मार्कंडेय काटजू. 10-90% वाले. उनकी टाइमलाइन पर चले जाओ कुछ न कुछ घटता ही रहता है. मार्कंडेय काटजू मोहल्ले के वो लल्लू अंकल हो गए हैं. जो मजाक-मजाक में मरोड़ देते थे. (अनुभव से काम लें ) ऐसी बात कहते कि आदमी खिसिया जाए. उनके लिए कोई बंदिश नहीं होती. मने मार्कंडेय काटजू वो आदमी हो गए हैं, जिनसे घरवाले दूर रहने को कहते थे. लेकिन हम फिर भी जाते काहे कि उनकी बातों में गिनगिनाई वाला मजा आता.
अब नया कांड कर दिया है. बोले खत्म करो ये हल्ला-गुल्ला कश्मीर ले लो, साथ में पैकेज डील में बिहार भी ले लो. मिलेगा तो दोनों मिलेगा. नहीं तो कुछ न मिलेगा. वाजपेयी भी यही ऑफर दिए थे, मुशर्रफ को उसने बेवकूफी कर दी नहीं माना. ऑफर फिर आ रहा है. ले लो.
एक तो ये कश्मीर अति ओवररेटेड है. दूसरा ये कि कश्मीर कहीं जा नहीं रहा है. पाकिस्तान कब्बो कश्मीर न पाएगा. किसी भले विद्वान आदमी ने कहा था जब तक कश्मीर में 7 दिन 6 रातों का हनीमून पैकेज मिलता रहेगा, कश्मीर पाकिस्तान को नहीं मिलेगा. एक्चुअली ये मजाक था. मजाक में आधे लोग ऑफेंड होंगे ही.

तो फिर क्या था लोग चढ़ गए उस अपडेट पर, खिसिया गए. अगला अपडेट आया ये.

कहा एक काम करो. जनहित याचिका लगा दो. बिहारियों पर जोक ही न बनें. जैसे सरदारों पर बनने वाले जोक बैन करने को लगी है. फिर गुडुपतान होती रहे. लोग और खिसियाए. एक अपडेट और आ गया.

इस बार और खिसिवाने को ये लिखे.

बीच में बार-बार कह रहे थे बिहारियों का सेंस ऑफ ह्यूमर कहां है. और बार-बार बिहार पर जोक्स बनाए जा रहे थे.

माने खखोर लिए पूरी तरह. अब इतना किसी चीज के पीछे पड़ जाओगे तो लोग गुस्साएंगे ही. तो गरियाना-वरियाना शुरू हो गया. काटजू ने कहा गालियों का कंपटीशन हो तो बिहारी गोल्ड मेडल ले आएंगे. बस गालियों के मामले में टक्कर यूपीवाले ही दे पाएंगे.

आगे स्क्रीनशॉट में वही गालियां लिखी हैं. जो काटजू को मिलीं. संभल कर पढ़ें.

अंत में हुआ ये कि कहे
जेडीयू वाले के.सी. त्यागी कह रहे हैं, हमारे ऊपर राष्ट्रद्रोह का केस कर दो. लेकिन मैं कहता हूं मुझे लुनाटिक्स एक्ट में अंदर करवा दो.