Iran की संसद ने IAEA के ख़िलाफ़ एक बिल को मंज़ूरी दी है. IAEA संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की परमाणु निगरानी संस्था है. यह संस्था दुनियाभर में चल रहे परमाणु कार्यकामों पर निगरानी रखती है. ईरान की संसद में पारित बिल में IAEA के साथ सभी तरह के सहयोग को ख़त्म करने का प्रस्ताव है. वहां की 12 सदस्यों वाली गार्जियन काउंसिल के अप्रूवल के बाद यह बिल कानून के तौर पर अमल में लाया जाएगा.
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ईरान ने यह कदम इज़रायल के साथ 12 दिनों तक चले तनाव के बाद उठाया है. IAEA के खिलाफ बिल को ईरानी संसद में बिना किसी विरोध के पारित किया गया. आखिर ईरान क्यों परमाणु निगरानी संस्था से इतना ज्यादा नाराज हो गया है?

द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान ने यह कदम इज़रायल के साथ 12 दिनों तक चले तनाव के बाद उठाया है. संघर्ष के दौरान ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया गया था. ये परमाणु ठिकाने IAEA (International Atomic Energy Agency) के अंतर्गत ही आते हैं. हमलों के बाद IAEA की ओर से दी गई प्रतिक्रिया से ईरान ख़ुश नहीं है. इसके ख़िलाफ़ अब ईरान ने संसद में बिल पास किया है. बिल को ईरानी संसद में बिना किसी विरोध के पारित किया गया. किसी भी सांसद ने बिल के विरोध में अपना वोट नहीं डाला.
ईरान की संसद के अध्यक्ष मोहम्मद बाकर कलीबाफ़ (Mohamed Baqer Qalibaf) का कहना है कि ईरान अब अपने शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम को गति देगा. उन्होंने IAEA पर ईरान के परमाणु ठिकानों पर हाल के हमलों की अनदेखी करने का आरोप लगाया. कलीबाफ़ ने कहा,
IAEA ने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया है. एजेंसी ने अपनी अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता को खो दिया है. वह सिर्फ़ एक पॉलिटिकल टूल बनकर रह गया है. जब तक ईरान के परमाणु स्थल पूरी तरह सुरक्षित नहीं हो जाते, तब तक IAEA के साथ सहयोग सस्पेंड रहेगा.
ईरान की संसद में पारित नए प्रस्ताव के मुताबिक, ईरान में परमाणु ठिकानों का दौरा करने के लिए IAEA निरीक्षकों को ईरान की सर्वोच्च नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल (NSC) से परमिशन लेनी होगी. विधेयक में निगरानी कैमरा लगाने, निरीक्षण रोकने और IAEA को रिपोर्ट पेश करने से रोकने की भी अपील की गई है. ईरान इसमें तभी ढील देगा, जब उसे उसके परमाणु ठिकानों को सुरक्षा की गारंटी मिलेगी.
ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) की मीडिया विंग सेपाह न्यूज़ ने प्रस्ताव की पुष्टि की है. इसे एक सख़्त संदेश बताया है. साथ ही IAEA को लेकर कहा,
अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का नेतृत्व एक ऐसी ज़िम्मेदारी नहीं है जिसे किसी जासूस को सौंप दिया जाए.
ईरान के नेताओं का कहना है कि IAEA जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों को शांतिपूर्ण परमाणु स्थलों पर हमलों की निंदा करनी चाहिए थी.
गौरतलब है कि IAEA ने ईरान की आलोचना की थी. अपनी ताज़ा रिपोर्ट में एजेंसी ने आरोप लगाया था कि ईरान की ओर से परमाणु ठिकानों को लेकर सहयोग की कमी है. ईरान के ख़िलाफ IAEA बोर्ड के ज़्यादातर सदस्य देशों ने निंदा प्रस्ताव भी पारित किया था. इसी के बाद ईरान की नेशनल सिक्योरिटी कमेटी (NSC) ने IAEA के साथ सहयोग ख़त्म करने की सिफारिश की थी.
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