
हरदीप और प्रदीप ने तो अपनी आईडी दिखा दी. लेकिन मनीष सोया हुआ था. ख़बरों के मुताबिक़, उठाए जाने पर मनीष ने कहा कि ये कौन सा समय है चेकिंग करने का? क्या हम लोग आतंकवादी हैं? पुलिसवालों पर आरोप है कि इतना सुनकर उन्होंने मनीष की पिटाई कर दी. ये भी आरोप है कि उन्होंने शराब पी रखी थी. उन्होंने पीड़ित मनीष को इतना मारा कि वो ख़ून से तरबतर हो गया. पुलिस वाले मनीष को अस्पताल ले गए, जहां उसकी मौत हो गयी.
मनीष के दोस्त चंदन सैनी ने ये भी कहा है कि जब पुलिस वाले वापस आए, तो उन्होंने अपनी नेमप्लेट हटा ली थी. पुलिस का क्या कहना है? इस ख़बर के लिखे जाने तक इंस्पेक्टर जेएन सिंह और अक्षय मिश्र समेत 6 लोगों को निलम्बित कर दिया गया था. कोई FIR नहीं लिखी गयी थी. पुलिस का पक्ष जानने के लिए हमने गोरखपुर के एसएसपी विपिन टाडा से बात की. उन्होंने कहा,
“हां, पुलिस रात में चेकिंग करने गयी थी. हमें सूचना मिली थी कि कुछ नवयुवक बाहर से गोरखपुर रुकने आए हैं. और उन्होंने होटल के रजिस्टर में अपना नाम भी नहीं दर्ज किया है. हमने चेकिंग की. दो लोगों ने तो अपनी आईडी दिखा दी, लेकिन तीसरा व्यक्ति शायद नशे में था. वो उठा तो गिरकर चोटिल हो गया. पुलिस उन्हें अस्पताल ले गयी, वहां पर उनकी मौत हो गयी.”लेकिन अमूमन पुलिस चेकिंग करती है तो मौक़े की वीडियो रिकार्डिंग करती ही है. इस मामले में ऐसा क्यों नहीं किया गया? और साथ ही अगर रजिस्टर में नाम नहीं था तो होटल के मैनेजर के खिलाफ़ पर भी कार्रवाई बनती है. इन सवालों पर एसएसपी टाडा कहते हैं,
“ये भी जांच का विषय है कि पुलिसकर्मियों ने रिकार्डिंग क्यों नहीं की थी. लेकिन पुलिस ने सूचना के आधार पर ही छापेमारी की थी. यहां पर नेपाल और बिहार बॉर्डर पास में हैं. चेहल्लुम और दुर्गापूजा के त्योहार निकट हैं. ऐसे में गोरखपुर संवेदनशील इलाक़ा है. जांच और छापेमारी होती रहती है. बाक़ी मामले की जांच हो रही है. जो भी दोषी पाया जाता है, उसके खिलाफ़ कार्रवाई की जाएगी.”