ने कहा कि इस मामले में FIR दर्ज करने में कम से कम 14 घंटों की देरी हुई. कोर्ट ने सोशल मीडिया से पीड़िता की तस्वीरों को हटाने का निर्देश दिया है. साथ ही ये सुनिश्चित करने को कहा है कि RG Kar Medical College में किसी भी अनाधिकृति व्यक्ति को प्रवेश ना करने दिया जाए.

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चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले की सुनवाई कर रही है. बेंच में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल हैं. शीर्ष अदालत ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है. 

"डॉक्टरों के हड़ताल के कारण 23 लोगों की मौत"

सुनवाई की शुरुआत में ही पश्चिम बंगाल सरकार का पक्ष रख रहे सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि डॉक्टरों की हड़ताल के कारण 23 लोगों की मौत हुई है. 14 अगस्त को RG Kar Medical में उग्र भीड़ घुस गई थी. ऐसे आरोप लगाए गए कि अस्पताल के साथ-साथ क्राइम सीन को भी नुकसान पहुंचाया गया. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस तोड़फोड़ की घटना पर पश्चिम बंगाल सरकार से रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था. कोर्ट में राज्य सरकार ने सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट पेश की. 

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स्टेट्स रिपोर्ट को छिपाने की जरूरत क्यों?

रिपोर्ट के सीलबंद होने पर CBI ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई. भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार, CBI के साथ अपनी स्टेटस रिपोर्ट साझा नहीं कर रही है. जवाब में सिब्बल ने कहा कि स्टेटस रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई है बल्कि सीलबंद लिफाफे में अदालत को सौंपी गई है. 

मामला कब दर्ज हुआ?

सुनवाई के दौरन CJI चंद्रचूड़ ने पूछा कि प्रिंसिपल के आवास और आरजी कर मेडिकल कॉलेज के बीच की दूरी कितनी है? जवाब में मेहता ने कहा- 20 मिनट. इसके बाद उन्होंने स्पष्टीकरण मांगा कि 9 अगस्त को कोलकाता पुलिस ने अप्राकृतिक मौत का मामला एक्जेक्टली किस समय पर दर्ज किया था. सिब्बल ने जवाब दिया कि मृत्यु प्रमाण पत्र दोपहर 1.47 बजे आया और अप्राकृतिक मौत का मामला दोपहर 2.55 बजे दर्ज किया गया.

हालांकि, जनरल डायरी में एंट्री के समय को लेकर बहस शुरू हो गई. सिब्बल ने दावा किया कि मामला दोपहर 2:55 बजे दर्ज किया गया. लेकिन मेहता ने कहा कि इस पिछली रात को 11:30 बजे दर्ज किया गया. इसके बाद सिब्बल ने कोर्ट को जनरल डायरी एंट्री की कॉपी सौंपी. सिब्बल ने अदालत को ये भी बताया कि न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा शाम 4:10 बजे जांच की गई और इसकी वीडियोग्राफी भी की गई. उन्होंने बताया कि तलाशी और जब्ती रात 8:30 बजे से 10:45 बजे के बीच हुई.

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CCTV फुटेज की चर्चा

CJI ने रिपोर्ट पढ़कर खुलासा किया कि CCTV फुटेज में आरोपी को सेमिनार हॉल में घुसते और निकलते देखा गया था. उन्होंने पूछा कि क्या कोलकाता पुलिस ने CBI को सारे CCTV फुटेज उपलब्ध कराए थे. इस पर दोनों पक्षों से साकारात्मक जवाब मिला. हालांकि, मेहता ने ये भी कहा कि कोलकाता पुलिस ने केवल 27 मिनट की CCTV फुटेज सौंपी है. 

CBI ने कहा कि शुरुआत के 5 घंटे महत्वपूर्ण होते हैं. क्राइम सीन की घेराबंदी की जानी थी, लोग वहां आ-जा रहे थे. CBI वहां 5 दिन बाद पहुंची.

सॉलिसिटर जनरल ने फॉरेंसिक परिणामों पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि पीड़िता का शव अर्धनग्न अवस्था में पाया गया था. उन्होंने बताया कि फॉरेंसिक साक्ष्य पश्चिम बंगाल में CFSL को भेजे गए हैं, लेकिन आगे के विश्लेषण के लिए नमूनों को AIIMS और अन्य CFSL को भेजने की आवश्यकता पर जोर दिया. जब अदालत को फॉरेंसिक रिपोर्ट सौंपी गई, तब मेहता ने कहा कि अब ये सवाल प्रासंगिक है कि फॉरेंसिक के लिए सैंपल्स किसने एकत्र किए.

CISF कर्मियों के लिए आवास की कमी?

तुषार मेहता ने RG Kar Medical College में तैनात सेंट्रल इंडस्ट्रियल फोर्स (CISF) कर्मियों के लिए आवास की कमी की शिकायत की. खासकर महिला कांस्टेबलों के लिए. इस पर कपिल सिब्बल ने कोर्ट को CISF के लिए उपलब्ध कराए गए आवासों की जानकारी सौंपी. उन्होंने अदालत को बताया कि आवासीय सुविधाओं की पहचान CISF ने खुद की थी.

CBI ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल सरकार अस्पताल की सुरक्षा में लगी CISF के साथ सहयोग नहीं कर रही है. उन्होंने कहा आवास के साथ-साथ सुरक्षा उपकरणों और परिवहन की कमी के कारण कर्मियों को ड्यूटी में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

'शव का चालान…'

CJI ने पूछा कि शव को पोस्टमार्टम के लिए सौंपे जाने के बाद उसका चालान कहां है. इस पर तुषार मेहता ने कहा कि ये उनके रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है. इस पर CJI ने सवाल उठाया कि चालान के अभाव में पोस्टमार्टम करने वाला डॉक्टर शव को स्वीकार ही नहीं कर सकता. उन्होंने पूछा कि औपचारिक अनुरोध के अभाव में पोस्टमार्टम कैसे किया गया.

"काम पर लौटें डॉक्टर"

सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार ने कोर्ट से कहा कि डॉक्टरों के काम पर ना लौटने के कारण 23 लोगों की मौत हुई है. और 6 लाख मरीजों को इलाज से मना किया गया है. 

सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों को 10 सितंबर की शाम 5 बजे तक काम पर लौटने के लिए कहा है. CJI ने कहा है कि डॉक्टर्स अगर बताए गए समय तक ड्यूटी पर वापस लौट जाते हैं, तो उनके खिलाफ ट्रांसफर या अन्य दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी. हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ऐसा नहीं होता है तो डॉक्टर्स के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि लोगों की जरूरतों को डॉक्टर्स नजरअंदाज नहीं कर सकते. 

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