NCERT की पॉलिटिकल साइंस किताबों में हाल में कई बदलाव किए गए. नई किताबों में बाबरी मस्जिद गिराने की घटना को हटा दिया गया है. साथ ही बाबरी मस्जिद का नाम भी नहीं लिखा गया है. इन बदलावों पर हो रहे विवाद के बीच केरल सरकार ने राज्य में इस घटना के बारे में पढ़ाई जारी रखने का फैसला लिया है. केरल के शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने मीडिया से कहा है कि राज्य सरकार किताब में हुए बदलावों को स्वीकार नहीं करेगी.
NCERT के हटाने के बाद भी पढ़ाई जाएगी 'बाबरी मस्जिद', इस राज्य में
NCERT की किताबों में अब बाबरी मस्जिद का नाम हटा दिया गया है. उसे अब "श्रीराम जन्मभूमि की जगह बनी तीन गुंबद वाली संरचना" कहा गया है.

केरल की न्यूज वेबसाइट ONMANORMA की रिपोर्ट के मुताबिक, वी शिवनकुट्टी ने कहा कि सिलेबस में संकीर्ण विचारधारा का प्रचार नहीं होना चाहिए. छात्रों को असल इतिहास और विज्ञान पढ़ाया जाना चाहिए. केरल में करीब डेढ़ दशक बाद हायर सेकेंडरी करिकुलम में बदलाव होने जा रहा है. इस पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि करिकुलम कमिटी इस पर फैसला करेगी कि हटाए गए हिस्सों (बाबरी मस्जिद) को सप्लीमेंट्री किताब या नई किताब में जोड़ा जाए. इसके लिए जुलाई के पहले हफ्ते में एक ट्रेनिंग भी दी जाएगी.
6 दिसंबर 1992 को उग्र हिंदुत्ववादी लोगों की भीड़ ने बाबरी मस्जिद गिराई थी. 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, अब उस जगह पर राम मंदिर का निर्माण हो चुका है. बाबरी मस्जिद का निर्माण मुगल बादशाह बाबर के सेनापति मीर बाकी ने करवाया था. NCERT की 12वीं की पॉलिटिकल साइंस की पिछली किताबों में मस्जिद को लेकर यही जानकारी थी. लेकिन अब NCERT की किताबों में अब बाबरी मस्जिद का नाम ही हटा दिया गया है. उसे अब "श्रीराम जन्मभूमि की जगह बनी तीन गुंबद वाली संरचना" कहा गया है.
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केरल में हायर सेकेंडरी लेवल पर विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों के लिए NCERT की किताबें पढ़ाई जाती हैं. जब NCERT ने सामाजिक विज्ञान की किताबों से 2002 के गुजरात दंगों और मुगल इतिहास को हटाया था, तब केरल सरकार ने सप्लीमेंट्री किताबों के जरिये इन हिस्सों को सिलेबस में जोड़ा था. अब NCERT के हालिया बदलावों के बाद राज्य सरकार ऐसा की फैसला कर सकती है.
केरल के शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने भी इसी सप्लीमेंट्री किताबों की बात की है. उन्होंने कहा कि सरकार ने इस आधार पर सप्लीमेंट्री किताबें लाई हैं, ताकि शिक्षा व्यवस्था राज्य की सांस्कृतिक विरासत, धर्मनिरपेक्ष नजरिये और प्रगतिशील मानसिकता के अनुसार बनाई जाए.
किताबों में हुए बदलाव पर NCERT के डायरेक्टर दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा था कि किताबों में बदलाव सालाना संशोधन का हिस्सा हैं और इसे शोर-शराबे का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए. न्यूज एजेंसी पीटीआई से उन्होंने कहा था,
“हमें स्कूली किताबों में दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए? हम सकारात्मक नागरिक बनाना चाहते हैं, न कि हिंसक और अवसादग्रस्त व्यक्ति. क्या हमें अपने छात्रों को इस तरह से पढ़ाना चाहिए कि वे आक्रामक हो जाएं, समाज में नफरत पैदा करें या नफरत का शिकार बनें? क्या यह शिक्षा का उद्देश्य है? हिंसा के बारे में क्यों पढ़ाया जाना चाहिए, जब बच्चे बड़े होंगे, तो वे इसके बारे में जानेंगे. लेकिन स्कूल की किताबों में ऐसा नहीं करना चाहिए. उन्हें बड़े होने पर यह समझने दें कि क्या हुआ और क्यों हुआ, बदलावों के बारे में हंगामा अप्रासंगिक है.”
12वीं की पॉलिटिकल साइंस की नई किताब में अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी जोड़ा गया है. बताया गया है कि 9 नवंबर, 2019 के फैसले ने राम मंदिर के लिए मंच तैयार किया, जिसका उद्घाटन इस साल जनवरी में हुआ.
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