असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने 7 सितंबर को एक बड़ी घोषणा की (Assam CM Aadhar Card NRC). बताया कि जिन लोगों ने 2014 में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का हिस्सा बनने के लिए अप्लाई नहीं किया था, उनके लोगों के आधार कार्ड जारी नहीं किए जाएंगे. बताया कि उनकी सरकार ने ये फैसला तीन मुस्लिम बहुल जिलों में आधार कार्ड के डेटा में गड़बड़ी सामने आने के बाद लिया है.
'NRC नहीं, तो आधार कार्ड भी नहीं मिलेगा... ' मुस्लिम बहुल जिलों की आबादी देख असम के CM का फैसला
Assam: CM हिमंत बिस्वा ने सरमा ने बताया कि असम के तीन जिलों- धुबरी, बारपेटा और मोरीगांव की आबादी देखने के बाद ये फैसला लिया है. जल्द ऑर्डर जारी होगा. अब इससे किसकी मुश्किलें बढ़ेंगी?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, CM हिमंत बिस्वा सरमा ने बताया कि असम के तीन जिलों- धुबरी, बारपेटा और मोरीगांव में जारी किए गए आधार कार्डों की संख्या जिलों की अनुमानित आबादी से ज्यादा है. आंकड़ों के मुताबिक, तीनों ही जिलो में 100 फीसदी से ज्यादा आधार कार्ड जारी किए गए हैं. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि कथित तौर पर संदिग्ध विदेशियों ने भी इन जिलों में आधार कार्ड का इस्तेमाल किया है.
CM सरमा ने बताया कि इस वजह से राज्य सरकार ने भविष्य में आधार कार्ड जारी करने के लिए एक मानक संचालन प्रोटोकॉल जारी करने का फैसला लिया है. इसके तहत आधार कार्ड के लिए हर किसी को अपना NRC एप्लिकेशन नंबर देना अनिवार्य होगा. वो नंबर जो उन्हें 2015 में अप्लाई करते समय मिला था.
बता दें, NRC को अपडेट करने की प्रक्रिया 2015 में शुरू हुई थी. ये पता लगाने के लिए कि आवेदक 24 मार्च, 1971 से पहले राज्य में आया था या उसके बाद. उस तारीख से पहले असम में आने वालों को ही NRC में शामिल किया जाना था और नागरिक के तौर पर मान्यता दी जानी थी. बाकियों को राज्य की विदेशी न्यायाधिकरण प्रणाली में मुकदमे का सामना करना पड़ा. प्रक्रिया के लिए आवेदन मार्च और अगस्त 2015 के बीच किए गए थे. तब 3,30,27,661 लोगों ने आवेदन किया था. अगस्त 2019 में पब्लिश अंतिम NRC में उनमें से 19 लाख आवेदकों को बाहर कर दिया गया.
CM सरमा ने आगे कहा कि जो लोग NRC के लिए आवेदन करने वाले 3.3 करोड़ लोगों में से नहीं हैं, उन्हें आधार कार्ड जारी नहीं किया जाएगा. बोले कि भले ही वो लोग NRC में शामिल हुए हों या नहीं, लेकिन उनका अप्लाई करना जरूरी था, अगर उन्होंने आवेदन नहीं किया तो इसका मतलब है कि वो असम में नहीं थे और वो 2014 के बाद असम में आए.
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CM ने ये भी बताया कि नए नियम एक अक्टूबर से लागू होंगे और इसके लिए एक कठिन SOP जारी की जाएगी. उन्होंने कहा कि चाय बागान समुदाय को इस प्रक्रिया में आने वाली कठिनाइयों से छूट दी जाएगी.
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