हाल के दिनों में सार्वजनिक मंचों से कई बार नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की जुबान फिसलती नजर आई है. इसको लेकर विपक्षी उन पर हमलावर रहते हैं. उनको बढ़ती उम्र का ताना देते हैं. बिहार की सियासी गलियारों में कानाफूसी है कि एक बार फिर से उनकी बढ़ती उम्र को लेकर तंज कसा गया है. और इस बार ये सियासी हमला किसी विपक्षी ने नहीं उनके अपने ने की है. जिनको नीतीश कुमार कभी गले लगाते हैं तो कभी उनकी पीठ थपथपाते नजर आते हैं. उस नेता का नाम है अशोक चौधरी. बिहार सरकार के ग्रामीण कार्य मंत्री.
अशोक चौधरी के नीतीश कुमार पर 'हमले' के पीछे की इनसाइड स्टोरी
Bihar सरकार में मंत्री रहे Ashok Chaudhary अपने हालिया बयानों को लेकर चर्चा में रहे हैं. 24 सितंबर को एक्स पर उनके किए एक पोस्ट ने बिहार की सियासी सरगर्मी बढ़ा दी. उनके इस पोस्ट को नीतीश कुमार से जोड़ कर देखा जाने लगा. सूत्रों के मुताबिक इस पोस्ट के बाद नीतीश कुमार ने उनको सीएम आवास समन किया.

दरअसल 21 सितंबर को अशोक चौधरी ने एक्स पर एक पोस्ट किया. जिसने बिहार के राजनीतिक माहौल में गर्मी ला दी. अशोक चौधरी के इस पोस्ट में सीधे तौर पर किसी का नाम नहीं लिया गया. लेकिन राजनीति में बिटवीन दी लाइन पढ़ने की रवायत रही है. बताया जा रहा है कि अशोक चौधरी ने सीएम नीतीश कुमार की बढ़ती उम्र पर इशारों में तंज कसा है. अब इस पोस्ट के पीछे अशोक चौधरी की जो भी मंशा रही हो. लेकिन उनके इस बयान ने पार्टी में उनसे नाराज लोगों को फ्रंटफूट पर खेलने का मौका दे दिया. अब पहले अशोक चौधरी के कवितानुमा पोस्ट को देखते हैं. फिर आगे मामले को डिकोड करेंगे.
अशोक चौधरी के इस पोस्ट हंगामा हो गया. हंगामे के बाद अशोक चौधरी ने सीएम आवास में नीतीश कुमार से मुलाकात की. आजतक से जुड़े सूत्रों के मुताबिक विवादित पोस्ट के बाद अशोक चौधरी को सीएम आवास तलब किया गया था. दोनों के बीच लगभग डेढ़ घंटे तक बातचीत हुई. मुलाकात के बाद अशोक चौधरी ने दो फोटो पोस्ट किए. तस्वीर में उनकी केमेस्ट्री ठीक दिख रही है. फोटो के कैप्शन में उन्होंने लिखा,
कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना", तो सुनी सुनाई बातों पर ध्यान देना 'छोड़ दीजिये'!
नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद इस विवाद पर सफाई देते हुए अशोक चौधरी ने कहा,
मेरा पोस्ट नॉर्मल था. मैं नीतीश कुमार के खिलाफ क्यों पोस्ट करूंगा. मैं तो नीतीश कुमार को मानस पिता मानता हूं. जितना प्यार मुझे नीतीश कुमार से मिला उतना किसी को नहीं मिला होगा.
अशोक चौधरी भले ही अब सफाई दें, लेकिन उनके हालिया बयान इस ओर इशारा करते हैं कि ऑल इज नॉट वेल इन जदयू. उनके इस बयान को जदयू के भीतर के दूसरे खेमे ने लपक लिया. ललन सिंह गुट के नेता माने जाने वाले जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने उनके इस बयान पर इशारों में कटाक्ष किया है. नीरज कुमार ने कहा,
कद छोटा करने की कवायद का दर्दनीतीश कुमार पर कोई सवाल नहीं खड़ा कर सकता. जनता दल यूनाइटेड जिस ऊंचाई पर है वो नीतीश कुमार की देन है. जो भी नीतीश कुमार पर निशाना साधेगा. उसे सीधा जवाब मिलेगा. एक नीतीश कुमार सब पर भारी.
अशोक चौधरी भले ही अब डैमेज कंट्रोल की कोशिश करें. लेकिन जदयू में हुए हालिया बदलाव उनके लिए उत्साहजनक नहीं रहे हैं. अशोक चौधरी खुद को जदयू में सबसे बड़े दलित फेस के रूप में प्रोजेक्ट करते हैं. लेकिन अब पार्टी में उनके पर कतरे जाने के संकेत मिल रहे हैं. अशोक चौधरी को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब श्याम रजक को जदयू में शामिल कराया गया. कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार इनकी गतिविधियों पर नजर बनाए हुए थे. और उसको बैलेंस करने के लिए नीतीश कुमार ने श्याम रजक को पार्टी में शामिल किया. और सीधे राष्ट्रीय महासचिव का पद दे दिया. जबकि अशोक चौधरी को हाल में बनाए गए जदयू कार्यकारिणी में भी जगह नहीं मिली. जिसमें 118 लोग थे. जब 118 लोगों में भी अशोक चौधरी को जगह नहीं मिली तो उनकी निराशा बाहर आई. अशोक चौधरी का मौजूदा पोस्ट उसी निराशा की उपज बताई जा रही है. सुमित्रानंदन पंत के शब्दों में कहें तो ‘वियोगी होगा पहला कवि आह से उपजा होगा गान’ की तर्ज पर उनका दर्द कविता बनकर फूट पड़ा.
जदयू में नंबर दो की राजनीतिजदयू में हमेशा से नीतीश कुमार हमेशा से दो पावर सेंटर बना कर रखते हैं. और उसका उपयोग अपने राजनीतिक सहूलियत के हिसाब से करते हैं. जब समता पार्टी के दिनों में जॉर्ज फर्नांडिस होते थे तो नीतीश कुमार ने शरद यादव को आगे बढ़ाया. फिर जब शरद यादव राष्ट्रीय अध्य़क्ष बने तो उनका कद छोटा करने के लिए आरसीपी सिंह को आगे बढ़ाया. फिर आरसीपी के सामने कभी उपेंद्र कुशवाहा तो कभी ललन सिंह को आगे बढ़ाया. जब ललन सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष बने तो अशोक चौधरी का कद बढ़ाया. राजनीतिक पंडितों की मानें तो अशोक चौधरी ने नीतीश कुमार की शह पर ही ललन सिंह से अदावत की थी. जब लोकसभा चुनाव खत्म हुआ तो खबरें चली कि किसी दलित को जदयू अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष बना सकती है. लेकिन नीतीश कुमार ने संजय झा पर दांव खेला.
राष्ट्रीय सहारा से जुड़े रहे वरिष्ठ पत्रकार रमाकांत चंदन बताते हैं,
निय्यत ए शौक भर न जाए कहींदरअसल अशोक चौधरी इन दिनों परेशान इसलिए हैं कि उनको दरकिनार किया जा रहा है. अगर शुरुआती दौर में देखें जब राष्ट्रीय अध्यक्ष बदले जाने की बात थी. जब ललन सिंह अध्यक्ष थे. तब कहा गया कि नीतीश कुमार दलित अध्य़क्ष बनाएंगे. और विधानसभा में ये कार्ड खेलेंगे. पर ये नहीं हुआ. इसके बाद से अशोक चौधरी को बड़ा धक्का लगा. जिसके बाद उन्होंने कई विवादित कदम उठाएं. जिसमें पहली हरकत थी कि उनकी बेटी चिराग पासवान की पार्टी से चुनाव लड़ी. ये चीज कहीं न कहीं नीतीश कुमार के सामने निगेटिव रूप में गया. फिर बेटी की जीत के बाद ये सपरिवार नरेंद्र मोदी से मिले. ये भी निगेटिव गया. उसके बाद अशोक चौधरी बिना पार्टी नेतृत्व को बताए मुकेश सहनी से मिलने चले गए जो महागठबंधन के नेता हैं.
नीतीश कुमार की राजनीति की पर यह एक शेर मुफीद बैठता है कि निय्यत ए शौक भर न जाए कहीं तू भी दिल से उतर ना जाए कहीं. जॉर्ज से लेकर शरद यादव. और ललन सिंह, आरसीपी सिंह से लेकर उपेंद्र कुशवाहा तक ये सभी कभी न कभी नीतीश कुमार के बेहद खास रहे हैं. और फिर बाद में उनसे नीतीश कुमार का मोहभंग हुआ है. रमाकांत चंदन बताते हैं,
हाल में विवादों में रहे हैंकहीं न कहीं नीतीश कुमार का मन अशोक चौधरी से भरने लगा है. इसलिए उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी जा रही है. पिछले दिनों जब मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा हो रही थी. तो मंत्रीपरिषद् से ड्रॉप होने वाले मंत्रियों की लिस्ट में अशोक चौधरी का भी नाम था.
यह पहला मौका नहीं है जब अशोक चौधरी विवादों में पड़े हैं. पिछले कुछ समय में विवादों की एक फेहरिस्त बन गई है. जब अशोक चौधरी अपने बयान या एक्शन के चलते विवादों में पड़े हैं. कुछ दिनों पहले अशोक चौधरी भूमिहार समुदाय पर अपने बयान के चलते चर्चा में रहे थे. 31 अगस्त को पार्टी के एक कार्यक्रम में जहानाबाद गए अशोक चौधरी ने कहा कि भूमिहारों को मैं अच्छे से जानता हूं. जब लोकसभा चुनाव हुआ तो इस जाति के लोग जहानाबाद में नीतीश कुमार का साथ छोड़कर भाग गए. क्योंकि उनके जाति का कैंडिडेट नहीं था.
उनके इस बयान पर विपक्ष ने तो सवाल उठाए ही. पार्टी के अंदर भी उन पर हमले होने लगे. जेडीयू नेता नीरज कुमार ने उन पर करारा हमला बोला. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार कभी जाति की राजनीति नहीं करते. किसी को भी इस तरह के हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. किसी जाति से राजनीतिक घृणा हमारी कार्यशैली का हिस्सा नहीं है. लोग नीतीश कुमार को पसंद करते हैं. अशोक चौधरी को ऐसे बयानों से बचना चाहिए. उन्होंने चौधरी पर सवाल करते हुए कहा कि उन्होंने कटिहार में पार्टी के चुनावी प्रभारी के रूप में क्या किया. और चुनाव प्रचार में कितने दिन क्षेत्र में बिताए.
ललन सिंह से लड़ाई को लेकर भी चर्चा में रहेललन सिंह जब जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तब अशोक चौधरी की उनसे भी तकरार हो गई. जदयू की एक मीटिंग में ललन सिंह ने जब अशोक चौधरी से पूछा कि वे बार-बार बरबीघा किससे पूछ कर जाते हैं. इस पर अशोक चौधरी ने कहा कि वो नीतीश कुमार से पूछकर और बताकर जाते हैं. जिसके बाद ललन सिंह और अशोक चौधरी के बीच इस विषय को लेकर तीखी बहस हुई. दरअसल बरबीघा के जदयू विधायक सुदर्शन ने राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से अशोक चौधरी के हस्तक्षेप को लेकर शिकायत की थी.
वीडियो: नीतीश कुमार के मंत्री अशोक चौधरी ने ट्विट कर किसपर निशाना साधा?