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नौकरी के बहाने रूस बुलाया और यूक्रेन युद्ध में झोंक दिया, भारतीयों का वीडियो परेशान कर देगा

वीडियो रिकॉर्ड करने वाले शख्स की पहचान गगनदीप सिंह के रूप में हुई है. गगनदीप और अन्य छह लोगों को 15 दिनों की मिलिट्री ट्रेनिंग भी दी गई है और उन्हें वॉर जोन में भेजा गया है.

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गगनदीप ने बताया कि 27 दिसंबर को वो सभी रूस के लिए निकले थे. (फोटो- ट्विटर)

पंजाब के होशियारपुर के रहने वाले कुछ युवाओं का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है (Indian nationals tricked into Ukraine war). इसमें वे भारत सरकार से मदद की अपील कर रहे हैं. क्यों? इन युवकों का दावा है कि उन्हें रूस में मिलिट्री सर्विस का झांसा देकर यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध में धकेल दिया गया.

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सोशल मीडिया वेबसाइट X पर 105 सेकेंड का एक वीडियो वायरल है. इसमें 7 लोग मिलिट्री स्टाइल की जैकेट और कैप पहने दिख रहे हैं. 7 में से 6 लोग वीडियो में एक गेट के पास खड़े दिख रहे हैं. वहीं एक शख्स वीडियो रिकॉर्ड कर रहा है. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक वीडियो रिकॉर्ड करने वाले शख्स की पहचान गगनदीप सिंह के रूप में हुई है.

रूस से बेलारूस पहुंचे

गगनदीप ने बताया कि 27 दिसंबर को वो सभी रूस के लिए निकले थे. उनका प्लान वहां नया साल मनाने का था. उन सभी का 90 दिनों का वीज़ा था. इस बीच वो सभी बेलारूस भी गए. गगन ने बताया,

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“रूस में एक एजेंट ने हमें बेलारूस ले जाने की बात कही. हम लोगों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि वहां जाने के लिए भी वीज़ा लगता है. वहां पहुंचने पर एजेंट ने पैसे की डिमांड की. उसके बाद हम सभी को छोड़कर चला गया. जिसके बाद पुलिस ने हमें पकड़ लिया और रूस के अधिकारियों के हवाले कर दिया. रूस के अधिकारियों ने हमसे कुछ डॉक्यूमेंट्स पर साइन कराए.”

रूसी में लिखे डॉक्यूमेंट्स में साइन कराए गए

गगन ने दावा किया कि रूस की तरफ से उन सभी पर यूक्रेन के खिलाफ चल रहे युद्ध में उतरने का दबाव बनाया जा रहा है. गगनदीप के भाई अमृत सिंह ने एनडीटीवी को बताया कि उनके भाई से जिन डॉक्यूमेंट्स में साइन कराया गया था वो उन्हें समझ तक नहीं आए. अमृत ने जानकारी दी,

“उन्हें वहां सेना में शामिल होने के लिए मजबूर किया जा रहा है, क्योंकि बेलारूस में जिन डॉक्यूमेंट्स पर उन्होंने साइन किए थे वो रूसी भाषा में थे. इसमें कहा गया था कि या तो वो 10 साल की कैद स्वीकार करें या रूसी सेना में शामिल हो जाएं.”

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जानकारी ये भी है कि गगनदीप और अन्य छह लोगों को 15 दिनों की मिलिट्री ट्रेनिंग भी दी गई है. और उन्हें वॉर जोन में भेजा गया है.

पिछले हफ्ते विदेश मंत्रालय ने कहा था कि वो इसी तरह फंसे कई अन्य लोगों के संपर्क में भी है. इसमें जम्मू-कश्मीर के 31 वर्षीय आज़ाद यूसुफ कुमार भी शामिल हैं. आज़ाद को ‘भर्ती’ के कुछ दिनों बाद कथित तौर पर पैर में गोली मार दी गई थी. यही नहीं, ये भी खबर है कि कर्नाटक, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के कम से कम 10 भारतीय नागरिक इसी तरह की संकटपूर्ण स्थिति में हैं. इन लोगों को भी नौकरी के बहाने रूस भेजा गया था. रिपोर्ट के मुताबिक जिस एजेंट ने इन लोगों को झांसे में फंसाया है, उसने उनसे 3-3 लाख रुपए भी लिए थे.

इस मामले को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय भी सतर्क है. मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि भारतीय दूतावास ने संबंधित रूसी अधिकारियों के सामने इन लोगों की शीघ्र रिहाई का मामला उठाया है. साथ ही मंत्रालय ने सभी भारतीय नागरिकों से लड़ाई वाले इलाकों से दूर रहने का आग्रह किया है.

वीडियो: नौकरी के नाम पर भारतीयों को जंग में शामिल होने के लिए मजबूर कर रहे रूस पर विदेश मंत्रालय सख्त

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