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राज्यपाल को घूस खिलाने की कोशिश हुई? RSS के नेता का नाम आया? अब CBI जांच करेगी

दो फाइलों की मंजूरी के लिए 300 करोड़ की पेशकश!

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सत्यपाल मलिक. (फाइल फोटो)
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रह चुके सत्यपाल मलिक के उन आरोपों की अब सीबीआई जांच कराई जाएगी, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके कार्यकाल के दौरान अंबानी और आरएसएस से जुड़े एक व्यक्ति की दो फाइलों को मंजूरी देने के बदले 300 करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी. मलिक इस समय मेघालय के राज्यपाल हैं और पिछले कुछ महीनों से कृषि कानूनों को लेकर मोदी सरकार पर तीखी टिप्पणियां करते आ  रहे हैं. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू कश्मीर प्रशासन ने रिश्वत मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की है. मालूम हो कि सत्यपाल मलिक ने कहा था कि जब उन्हें रिश्वत देने की कोशिश की गई, तो उन्होंने डील रद्द कर दिया था. उन्होंने इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी और पीएम ने कहा था कि भष्टाचार पर समझौता करने की जरूरत नहीं है.   पूरा मामला मलिक ने राजस्थान के झुंझनू में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था,
‘कश्मीर जाने के बाद मेरे सामने दो फाइलें लाई गईं. एक अंबानी और दूसरी आरएसएस से जुड़े व्यक्ति की थी, जो महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली तत्कालीन पीडीपी-भाजपा सरकार में मंत्री थे और प्रधानमंत्री के बहुत करीबी थे.’
उन्होंने आगे कहा,
‘दोनों विभागों के सचिवों ने मुझे बताया था कि यह अनैतिक कार्य से जुड़ा हुआ है, इसलिए दोनों सौदे रद्द कर दिए गए. सचिवों ने मुझसे कहा था कि आपको प्रत्येक फाइल को मंजूरी देने के लिए 150-150 करोड़ रुपये मिलेंगे, लेकिन मैंने उनसे कहा कि मैं पांच जोड़ी कुर्ता-पायजामा लेकर आया था और केवल उन्हें ही वापस लेकर जाऊंगा.’
उनके इस भाषण का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हुआ था. वैसे तो सत्यपाल मलिक ने इस बारे में विस्तार नहीं बताया था कि आखिर ये दो फाइलें किन मामलों से जुड़ी हुई थी. लेकिन न्यूज एजेंसी पीटीआई ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि मलिक सरकारी कर्मचारियों, पेंशनभोगियों और मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए एक सामूहिक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी योजना को लागू करने से संबंधित फाइल का जिक्र कर रहे थे, जिसके लिए सरकार ने अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह के रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के साथ करार किया था. जम्मू कश्मीर का राज्यपाल रहने के दौरान अक्टूबर 2018 में उन्होंने कर्मचारियों के लिए रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के साथ सामूहिक स्वास्थ्य बीमा करार को गड़बड़ी के शक में रद्द कर दिया था. दो दिन बाद, राज्यपाल ने रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के साथ अनुबंध को बंद करने को मंजूरी दे दी और पूरी प्रक्रिया की जांच के लिए मामले को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को भेज दिया ताकि यह देखा जा सके कि यह पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से किया गया था या नहीं. मलिक ने कहा था कि इस मामले को लेकर उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री से भी हुई थी, जिसमें पीएम मोदी ने कहा था कि भ्रष्टाचार से समझौता करने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा,
‘एहतियात के तौर पर मैंने प्रधानमंत्री से मिलने का समय लिया और उन्हें इन दोनों फाइलों के बारे में बताया. मैंने उन्हें सीधे बताया कि मैं पद छोड़ने के लिए तैयार हूं लेकिन अगर मैं पद पर बना रहूंगा तो इन फाइलों को मंजूरी नहीं दूंगा.’
सत्यपाल मलिक ने यह भी आरोप लगाया था कि कश्मीर देश की सबसे भ्रष्ट जगह है. उन्होंने कहा था,
'पूरे देश में, 4-5 फीसद कमीशन की मांग की जाती है, लेकिन कश्मीर में 15 फीसद कमीशन की मांग की जाती है.'
उन्होंने कहा था कि उनके नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर में भ्रष्टाचार का कोई बड़ा मामला सामने नहीं आया और उन्होंने यहां तक ​​कि घाटी में अपने रिश्तेदारों पर भी कोई तरफदारी करने से इनकार कर दिया था. बाद में जब मलिक से यह पूछा गया था कि वो ‘आरएसएस का नेता’ कौन था, तो उन्होंने नाम बताने से इनकार कर दिया और कहा कि सबको पता है कि ‘जम्मू कश्मीर में आएसएस का प्रभारी कौन था.’ इंडियन एक्सप्रेस से उन्होंने कहा था,
'उनका नाम लेना सही नहीं होगा, लेकिन आप पता कर सकते हैं कि जम्मू कश्मीर में आरएसएस प्रभारी कौन था. लेकिन मुझे खेद है, मुझे आरएसएस का नाम नहीं लेना चाहिए था.'