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संसद के विशेष सत्र में पेश होने वाला 'प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियॉडिकल बिल' क्या है?

नए बिल में अपील अधिकारी का भी प्रावधान लाया गया है. प्रकाशक इन अधिकारियों के पास प्रेस रजिस्ट्रार जनरल के फैसलों की अपील कर सकेंगे.

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बिल को 3 अगस्त को राज्यसभा में वॉइस वोट से पास किया गया था. (फोटो- PTI)

लोकसभा (Lok Sabha) की तरफ से 13 सितंबर को एक बुलेटिन जारी किया गया. बुलेटिन में बताया गया था कि 18 से 22 सितंबर तक संसद के विशेष सत्र (Parliament Special Session) के दरमियान क्या होगा? कहा गया कि विशेष सत्र के पहले दिन यानी 18 सितंबर को संसद के 75 सालों की यात्रा, सदन की उपलब्धियों, अनुभवों, यादों और संसद से निकले सबक पर चर्चा होगी.

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इसी बुलेटिन में 4 बिलों के नाम लिखे थे. इन्हीं बिलों पर लोकसभा में चर्चा होगी और पास कराने की कार्रवाई चलेगी. बिल इस प्रकार हैं?

1 - अधिवक्ता (संशोधन) बिल
2 - प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियॉडिकल बिल
3 - दी पोस्ट ऑफिस बिल
4 - मुख्य चुनाव आयुक्त व अन्य आयुक्त(नियुक्ति, सेवा की शर्त और कार्यकाल) बिल

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जानते हैं कि ‘प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियॉडिकल बिल’ में क्या है और किन बातों के बारे में बताया गया है.

प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियॉडिकल बिल को PRP बिल भी कहते हैं. आसान तरीके से समझिए. अगर आप या हम कोई पीरियॉडिकल या कोई पत्रिका या कोई अखबार निकालना चाहते हैं तो ऐसी पत्रिकाओं का रजिस्ट्रेशन किया जाना अनिवार्य होता है. कई लेवल की कागजी कार्रवाई करनी होती है. तब जाकर प्रेस रजिस्ट्रार जनरल के यहां आपकी पत्रिका का रजिस्ट्रेशन होता है.

सरकार द्वारा लाए जा रहे इस PRP बिल की मानें तो इसके पास होने के बाद ये प्रक्रिया थोड़ी आसान हो जाएगी. बिल साल 1867 में बने प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन कानून को रिप्लेस करने के लिए लाया गया है. लेकिन इसमें कुछ और चीजें नत्थी हैं. जैसे,

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- पहले किसी पत्रिका के रजिस्ट्रेशन को कैंसिल करने या सस्पेंड करने का अधिकार जिलाधिकारी के पास होता था. वो जिलाधिकारी, जहां से मूल प्रकाशन किया जा रहा है. इस बिल के पास होने के बाद ये अधिकार प्रेस रजिस्ट्रार जनरल के पास भी ये अधिकार हो जाएगा. 
- प्रकाशकों को DM के सामने शपथ पत्र देना पड़ता था, इस बिल के पास होने के बाद ऐसा करने की कोई शर्त नहीं होगी.
- अपील अधिकारी का भी प्रावधान लाया गया है. प्रकाशक इन अधिकारियों के पास प्रेस रजिस्ट्रार जनरल के फैसलों की अपील कर सकेंगे.
- पहले गलत जानकारी छापने पर 6 महीने की जेल हो सकती थी. नए बिल के पास होने के बाद जेल बस बिना रजिस्ट्रेशन के पत्रिका-अखबार छापने पर होगी. 
- इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति को कोर्ट से किसी आतंकी गतिविधि या किसी गैरकानूनी काम के लिए सजा हुई है, तो उसे पत्रिका-अखबार छापने का अधिकार नहीं होगा. 
- ऐसा भी कोई व्यक्ति जिसने देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने का कोई भी काम किया है, उसे भी पत्रिका छापने का अधिकार नहीं होगा.

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