हिंडनबर्ग के आरोपों पर अब सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने एक विस्तृत बयान जारी किया है. दंपत्ति ने ये दावा किया कि जिन ऑफशोर कंपनियों में उनके निवेश पर सवाल उठाए जा रहे हैं, उसमें निवेश साल 2015 में किया गया था, जब वो दोनों (माधबी पुरी बुच और धवल बुच) सिंगापुर के प्राइवेट सिटिजन हुआ करते थे. ये निवेश माधबी पुरी के SEBI ज्वाइन करने के दो साल पहले यहां तक कि पूर्ण कालिक सदस्य बनने के पहले किया गया था.
हिंडनबर्ग रिपोर्ट: 'SEBI में आने से दो साल पहले किया था निवेश'- बुच दंपति की सफाई
हिंडनबर्ग के आरोपों पर गौतम अडानी के बाद SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने बयान जारी किया है.

इससे पहले अमेरिका की शॉर्ट-सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने 10 अगस्त को एक नई रिपोर्ट जारी की. इसमें सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर बड़े आरोप लगाए गए हैं. हिंडनबर्ग ने शनिवार को दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा कि सेबी की चेयरपर्सन और उनके पति की उन ऑफशोर कंपनियों में हिस्सेदारी रही है, जो अडानी समूह की वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ी हुई थीं. या जिनका इस्तेमाल अडानी ग्रुप की कथित वित्तीय अनियमतताओं में हुआ था.
इन आरोपों पर अपने बयान में SEBI चीफ का कहना है कि,
‘इस फंड में निवेश करने का फैसला फंड के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर अनिल आहूजा की सलाह पर किया गया, जो कि धवल के बचपन और IIT दिल्ली के दोस्त हैं. आहूजा ने सिटी बैंक, जे पी मॉर्गन और 3i ग्रुप जैसी संस्थाओं में काम किया था, उनके पास निवेश को लेकर कई दशकों का अनुभव था. इसी वजह से ये निवेश किया गया, इस बात से पता चलता है कि जब साल 2018 में आहूजा ने फंड के CIO के रूप में अपना पद छोड़ दिया, तो हमने उस फंड से अपना निवेश रिडीम कर लिया.’
बयान में आगे कहा गया,
'अनिल आहूजा ने इस बात की पुष्टि की है कि किसी भी समय फंड ने किसी भी अडाणी समूह की कंपनी के बांड, इक्विटी या डेरिवेटिव में निवेश नहीं किया.’
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि आज तक सेबी ने अडानी की दूसरी संदिग्ध शेयरहोल्डर कंपनियों पर कोई कार्रवाई नहीं की है, जो इंडिया इन्फोलाइन की ईएम रिसर्जेंट फंड और इंडिया फोकस फंड की ओर से संचालित की जाती हैं.
हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा है कि व्हिसलब्लोअर से उसे जो दस्तावेज़ हासिल हुए हैं उनके मुताबिक सेबी में नियुक्ति से कुछ सप्ताह पहले माधबी पुरी बुच के पति धवल बुच ने मॉरीशस के फंड प्रशासक ट्राइडेंट ट्रस्ट को ईमेल किया था. इसमें उनके और उनकी पत्नी के ग्लोबल डायनेमिक ऑप्चर्यूनिटीज फंड में निवेश का ज़िक्र था. हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया है कि जिन ऑफशोर संस्थाओं का इस्तेमाल अडानी मनी साइफनिंग स्कैंडल में हुआ, उसमें SEBI अध्यक्ष माधबी पुरी बुच की हिस्सेदारी थी.
रिपोर्ट का दावा है कि सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने बरमुडा और मॉरिशस के फंड में हिस्सेदारी ली, जो कि टैक्सहैवन देश हैं और इन्हीं दो फंडों का यूज गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी ने भी किया था.
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि सेबी चेयरपर्सन के हितों के इस संघर्ष की वजह से बाजार नियामक की पारदर्शिता संदिग्ध हो गई है. और इसलिए इस पूरे मामले की जांच नए सिरे से होनी चाहिए. रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि हमें संदेह है कि सेबी ने अडानी ग्रुप से जुड़े ऑफशोर शेयरहोल्डर्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई इसलिए नहीं की, क्योंकि उनमें मिलीभगत हो सकती है.
इसके जवाब में, बुच दंपत्ति ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट में किए गए दावों को निराधार और किसी भी सच्चाई से रहित बताया. उन्होंने इसे "चरित्र हनन" का प्रयास भी कहा.
वहीं, 360 वन एसेट मैनेजमेंट (पूर्व में आईआईएफएल) ने भी हिंडनबर्ग के दावों का खंडन करते हुए कहा कि आईपीई-प्लस फंड 1 ने अडानी समूह के किसी भी शेयर में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी फंड के माध्यम से शून्य निवेश किया है. फर्म ने यह भी स्पष्ट किया कि फंड में माधबी और धवल बुच की हिस्सेदारी फंड में कुल प्रवाह के 1.5 प्रतिशत से भी कम है.
वीडियो: हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट, SEBI चेयरमैन पर क्या आरोप लगाए?