जब भी कोई पहली बार हवाई जहाज में यात्रा करता है, तो प्लेन के जरा भी हिलने डुलने पर मन में बस एक ही ख्याल आता है कि भगवान बस आज बचा लो आगे से नहीं बैठूंगा/बैठूंगी. लेकिन प्लेन उड़ा रहे पायलट पर हमारा भरोसा इस डर पर भारी पड़ता है और हम तसल्ली से सफर का आनंद लेते हैं. अब आप कल्पना कीजिए कि जिस प्लेन में आप सफर कर रहे हैं, उस प्लेन को उड़ा रहा पायलट प्लेन को ऑटोपायलट पर लगा के सो जाए, तो क्या ये यात्रियों की जान के साथ खिलवाड़ नहीं है? एक ताजा सर्वे में ये मामला सामने आया है कि 66 फीसदी भारतीय पायलट उड़ान के दौरान कॉकपिट में ही झपकी ले लेते हैं.
इंडियन पायलट बीच फ्लाइट में ही सो जाते हैं, वजह ये है
एक सर्वे में करीब 66 फीसदी इंडियन पायलट्स ने स्वीकारा है कि वो बीच फ्लाइट में सो जाते हैं.

सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन द्वारा कराए गए 'थकान के कारण दिन में आने वाली नींद और झपकी के असर' पर एक सर्वे में 542 भारतीय पायलट्स ने भाग लिया. 542 में से 66% पायलट्स ने ये स्वीकार किया कि वो अपने साथी पायलट्स के सदस्यों को अलर्ट किए बिना ही काम के दौरान कॉकपिट में झपकी मार लेते हैं. एविएशन सेक्टर में तमाम समस्याओं और अत्यधिक वर्कलोड के चलते बीच उड़ान के दौरान पायलट्स द्वारा नींद और झपकी लेने का खुलासा करते इस सर्वे के सामने आने पर यात्रियों की सुरक्षा पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा होता है.
इस सर्वे में क्षेत्रीय, घरेलू और दुनिया भर में काम कर रहे भारतीय पायलट्स को शामिल किया गया था. जिसमे EPSWORTH SLEEPINESS SCALE पर उनकी थकान श्रेणियों को मापा गया. इस स्केल की मदद से पता चलता है कि अलग-अलग परिस्थितयों में आपको कितनी थकान या नींद आती है. एनजीओ सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन द्वारा किए गए इस सर्वे में शामिल पायलट्स की प्रतिक्रियाओं से पता चला कि लगभग 54% पायलट दिन में ज्यादा नींद से परेशान हैं, जबकि 41% पायलट दिन में मध्यम नींद से पीड़ित हैं. इन आंकड़ों से ये पता चलता है कि आखिर क्यों 66% पायलट्स उड़ान के समय झपकी या अनजाने में कॉकपिट में सो जाते हैं.
इस सर्वे में शामिल 74% पायलट्स ने बैक टू बैक मॉर्निंग डिपार्चर को थकान के लिए सबसे बड़ा कारण बताया. इस सर्वे को करने वाले NGO के संस्थापक, कैप्टन अमित सिंह ने इस मामले पर कहा,
"सर्वेक्षण में पायलट से एक सवाल पूछा कि उन्हें सुबह 6 बजे उड़ान डिपार्चर के लिए रिपोर्ट करना हो तो वो कब जागेंगे? अधिकांश क्रू ने जवाब दिया कि रिपोर्ट करने के लिए उन्हें सुबह 3 बजे से 3:30 बजे के बीच जागना पड़ेगा. यह इशारा करता है कि उनकी बॉडी क्लॉक आराम करने की सबसे महत्वपूर्ण अवधि के दौरान ही बाधित होती है. ऐसे में थकान या नींद आना स्वाभाविक है.’
क्यों बढ़ रहे हैं ऐसे मामले?
पिछले कुछ दिनों से देश भर में लगातार विमानों में खराबी के मामले सामने आ रहे हैं. इसमें SpiceJet, Go First, IndiGo और Air India जैसी प्रमुख एयरलाइंस शामिल हैं. एविएशन सेक्टर के एक्सपर्ट्स का मानना है कि एयरलाइंस की खराब फाइनेंशियल कंडीशन, सप्लाई चेन के टूटने, DGCA में तकनीकी दक्षता और विमानों में तकनीकी खराबी के चलते इन मामलों के बढ़ोत्तरी हुई है.
लगभग दो साल तक कोरोना महामारी के कारण विमान बेकार पड़े रहे. इसके चलते कई एयरलाइन्स ने अपनी लागतों में कमी के लिए छंटनी भी की. अब एक बार फिर से फ्लाइट की संख्या बढ़ने से बड़ी संख्या में विमानों को काम पर लगाया गया है, लेकिन एयरलाइन्स ने नई भर्ती नहीं की है, जिसके कारण इस दबाव को संभालने के लिए एयरलाइन के पास पर्याप्त वर्कफोर्स नहीं है.
इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (ICAO) ने थकान को कम मनोवैज्ञानिक या कम शारीरिक कार्यक्षमता की शारीरिक स्थिति के रूप में परिभाषित किया है. जो नींद की कमी या लंबे समय तक जागने, सर्कडियन फेज यानी दिनचर्या बिगड़ने, या ज्यादा काम की वजह से होता है जो एक विमान चालक दल के सदस्य की सतर्कता और प्रतिभा को खराब कर सकता है जिस वजह से सुरक्षा से जुड़े कार्यों पर इसका बुरा असर पड़ सकता है.
थकान, एविएशन दुर्घटनाओं और घटनाओं का एक बहुत बड़ा कारण माना जाता है. 2010 मैंगलोर क्रैश, जिसमें 158 लोग मारे गए थे, यह दुर्घटना भी पायलट के थकान के कारण हुई थी. इस दुर्घटना में कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर से पता चला कि कैप्टन 2 घंटे 5 मिनट की उड़ान के दौरान 1 घंटे 40 मिनट के लिए सो रहा था. पायलट की अधूरी नींद और बिगड़े हुए दिनचर्या के चलते लिया गया गलत फैसला इस दुर्घटना का कारण बन बैठा.
क्या पायलट फ्लाइट के दौरान सो सकता है?
आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा कि पायलट को उड़ान के दौरान सोने की परमिशन होती है या नहीं? तो आपको बता दें कि ये कितना भी खतरनाक क्यों न लगे, लेकिन सच्चाई यही है कि पायलट को ऐसा करने के लिए मोटिवेट किया जाता है. द हिन्दू की एक खबर के मुताबिक, उड़ान के दौरान पायलट द्वारा एक छोटी झपकी लेना अच्छा है, लेकिन इस अभ्यास को नियंत्रित करने वाले सख्त नियम भी हैं.
पायलट्स के 'आराम के समय' को कैटेगरी में रखा जा सकता है: कंट्रोल्ड रेस्ट लेना और बंक रेस्ट लेना. कंट्रोल्ड या नियंत्रित रेस्ट में पायलट कॉकपिट में सोता है; वहीं बंक रेस्ट में पायलट यात्री केबिन में या एक अलग केबिन में सोता है. लेकिन एक उड़ान में आमतौर पर दो पायलट में से एक को जागते रहना होता है और हर समय नियंत्रण संभालना होता है. कुछ लंबी दूरी की उड़ानों में, लगभग चार पायलट होते हैं. उनमें से हर एक को बारी-बारी से झपकी लेकर उड़ानों के दौरान पर्याप्त आराम करना आसान हो जाता है.
हालांकि, इसमें मुश्किल है कंट्रोल्ड या नियंत्रित रेस्ट लेना. इसमें कई Do या Dont's शामिल होते हैं, जिनका पालन पायलट को करना होता है. कंट्रोल्ड या नियंत्रित आराम किसी पायलट को काम का बोझ हल्का होने पर लगभग 45 मिनट तक आराम करने की परमिशन देता है. इससे उड़ान के सबसे महत्वपूर्ण हिस्से के दौरान पायलट को सतर्क रहने में मदद मिलती है. लेकिन कई बार ऐसा भी हुआ है जब दोनों पायलट सो गए हों.
BBC न्यूज़ के एक सर्वे से ये पता चला कि 56 प्रतिशत पायलट, जिन्होंने उड़ान के दौरान नींद की बात स्वीकार की, उनमें से 29 प्रतिशत ने ये बताया कि उड़ान के दौरान ऐसे भी मौके आए जब उन्होंने दूसरे पायलट को भी सोया हुआ पाया. CNN की भी एक रिपोर्ट में बताया गया कि 2008 में, एक पायलट और एक को-पायलट को नींद आ गई और निर्धारित स्थान पर उनकी लैंडिंग नहीं हुई. अब आप उन यात्रियों की हालत की कल्पना कीजिए, जो इस प्लेन में सवार थे. इन दोनों पायलट्स के लाइसेंस निलंबित कर दिए गए थे और उन्हें नौकरी से भी निकाल दिया गया. साल 2017 में एक थके हुए पायलट सैन फ्रैंसिस्को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अपना हवाई जहाज एक अन्य हवाई जहाज के ऊपर उतरने के बहुत करीब आ गया था.
हालांकि, ऐसे मामले कम ही सामने आते हैं. क्योंकि अधिकांश पायलट अपनी ड्यूटी पूरी सुरक्षा के साथ करते हैं. लेकिन विश्वास की डोर पर टिके एविएशन सेक्टर में इस प्रकार के मिस कंडक्ट पर क्या है आपकी राय, हमें कमेंट सेक्शन मे जरुर बताएं.
वीडियो: पायलट बनने के लिए कौन सी पढ़ाई करनी पड़ती है.