The Lallantop

योगी आदित्यनाथ का भी नाम लेने के लिए डराया गया... मालेगांव ब्लास्ट मामले में गवाह का बड़ा दावा

Malegaon Bomb Blast Case: मिलिंद जोशीराव ने आरोप लगाया कि उन्हें हिरासत में प्रताड़ित किया गया और उन पर RSS नेताओं और उत्तर प्रदेश के CM Yogi Adityanath को फंसाने का दबाव डाला गया. इस गवाह ने पलटने के बाद सुनाई ये स्टोरी.

Advertisement
post-main-image
मिलिंद जोशीराव उन 39 गवाहों में शामिल हैं जो अपने बयान से मुकर गए (फोटो: इंडिया टुडे)

मालेगांव बम ब्लास्ट (Malegaon Bomb Blast) मामले में अपने बयान से मुकरने वाले 39 गवाहों में से एक मिलिंद जोशीराव भी थे. जो अभिनव भारत ट्रस्ट के ट्रस्टी थे. जोशीराव ने कोर्ट को बताया कि ATS अधिकारियों ने उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दूसरे RSS नेताओं का नाम लेने के लिए दबाव बनाया गया था.

Advertisement
क्या है पूरा मामला?

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, मिलिंद जोशीराव लिफ्ट का बिजनेस चलाते थे. धमाके के लगभग एक महीने बाद 28 अक्टूबर 2008 को ATS ने उन्हें गिरफ्तार किया और 7 नवंबर 2008 तक हिरासत में रखा. उन्हें करीब सात दिनों तक ATS कार्यालय में रखा गया. कोर्ट में मिलिंद ने बताया कि ATS अधिकारी श्रीराव और परमबीर सिंह ने उन्हें प्रताड़ित करने की धमकी दी थी.

अभियोजन पक्ष का गवाह होने के बावजूद, मिलिंद ने उन दावों का समर्थन नहीं किया, जिसके लिए उन्हें कोर्ट में लाया गया था. यानी यह बताने के लिए ‘अभिनव भारत’ संगठन के गठन के पीछे का मकसद क्या था? जिसे कथित तौर पर सेना अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने स्थापित किया था.

Advertisement

अभियोजन पक्ष ने बताया कि जून 2006 में रायगढ़ किले में एक बैठक हुई थी. जिसमें कर्नल पुरोहित, बिजनेसमैन अजय राहिरकर, राकेश धावड़े और मिलिंद जोशीराव समेत कई गवाह शामिल हुए थे. बताते चलें कि मुकदमा शुरू होने से पहले ही स्पेशल कोर्ट ने धावड़े को बरी कर दिया था.

‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने के लिए हुआ था संगठन का गठन?

रिपोर्ट के मुताबिक, अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि अभिनव भारत के गठन का विचार पुरोहित के मन में आया और रायगढ़ किले की बैठक में इस पर चर्चा हुई. सभी मौजूद लोगों ने कथित तौर पर इस प्रस्ताव पर सहमति जताई और किले में अभिनव भारत की स्थापना और उसके मकसदों को पूरा करने की कसम खाई. आगे बताया कि अभिनव भारत ट्रस्ट का गठन 2007 में किया गया था. यह भी आरोप लगाया गया कि इस सगंठन का लक्ष्य भारत को ‘आर्यावर्त’ नाम के एक 'हिंदू राष्ट्र' में बदलना था.

भारतीय संविधान से असंतुष्ट होकर, उन्होंने कथित तौर पर अपना संविधान बनाने, निर्वासित सरकार बनाने और लोगों को गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग देने की योजना बनाई थी. अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि कथित तौर पर इस समूह का इरादा 'हिंदू राष्ट्र' के गठन का विरोध करने वालों को खत्म करना था. आरोप है कि इसके लिए कर्नल पुरोहित ने 21 लाख रुपये भी इकट्ठा किए थे.

Advertisement

ये भी पढ़ें: 'भागवत के अरेस्ट का आदेश मुझे दिया था, लेकिन... ' मालेगांव ब्लास्ट के जांच अधिकारी का खुलासा

कोर्ट में मिलिंद ने क्या कहा?

कोर्ट में मिलिंद ने रायगढ़ किले की बैठक में शामिल होने या अलग 'हिंदू राष्ट्र' बनाने की बात से इनकार कर दिया. इसके बजाय उन्होंने कहा कि ATS ने उनके साथ एक आरोपी की तरह व्यवहार किया और सात दिनों तक अपने कार्यालय में रखा. आगे कहा,

अधिकारियों ने मुझ पर अपने बयान में योगी आदित्यनाथ, असीमानंद, इंद्रेश कुमार, प्रोफेसर देवधर, साध्वी प्रज्ञा और काकाजी समेत पांच RSS नेताओं का नाम लेने के लिए दबाव डाला. उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि अगर मैंने ऐसा किया तो मुझे रिहा कर दिया जाएगा. जब मैंने इनकार कर दिया, तो DCP श्रीराव और ACP परमबीर सिंह ने मुझे प्रताड़ित करने की धमकी दी.

मिलिंद के बयान को सुनकर जज ने कहा कि उनका बयान महज एक ATS अधिकारी द्वारा लिखा/रिकॉर्ड किया गया था. कोर्ट ने उनकी गवाही पर विचार करते हुए कहा कि इससे साफ जाहिर होता है कि बयान मिलिंद की इच्छा से नहीं दिया गया था. अगर जांच अधिकारी इस तरह के बयान को साबित भी कर दें तो भी यह पर्याप्त नहीं हो सकता है, क्योंकि इससे इसकी प्रामाणिकता पर शक पैदा होता है.

वीडियो: कोर्ट की सुनवाई में मालेगांव ब्लास्ट से जुड़े सबूतों का क्या नतीजा निकला?

Advertisement