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हरियाणा में BJP और JJP के बीच क्या गड़बड़ चल रही थी, जो बात गठबंधन टूटने तक आ गई?

Manohar Lal khattar ने 12 मार्च को पूरे मंत्रिमंडल का साथ इस्तीफा दे दिया. इसके साथ ही BJP-JJP गठबंधन का भी अंत हो गया. Dushyant Chautala की पार्टी के साथ गठबंधन के खत्म होने के पीछे क्या वजहें रहीं?

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हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी के बीच का गठबंधन टूट गया है (PTI)

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. खट्टर सरकार की पारी का खात्मा हुआ और इसके साथ ही अंत हो गया BJP-JJP के बीच चल रहे लव हेट रिलेशनशिप का भी. कुछ हद तक मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) और दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) के खट्टे-मीठे रिश्तों पर भी विराम लग गया. इस गठबंधन टूटने का कयास पॉलिटिकल एक्सपर्टस महीनों पहले लगा चुके थे. और इस कयास के पीछे की वजह थी मनोहर लाल, बिप्लब देव और दुष्यंत चौटाला की कुछ पुरानी बयानबाजियां. 

पहले एक नजर इन बयानों पर डालते हैं:
- 23 अप्रैल, 2023.  उत्तर प्रदेश में गैंगस्टर अतीक अहमद की हत्या के बाद दुष्यंत चौटाला बयान देते हैं. उन्होंने कहा मामला गंभीर है जांच होनी चाहिए. चौटाला ने कहा कि ये कानून व्यवस्था का गंभीर उल्लंघन है.

- 4 जून, 2023. बिप्लव देव जींद की उचाना कलां विधानसभा जाते हैं. और कहते हैं कि पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता उचाना कलां की अगली विधायक होंगी. गौर करने वाली बात ये कि इसी सीट से दुष्यंत चौटाला विधायक हैं.

- 5 जून, 2023. बिप्लव के बयान के तुरंत बाद दुष्यंत चौटाला उचाना कलां से चुनाव लड़ने का ऐलान कर देते हैं. साथ में ये भी कहते हैं कि तीन-तीन लोगों के पेट में दर्द हो रहा है लेकिन मैं चुनाव उचाना कलां से ही लड़ूगा. 

- 6 जून, 2023. दुष्यंत के बयान के बाद बिप्लव पलटवार करते हैं और कहते हैं कि गठबंधन करके जेजेपी ने कोई एहसान नहीं किया है.

- जेजेपी के महासचिव दिग्विजय चौटाला चंडीगढ़ में किसानों से मिलने जाते हैं. किसान उनसे नाराज़गी जताते हैं. तो दिग्विजय कहते हैं कि अभी हम गठबंधन में हैं. जेजेपी की सरकार बनवा दीजिए. सारी बातें मान ली जाएंगी.

- दिग्विजय चौटाला के बयान पर मनोहर लाल खट्टर पलटवार करते हैं. खट्टर कहते हैं कि ये सरकार बीजेपी की है, जेजेपी की नहीं.
 

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हरियाणा में BJP और JJP गठबंधन टूट गया है (PTI)

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इन बयानों को देखकर काफी हद तक ये समझ आ जाता है कि आज ना कल ये गठबंधन टूटने ही वाला था. और इस गठबंधन के टूटने को लेकर जो कयास लगाए जा रहे थे, उसमें काफी वजन भी था. अब सवाल उठता है कि जब इन पार्टी के नेताओं के बयानों में इतनी खटास थी तो फिर ये गठबंधन बना क्यों? इसके बारे में वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र श्योरान कहते हैं,

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“बीजेपी ने सिर्फ सरकार में स्थिरता के लिए दुष्यंत चौटाला का समर्थन लिया था. जबकि चौटाला को डर था कि वो अगर सरकार का समर्थन नहीं करते हैं तो उनके 6-7 विधायक बीजेपी में जा सकते हैं. और इसी वजह से उन्होंने सरकार का समर्थन किया था. लेकिन कोविड के दौरान चौटाला परिवार के कुछ लोगों का शराब घोटाले में नाम आया, इसी के बाद से खट्टर और चौटाला के बीच खटपट शुरू हुई थी.”

BJP-JJP गठबंधन टूटने की वजह

राजनीतिक गलियारों में इस गठबंधन को टूटने का जो सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है, वो है लोकसभा सीटों का बंटवारा. दरअसल JJP, BJP से लोकसभा चुनाव में 2 सीटों की मांग कर रही थी. जबकि BJP लोकसभा चुनाव में JJP को एक भी सीट देने के पक्ष में नहीं थी. बीजेपी अकेले दम पर सभी दस सीटों पर‌ चुनाव लड़ना चाहती थी. इसको लेकर हरियाणा की सियासत को लंबे समय से कवर कर रहे वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र श्योरेन बताते हैं,

“बीजेपी को जेजेपी की 1-2 सीटों की डिमांड नाजायज लग रही थी. क्योंकि किसान आंदोलन के बाद से जेजेपी का वोट बैंक काफी तेजी से नीचे गिरा है. क्योंकि इन मूल वोट बैंक किसानों का है. किसान आंदोलन के दौरान कुरुक्षेत्र में किसानों पर लाठीचार्ज हुआ था. लेकिन इस दौरान दुष्यंत चौटाला की तरफ से कोई बयान नहीं आया था. जिसके बाद से चौटाला का वोट बैंक लगातार गिरता ही जा रहा है.”

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दूसरी ओर विपक्ष की बात करें तो कांग्रेस के पास भूपिंदर हुड्डा जैसा कद्दावर नेता है. राजनीतिक एक्सपर्ट के मुताबिक जाट समाज के अलावा किसानों में भी हुड्डा के लिए सॉफ्ट कॉर्नर देखा जा रहा है. ऐसे में JJP का साथ छोड़ने के बाद BJP कुछ जाट वोट अपने खेमे में ला सकती है. इसका नुकसान सीधा-सीधा कांग्रेस को होगा. अब अगर जेजेपी, कांग्रेस और INLD अगर अलग-अलग चुनाव लड़ते हैं तो आपस में वोट बंट सकता है. ऐसी परिस्थिति में भी बीजेपी मौका भुनाने की कोशिश करेगी.

नंबर गेम क्या है?

90 सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा में बीजेपी के पास 41 विधायक हैं. जबकि बीजेपी के साथ 6 निर्दलीय विधायक भी हैं. वहीं गोपाल कांडा के हरियाणा लोकहित पार्टी के एक विधायक का भी बीजेपी को समर्थन प्राप्त है. ऐसे में भाजपा सरकार के पास कुल 48 विधायक हैं. बहुमत के लिए 46 सीटें चाहिए. ऐसे में जेजेपी के 10 विधायकों के चले जाने के बाद भी बीजेपी की सरकार को खतरा नहीं है. राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा भी है कि JJP के कुछ विधायक बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. अब देखना होगा कि इस गठबंधन के खत्म होने का फायदा किस पार्टी को मिलता है.
 

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