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हाथरस हादसे वाले 'भोले बाबा' ने मृत बेटी पर क्या 'चमत्कार' किया था? उसके बाद क्या हुआ था?

24 साल पहले चमत्कार करने के आरोप में सूरज पाल और उनकी पत्नी समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.

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हाथरस के धार्मिक कार्यक्रम में प्रवचन देने वाले 'भोले बाबा' अब भी फरार हैं. (फाइल फोटो)

हाथरस हादसे के बाद धार्मिक सत्संग कराने वाले स्वयंभू बाबा सूरज पाल उर्फ नारायण साकार हरि की तलाश हो रही है. पुलिस मैनपुरी में उनके आश्रम से लेकर कासगंज में उनके घर तक पहुंची है. इस भगदड़ में अब तक 121 लोगों की मौत हो चुकी है. कई लोग अब भी गंभीर हालत में अस्पतालों में भर्ती हैं. हादसे में जो केस दर्ज हुआ है, उसमें सूरज पाल या 'भोले बाबा' का नाम दर्ज नहीं है. लेकिन उनके पुराने कारनामे सामने आ रहे हैं. 24 साल पहले चमत्कार करने के आरोप में सूरज पाल और उनकी पत्नी समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.

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मार्च 2000 में सूरज पाल के खिलाफ अपनी ही गोद ली गई बेटी की मौत के बाद केस दर्ज हुआ था. इंडिया टुडे के पास इस मामले से जुड़े कागजात हैं. कागजातों से पता चलता है कि सूरज पाल और उनकी पत्नी के कोई बच्चे नहीं थे. उनकी गोद ली हुई एक बच्ची थी. बच्ची को कैंसर था. 18 मार्च 2000 को बेहोश होने के बाद बच्ची की मौत हो गई. सूरज पाल के समर्थक बच्ची के शव को 'मल्ल का चबूतरा' नाम के श्मशान घाट पर ले गए. इस बात पर अड़ गए कि 'भोले बाबा' आएंगे और बच्ची को जिंदा करेंगे.

रिपोर्ट बताती है कि जब काफी देर तक समर्थक अड़े रहे तो चार थानों की पुलिस वहां पहुंची. समर्थकों पर लाठीचार्ज के बाद सूरज पाल को गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने तब स्वत: संज्ञान लेते हुए सूरज पाल के खिलाफ केस दर्ज किया. FIR में पाल के अलावा उनकी पत्नी प्रेमवती और 5 अन्य लोगों के नाम दर्ज हुए थे. FIR के विवरण में लिखा है कि लड़की स्नेह लता को 'चमत्कारी शक्तियों' के जरिये जिंदा करने का षडयंत्र किया जा रहा था.

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इन सभी के खिलाफ ड्रग्स और मैजिक रेमेडीज़ (आपत्तिजनक विज्ञापन) एक्ट, 1954 के तहत केस दर्ज हुआ था. ये एक्ट ‘जादुई’ गुणों का दावा करने वाली दवाओं, इलाज या इनके विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाता है.

हालांकि कुछ ही समय बाद उन्हें सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया गया था. दिसंबर 2000 में पुलिस ने इस मामले की फाइनल रिपोर्ट फाइल कर दी थी.

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बहरहाल, हाथरस भगदड़ मामले में सूरज पाल की तलाश चल रही है. मामले में सत्संग के आयोजनकर्ता मुख्य सेवादार देव प्रकाश को आरोपी बनाया गया है. इसके अलावा आरोपियों में ‘अन्य आयोजक’ लिखा गया है. FIR के मुताबिक, कार्यक्रम में 80 हजार लोगों के इकट्ठा होने की अनुमति मांगी गई थी. जबकि वहां करीब ढाई लाख लोगों की भीड़ पहुंच गई.

FIR बताती है कि दोपहर 2 बजे श्रद्धालुओं ने सूरज पाल की गाड़ी गुजरने के बाद वहां धूल समेटना शुरू कर दिया. इसी दौरान लोगों की बेतहाशा भीड़ एक-दूसरे को कुचलने लगी. इसके कारण कई लोगों ने वहीं पर अपनी जान गंवा दी. कई लोगों की मौत अस्पताल में इलाज के दौरान हुई है.

वीडियो: Hathras Stampede Updates: कैसे मची भगदड़? हाथरस के चश्मदीदों ने सबकुछ बता दिया

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