गुजरात के नरोदा गाम दंगा (Naroda Gam riot) मामले में सभी आरोपी बरी हो गए. इस मामले में गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी भी आरोपी थीं. 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद के नरोदा गांव में 11 लोगों को जिंदा जला दिया गया था. इसी मामले में 20 अप्रैल को अहमदाबाद की विशेष अदालत ने कोडनानी समेत 69 लोगों को बरी कर दिया. मामले में करीब 182 गवाहों से पूछताछ की गई थी. गवाहों में वर्तमान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल थे. 6 साल पहले शाह ने कोर्ट में कोडनानी का बचाव किया था. तब अमित शाह बीजेपी अध्यक्ष थे.
गुजरात दंगा: अमित शाह ने माया कोडनानी के पक्ष में क्या गवाही दी थी?
SIT ने कोर्ट को बताया था कि कोडनानी नरोदा में नरसंहार वाली जगह मौजूद थीं. लेकिन अमित शाह ने कुछ और बताया.

18 सितंबर 2017 को अमित शाह अहमदाबाद की विशेष अदालत में पेश हुए थे. माया कोडनानी के समर्थन में गवाही दी थी और कहा था कि वो घटना के वक्त नरोदा में मौजूद नहीं थीं. कोडनानी के बयान को ही दोहराते हुए शाह ने कोर्ट में कहा कि उस दिन (नरोदा गाम दंगों के दिन) उन्होंने कोडनानी को दो बार देखा था. अमित शाह ने कोर्ट में कहा था कि उन्होंने 28 फरवरी को सुबह 8 बजकर 40 मिनट पर माया कोडनानी को गुजरात विधानसभा में देखा था. उन्होंने कहा था,
"मैं नहीं जानता कि विधानसभा से रवाना होने और सोला सिविल हॉस्पिटल पहुंचने के पहले वह कहां थीं. लेकिन 11 बजे से लेकर साढ़े 11 बजे के आसपास उन्हें अहमदाबाद के सोला सिविल हॉस्पिटल में देखा था."
गवाही के दौरान शाह ने ये भी कहा था कि पुलिस ने उन्हें और माया कोडनानी को अस्पताल से निकलने के बाद सुरक्षा मुहैया कराई थी. क्योंकि भीड़ ने उन्हें अस्पताल के बाहर घेर लिया था.
28 फरवरी 2002 की सुबह अहमदाबाद के नरोदा गांव में भीड़ ने कई घरों को आग के हवाले कर दिया था, जिसमें मुस्लिम समुदाय के 11 लोगों की मौत हुई थी. माया कोडनानी नरोदा की विधायक थीं. उन पर आरोप लगा कि उन्होंने हजारों लोगों की भीड़ को नरोदा गाम में हिंसा के लिए उकसाया.
कोडनानी घटनास्थल पर थीं- SITसाल 2009 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित SIT ने चार्जशीट फाइल की थी. माया कोडनानी के अलावा बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी, विश्व हिंदू परिषद (VHP) के नेता जयदीप पटेल और नरोदा पुलिस थाने के तत्कालीन पुलिस इंस्पेक्टर वी एस गोहिल समेत 86 लोगों को आरोपी बनाया गया था.
अगस्त 2018 में SIT ने स्पेशल कोर्ट को बताया कि कोडनानी घटनास्थल पर करीब 10 मिनट के लिए मौजूद थीं. और 'भीड़ को उकसाने' के बाद वहां से चली गईं. SIT ने ये भी कहा था कि कोडनानी के बचाव में दिया गया अमित शाह का बयान भरोसा करने लायक नहीं है.
नरोदा गाम दंगों के दौरान माया कोडनानी विधायक थीं. साल 2007 में तत्कालीन नरेंद्र मोदी सरकार में उन्हें मंत्री भी बनाया गया था. लेकिन नरोदा पाटिया दंगे में सजा मिलने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था. नरोदा पाटिया नरसंहार में 97 लोग मारे गए थे. इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने माया कोडनानी और बाबू बजरंगी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. लेकिन बाद में गुजरात हाई कोर्ट ने कोडनानी को बरी कर दिया था.
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