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जगदीप धनखड़ बने देश के नए उपराष्ट्रपति, मार्गरेट अल्वा को हराया

जगदीप धनखड़ को जहां 528 वोट मिले, वहीं मार्गरेट अल्वा 182 वोट ही हासिल कर पाईं.

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जगदीप धनखड़ (फोटो: पीटीआई)

जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhad) देश के नए उपराष्ट्रपति बन गए हैं. उन्होंने अपनी प्रतिद्वंदी और UPA उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हरा दिया. जगदीप धनखड़ को जहां 528 वोट मिले, वहीं मार्गरेट अल्वा 182 वोट ही हासिल कर पाईं. इससे पहले, उपराष्ट्रपति पद के लिए 6 अगस्त की सुबह 10 बजे वोटिंग शुरू हुई, जो शाम 5 बजे खत्म हो गई. इसके बाद शाम 6 बजे से वोटों की गिनती शुरू हुई. जगदीप धनखड़ NDA की तरफ से उम्मीदवार बनाए गए थे.

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55 सांसदों ने नहीं दिया वोट 

उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में राज्यसभा और लोकसभा के मिलाकर कुल 725 सांसदों ने मतदान किया. TMC ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. हालांकि, TMC के सांसद शिशिर अधिकारी और दिव्येंदु अधिकारी ने वोटिंग की. वहीं कुल 55 सांसदों ने मतदान नहीं किया.  जिन सांसदों ने मतदान नहीं किया उनमें टीएमसी के 34, बीजेपी, सपा और शिवसेना के दो और बसपा के एक सांसद शामिल हैं. 

कौन हैं Jagdeep Dhankhad?

जगदीप धनखड़ मूलत: राजस्थान के रहने वाले हैं. उनका जन्म सन 1951 में झुंझुनू के किठाना गांव में हुआ था. प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल में हुई. उसके बाद उनका सेलेक्शन सैनिक स्कूल में हुआ. छठी से 12 तक की पढ़ाई चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में. सैनिक स्कूल के बाद धनखड़ ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से फिज़िक्स में ग्रैजुएशन किया. हालांकि इसके बाद उन्होंने विज्ञान की पढ़ाई छोड़ वकालत को चुना. 1978-79 में धनखड़ ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से ही LLB किया.

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साल 1979 में धनखड़ ने राजस्थान बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन करा लिया और इसके बाद वकालत शुरू कर दी, जो राजनीति के अलावा उनका मुख्य पेशा बना और पश्चिम बंगाल के गर्वनर बनने तक जारी रहा. जगदीप धनखड़ को करीब से जानने वाले बताते हैं कि वो चौधरी देवी लाल की राजनीति से प्रभावित थे. और देवी लाल ही उन्हें राजनीति में लेकर आए. 

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1999 में शरद पवार ने कांग्रेस छोड़ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) बनाई. जगदीप धनखड़ ने कांग्रेस छोड़ शरद पवार की पार्टी ज्वाइन कर ली. हालांकि NCP में वो ज्यादा दिन टिके नहीं. साल 2000 में धनखड़ ने बीजेपी का दामन थाम लिया. मोदी और अमित शाह की बीजेपी में जगदीप धनखड़ को साल 2019 में बीजेपी ने पश्चिम बंगाल का गवर्नर बना दिया. और इसके बाद धनखड़, टीवी और अखबारों की सुर्खियों काबिज हो गए.

वहीं मार्गरेट अल्वा राजनीति की पुरानी खिलाड़ी हैं. वह 1984 से 1985 तक संसदीय मामलों, युवा और खेल, महिला और बाल विकास मंत्रालय संभाल चुकी हैं. साथ ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में केंद्रीय राज्य मंत्री रह चुकी हैं. साथ ही वे कई हाउस पैनल में सदस्य भी रही हैं. इसके साथ ही मार्गरेट सूचना प्रसारण, पर्यटन और परिवहन के क्षेत्र में काम कर चुकी हैं. साल 1974 में उन्हें राज्यसभा भेजा गया था. वहीं साल 1999 में वे पहली बार लोकसभा के लिए चुनी गईं. फिर उन्होंने संसद का रुख नहीं किया. मार्गरेट अल्वा उत्तराखंड और राजस्थान की राज्यपाल भी रह चुकी हैं. 

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