अब्दुल रऊफ को कोर्ट ने गुलशन कुमार हत्या मामले में दोषी पाया था. अप्रैल 2002 में उसे उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई. मां की बीमारी की वजह से उसे 2009 परोल पर छोड़ा गया. मगर अब्दुल पुलिस से बचकर बांग्लादेश भाग गया था. वहां बाग्लादेश पुलिस ने उसे फर्जी पासपोर्ट मामले में गिरफ्तार कर लिया. उसके बाद 2016 में उसे बांग्लादेश से डिपोर्ट कर इंडिया लाया गया.

बेटे कृष्ण कुमार के साथ म्यूज़िक बैरन गुलशन कुमार.
खैर, 1 जुलाई को कोर्ट में कुल चार अपीलें डाली गई थीं. जिनमें तीन अपीलें रउफ मर्चेंट और राकेश खाओकर के खिलाफ थीं. एक अपील महाराष्ट्र सरकार की थी. जो फिल्म प्रोड्यूसर रमेश तौरानी को बरी करने के खिलाफ थी. तौरानी पर हत्या के लिए उकसाने का आरोप था. मगर कोर्ट ने उन्हें इस मामले में बरी कर दिया है.
टी-सीरीज़ के मालिक गुलशन कुमार 12 अगस्त, 1997 को मुंबई के अंधेरी वेस्ट इलाके के जीतेश्वर महादेव मंदिर गए हुए थे. पूजा कर मंदिर से निकल रहे गुलशन कुमार को सुबह 8 बजे कुछ लोगों ने गोलियों से भून दिया. उनके शरीर में कुल 16 गोलियां दागी गई थीं. बताया जाता है कि ऐसा दाऊद इब्राहिम के कहने पर किया गया था. इस मामले में कुल 19 लोगों को अक्यूज़ किया गया था. मगर कोर्ट ने रमेश तौरानी समेत 18 लोगों को इस मामले में बरी कर दिया. इस मर्डर का आरोप म्यूज़िक कंपोज़र जोड़ी नदीम-श्रवण वाले नदीम सैफी पर भी था. मगर बाद में लंदन की एक कोर्ट ने उन्हें इस मामले में बरी कर दिया. मगर अब्दुल रऊफ के खिलाफ मिले साक्ष्यों के आधार पर उसे आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई.
म्यूज़िक मोगुल के नाम से जाने गए गुलशन कुमार के चार बच्चे हैं. बिटिया तुलसी, खुशहाली और बेटे कृष्ण और भूषण. गुलशन कुमार की कंपनी अब उनके बेटे भूषण कुमार चलाते हैं. तुसली, इंडिया की मशहूर सिंगर हैं. खुशहाली एक्टिंग में हाथ आज़मा रही हैं. और कृष्ण कुमार फिल्म प्रोडक्शन का बिज़नेस संभालते हैं.

गुलशन कुमार की लाइफ पर घोषित फिल्म 'मोगुल' का पोस्टर.
लंबे समय से गुलशन कुमार की ज़िंदगी पर फिल्म बनाने की बात चल रही है. अनाउंसमेंट हो चुकी थी कि 'जॉली एलएलबी' फेम सुभाष कपूर 'मोगुल' नाम से बन रही इस फिल्म को डायरेक्ट करेंगे. पहले इस फिल्म में गुलशन कुमार का रोल अक्षय कुमार करने वाले थे. मगर फिर इस प्रोजेक्ट से आमिर खान जुड़ गए. मगर #MeToo में सुभाष कपूर का नाम आने के बाद से ये प्रोजेक्ट खटाई में पड़ गया था. अभी इस मामले में क्लैरिटी नहीं है कि इस प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है या नहीं.